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जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष ने फिलिस्तीनियों पर हुए हमले की निंदा की

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने फिलिस्तीनियों पर हाल में हुए इजरायल के हमले की कड़ी निंदा की है. उन्होंने इजरायल के इस हमले को मानवता पर हमला बताया है.

मौलाना अरशद मदनी
मौलाना अरशद मदनी
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Published : May 12, 2021, 11:29 AM IST

लखनऊः जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने फिलिस्तीनियों पर हाल में हुए इजरायल के हमले की कड़ी निंदा की है.

मौलाना ने कहा कि विश्व शक्तियां और विशेष कर इस्लामी देशों की चुप्पी से शह पाकर इजरायल अब निहत्थे और असहाय फिलिस्तीनी लोगों को उनके जीवन के अधिकार से वंचित करने का प्रयास कर रहा है.

इजरायल को बताया आतंकी देश
मौलाना मदनी ने कहा कि दुनिया इस ऐतिहासिक तथ्य से इनकार करने की हिम्मत नहीं कर सकती है कि इजरायल एक आतंकी देश है. उन्होंने कहा कि इजरायल ने कुछ विश्व शक्तियों के समर्थन के साथ फिलिस्तीन पर जबरन कब्जा कर लिया और अब वो फिलिस्तीनी लोगों को इस भूमि से मिटाने की कोशिश कर रहा है.

कुछ मुस्लिम देशों के साथ राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद, उनका मनोबल इतना बढ़ गया है कि अल-अक्सा मस्जिद में इबादत करने में लगे फिलिस्तीनी पुरुष और महिलाओं के साथ बच्चों के साथ भी बर्बरता दिखाने में संकोच नहीं कर रहे हैं.

मानवाधिकार संगठनों पर लगाए गम्भीर आरोप

मौलाना ने कहा कि अगर मुस्लिम देशों ने शुरुआत में इस मुद्दे के महत्व का गंभीरता से आकलन कर फिलिस्तीन के लिए एक प्रभावी संयुक्त रणनीति विकसित की होती तो इजरायल आज फिलिस्तीनियों के ऐसे उत्पीड़न की हिम्मत नहीं करता.

हाल के हमलों के तहत मानवाधिकार संगठनों पर एक गंभीर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि आज की सभ्य दुनिया, जो विश्व शांति और एकता का दावा करती है, इस मामले पर चुप है.

उन्होंने कहा कि दुनिया में कोई समस्या ऐसी नहीं है जिसे बातचीत के माध्यम से हल नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से दुनिया के शक्तिशाली देश जो संयुक्त राष्ट्र के स्थायी सदस्य हैं, अगर वे ईमानदार होते तो इस समस्या का हल हो गया होता.

मौलाना मदनी ने यह भी कहा कि शायद इसीलिए चाहे वह यूरोपीय संघ हो, अंतरराष्ट्रीय समुदाय हो या विश्व के प्रभावशाली देश हों, फिलिस्तीनियों के अधिकारों के बारे में खुलकर बात नहीं करते हैं, भले ही उन्होंने बयान जारी किया हो. जबकि बयान में भी पीछे के शब्द इजरायल के लिए समर्थन ही करते हैं.

इसे भी पढ़ें- UP TET-2020 अग्रिम आदेश तक स्थगित

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ, विश्व मुस्लिम लीग और भारत सरकार से इस मामले पर दखल देने की अपील की है.

लखनऊः जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने फिलिस्तीनियों पर हाल में हुए इजरायल के हमले की कड़ी निंदा की है.

मौलाना ने कहा कि विश्व शक्तियां और विशेष कर इस्लामी देशों की चुप्पी से शह पाकर इजरायल अब निहत्थे और असहाय फिलिस्तीनी लोगों को उनके जीवन के अधिकार से वंचित करने का प्रयास कर रहा है.

इजरायल को बताया आतंकी देश
मौलाना मदनी ने कहा कि दुनिया इस ऐतिहासिक तथ्य से इनकार करने की हिम्मत नहीं कर सकती है कि इजरायल एक आतंकी देश है. उन्होंने कहा कि इजरायल ने कुछ विश्व शक्तियों के समर्थन के साथ फिलिस्तीन पर जबरन कब्जा कर लिया और अब वो फिलिस्तीनी लोगों को इस भूमि से मिटाने की कोशिश कर रहा है.

कुछ मुस्लिम देशों के साथ राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद, उनका मनोबल इतना बढ़ गया है कि अल-अक्सा मस्जिद में इबादत करने में लगे फिलिस्तीनी पुरुष और महिलाओं के साथ बच्चों के साथ भी बर्बरता दिखाने में संकोच नहीं कर रहे हैं.

मानवाधिकार संगठनों पर लगाए गम्भीर आरोप

मौलाना ने कहा कि अगर मुस्लिम देशों ने शुरुआत में इस मुद्दे के महत्व का गंभीरता से आकलन कर फिलिस्तीन के लिए एक प्रभावी संयुक्त रणनीति विकसित की होती तो इजरायल आज फिलिस्तीनियों के ऐसे उत्पीड़न की हिम्मत नहीं करता.

हाल के हमलों के तहत मानवाधिकार संगठनों पर एक गंभीर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि आज की सभ्य दुनिया, जो विश्व शांति और एकता का दावा करती है, इस मामले पर चुप है.

उन्होंने कहा कि दुनिया में कोई समस्या ऐसी नहीं है जिसे बातचीत के माध्यम से हल नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से दुनिया के शक्तिशाली देश जो संयुक्त राष्ट्र के स्थायी सदस्य हैं, अगर वे ईमानदार होते तो इस समस्या का हल हो गया होता.

मौलाना मदनी ने यह भी कहा कि शायद इसीलिए चाहे वह यूरोपीय संघ हो, अंतरराष्ट्रीय समुदाय हो या विश्व के प्रभावशाली देश हों, फिलिस्तीनियों के अधिकारों के बारे में खुलकर बात नहीं करते हैं, भले ही उन्होंने बयान जारी किया हो. जबकि बयान में भी पीछे के शब्द इजरायल के लिए समर्थन ही करते हैं.

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उन्होंने संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ, विश्व मुस्लिम लीग और भारत सरकार से इस मामले पर दखल देने की अपील की है.

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