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अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिए देश और आस-पास शांति होना जरूरी : जयशंकर - अफगानिस्तान में स्थायी शांति

ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में यहां नौवें 'हार्ट ऑफ एशिया' मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा है कि युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए देश के भीतर और इसके आस-पास शांति होना जरूरी है.

जयशंकर
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Published : Mar 30, 2021, 4:07 PM IST

Updated : Mar 30, 2021, 10:55 PM IST

दुशांबे : भारत ने मंगलवार को रेखांकित किया कि युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए देश के भीतर और इसके आस-पास शांति होना आवश्यक है.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में यहां नौवें 'हार्ट ऑफ एशिया' मंत्रिस्तरीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए इस बात को रेखांकित किया कि अफगानिस्तान में शांति के लिए देश के भीतर और इसके आस-पास सभी के हित समान होने आवश्यक हैं.

वहीं ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमान (68) से यहां मुलाकात की और द्विपक्षीय आर्थिक तथा विकास सहयोग बढ़ाने को लेकर चर्चा की. उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से राष्ट्रपति रहमान को बधाई भी दी. जयशंकर ने ट्वीट किया, मेरी अगवानी के लिए ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति को धन्यवाद... हमारे द्विपक्षीय आर्थिक और विकास सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की. अफगान स्थिति के संबंध में उनके आकलन की सराहना की.

जयशंकर ने ट्वीट किया, 'अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिए हमें सच्चे अर्थों में 'दोहरी शांति' यानी अफगानिस्तान के भीतर और इसके आस-पास शांति की आवश्यकता है. इसके लिए देश के भीतर और इसके आस-पास सभी के हित समान होने आवश्यक हैं.'

पढ़ें - मैक्सिकोः पुलिस हिरासत में महिला की मौत के बाद भड़की जनता

उन्होंने लिखा, 'यदि शांति प्रक्रिया को सफल बनाना है, तो यह सुनिश्चित करना आवश्यक होगा कि वार्ता कर रहे पक्ष अच्छी नीयत के साथ और किसी राजनीतिक समाधान तक पहुंचने के प्रति गंभीर प्रतिबद्धता के साथ बातचीत करें.'

जयशंकर ने कहा, 'हम आज एक ऐसा समावेशी अफगानिस्तान बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जो दशकों के संघर्ष से पार पा सके, लेकिन ऐसा तभी संभव होगा, यदि हम उन सिद्धांतों के प्रति ईमानदार रहें, जो हार्ट ऑफ एशिया का लंबे समय से हिस्सा रहे हैं.'

उन्होंने कहा, 'सामूहिक सफलता भले ही आसान नहीं हो, लेकिन इसका विकल्प केवल सामूहिक असफलता है.' इस सम्मेलन में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी भाग लिया.

जयशंकर ने 'हार्ट आफ एशिया-इस्तांबुल' प्रक्रिया के नौवें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में कहा, 'हम ऐसे समय में मिल रहे हैं, जो न केवल अफगानिस्तान के लोगों के लिए बल्कि हमारे वृहद क्षेत्र के लिए भी महत्वपूर्ण है. अफगानिस्तान और इस वृहद क्षेत्र में जो कुछ घटित हो रहा है, उसे देखते हुए हमें 'हार्ट ऑफ एशिया' शब्दावली को हल्के में नहीं लेना चाहिए.'

उन्होंने कहा, 'एक स्थिर, सम्प्रभु और शांतिपूर्ण अफगानिस्तान वास्तव में हमारे क्षेत्र में शांति एवं प्रगति का आधार है.' विदेश मंत्री ने कहा कि इसलिए सामूहिक रूप से यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि यह आतंकवाद, हिंसक कट्टरपंथ, मादक पदार्थों एवं आपराधिक गिरोहों से मुक्त हो.

पढ़ें - सीरिया मुद्दे पर सुरक्षा परिषद को आत्ममंथन करने की जरूरत : भारत

उन्होंने अफगानिस्तान में स्थिति पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि वादे चाहे जो भी किये गए हों, लेकिन हिंसा एवं खून-खराबा दैनिक वास्तविकता हैं और संघर्ष में कमी के काफी कम संकेत दिख रहे हैं.

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में आम लोगों को निशाना बनाकर उनकी हत्या किए जाने की घटनाएं बढ़ी हैं और 2019 की तुलना में 2020 में नागरिकों की मौत के मामलों में 45 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है.

विदेश मंत्री ने कहा, '2021 में भी स्थिति बेहतर नहीं हुई है. अफगानिस्तान में विदेशी लड़ाकों की मौजूदगी खास तौर पर परेशान करने वाली है.'

उन्होंने कहा कि ऐसे में हार्ट ऑफ एशिया के सदस्यों एवं इसका समर्थन करने वाले देशों को हिंसा में तत्काल कमी लाने के लिए दबाव बनाने को प्राथमिकता देनी चाहिए ताकि स्थायी और समग्र संघर्षविराम हो सके.

जयशंकर ने कहा कि भारत अंतर अफगान वार्ता सहित अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के बीच बातचीत को आगे बढ़ाने की दिशा में सभी तरह के प्रयासों का समर्थक रहा है. विदेश मंत्री ने कहा कि भारत अफगानिस्तान में स्थायी एवं समग्र संघर्ष विराम तथा सच्चे अर्थो में राजनीतिक समाधान की दिशा में किसी भी कदम का स्वागत करता है.

पढ़ें - जॉर्ज फ्लॉयड मौत मामला में पुलिस अधिकारी पर चला हत्या का मुकदमा

उन्होंने कहा, 'भारत परिवर्तन के इस दौर में अफगानिस्तान का पूरी तरह से समर्थन करने को प्रतिबद्ध है. अफगानिस्तान के विकास में हमने तीन अरब डॉलर का योगदान दिया है.' जयशंकर ने पिछले सप्ताह कहा था कि भारत स्पष्ट रूप से ऐसा सम्प्रभु, लोकतांत्रिक और समावेशी अफगानिस्तान देखना चाहता है जो अपने देश के अल्पसंख्यकों का ख्याल रखता हो.

उन्होंने कहा था, 'शांति और मेल-मिलाप की एक प्रक्रिया होती है और सभी यह कह रहे हैं कि तालिबान प्रयास कर रहा है और बदल रहा है. फिलहाल इंतजार करते हैं, फिर देखते हैं.' जयशंकर के यात्रा के दौरान सम्मेलन से इतर अन्य देशों के नेताओं से मिलने की संभावना है.

तालिबान और अफगानिस्तान सरकार 19 साल से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए सीधे वार्ता कर रहे हैं. इस युद्ध में हजारों लोगों की जान चली गई और देश के कई हिस्से तबाह हो गए. भारत अफगानिस्ताान में शांति एवं स्थिरता के प्रयासों में बड़ा भागीदार रहा है.

दुशांबे : भारत ने मंगलवार को रेखांकित किया कि युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए देश के भीतर और इसके आस-पास शांति होना आवश्यक है.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में यहां नौवें 'हार्ट ऑफ एशिया' मंत्रिस्तरीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए इस बात को रेखांकित किया कि अफगानिस्तान में शांति के लिए देश के भीतर और इसके आस-पास सभी के हित समान होने आवश्यक हैं.

वहीं ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमान (68) से यहां मुलाकात की और द्विपक्षीय आर्थिक तथा विकास सहयोग बढ़ाने को लेकर चर्चा की. उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से राष्ट्रपति रहमान को बधाई भी दी. जयशंकर ने ट्वीट किया, मेरी अगवानी के लिए ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति को धन्यवाद... हमारे द्विपक्षीय आर्थिक और विकास सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की. अफगान स्थिति के संबंध में उनके आकलन की सराहना की.

जयशंकर ने ट्वीट किया, 'अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिए हमें सच्चे अर्थों में 'दोहरी शांति' यानी अफगानिस्तान के भीतर और इसके आस-पास शांति की आवश्यकता है. इसके लिए देश के भीतर और इसके आस-पास सभी के हित समान होने आवश्यक हैं.'

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उन्होंने लिखा, 'यदि शांति प्रक्रिया को सफल बनाना है, तो यह सुनिश्चित करना आवश्यक होगा कि वार्ता कर रहे पक्ष अच्छी नीयत के साथ और किसी राजनीतिक समाधान तक पहुंचने के प्रति गंभीर प्रतिबद्धता के साथ बातचीत करें.'

जयशंकर ने कहा, 'हम आज एक ऐसा समावेशी अफगानिस्तान बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जो दशकों के संघर्ष से पार पा सके, लेकिन ऐसा तभी संभव होगा, यदि हम उन सिद्धांतों के प्रति ईमानदार रहें, जो हार्ट ऑफ एशिया का लंबे समय से हिस्सा रहे हैं.'

उन्होंने कहा, 'सामूहिक सफलता भले ही आसान नहीं हो, लेकिन इसका विकल्प केवल सामूहिक असफलता है.' इस सम्मेलन में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी भाग लिया.

जयशंकर ने 'हार्ट आफ एशिया-इस्तांबुल' प्रक्रिया के नौवें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में कहा, 'हम ऐसे समय में मिल रहे हैं, जो न केवल अफगानिस्तान के लोगों के लिए बल्कि हमारे वृहद क्षेत्र के लिए भी महत्वपूर्ण है. अफगानिस्तान और इस वृहद क्षेत्र में जो कुछ घटित हो रहा है, उसे देखते हुए हमें 'हार्ट ऑफ एशिया' शब्दावली को हल्के में नहीं लेना चाहिए.'

उन्होंने कहा, 'एक स्थिर, सम्प्रभु और शांतिपूर्ण अफगानिस्तान वास्तव में हमारे क्षेत्र में शांति एवं प्रगति का आधार है.' विदेश मंत्री ने कहा कि इसलिए सामूहिक रूप से यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि यह आतंकवाद, हिंसक कट्टरपंथ, मादक पदार्थों एवं आपराधिक गिरोहों से मुक्त हो.

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उन्होंने अफगानिस्तान में स्थिति पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि वादे चाहे जो भी किये गए हों, लेकिन हिंसा एवं खून-खराबा दैनिक वास्तविकता हैं और संघर्ष में कमी के काफी कम संकेत दिख रहे हैं.

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में आम लोगों को निशाना बनाकर उनकी हत्या किए जाने की घटनाएं बढ़ी हैं और 2019 की तुलना में 2020 में नागरिकों की मौत के मामलों में 45 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है.

विदेश मंत्री ने कहा, '2021 में भी स्थिति बेहतर नहीं हुई है. अफगानिस्तान में विदेशी लड़ाकों की मौजूदगी खास तौर पर परेशान करने वाली है.'

उन्होंने कहा कि ऐसे में हार्ट ऑफ एशिया के सदस्यों एवं इसका समर्थन करने वाले देशों को हिंसा में तत्काल कमी लाने के लिए दबाव बनाने को प्राथमिकता देनी चाहिए ताकि स्थायी और समग्र संघर्षविराम हो सके.

जयशंकर ने कहा कि भारत अंतर अफगान वार्ता सहित अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के बीच बातचीत को आगे बढ़ाने की दिशा में सभी तरह के प्रयासों का समर्थक रहा है. विदेश मंत्री ने कहा कि भारत अफगानिस्तान में स्थायी एवं समग्र संघर्ष विराम तथा सच्चे अर्थो में राजनीतिक समाधान की दिशा में किसी भी कदम का स्वागत करता है.

पढ़ें - जॉर्ज फ्लॉयड मौत मामला में पुलिस अधिकारी पर चला हत्या का मुकदमा

उन्होंने कहा, 'भारत परिवर्तन के इस दौर में अफगानिस्तान का पूरी तरह से समर्थन करने को प्रतिबद्ध है. अफगानिस्तान के विकास में हमने तीन अरब डॉलर का योगदान दिया है.' जयशंकर ने पिछले सप्ताह कहा था कि भारत स्पष्ट रूप से ऐसा सम्प्रभु, लोकतांत्रिक और समावेशी अफगानिस्तान देखना चाहता है जो अपने देश के अल्पसंख्यकों का ख्याल रखता हो.

उन्होंने कहा था, 'शांति और मेल-मिलाप की एक प्रक्रिया होती है और सभी यह कह रहे हैं कि तालिबान प्रयास कर रहा है और बदल रहा है. फिलहाल इंतजार करते हैं, फिर देखते हैं.' जयशंकर के यात्रा के दौरान सम्मेलन से इतर अन्य देशों के नेताओं से मिलने की संभावना है.

तालिबान और अफगानिस्तान सरकार 19 साल से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए सीधे वार्ता कर रहे हैं. इस युद्ध में हजारों लोगों की जान चली गई और देश के कई हिस्से तबाह हो गए. भारत अफगानिस्ताान में शांति एवं स्थिरता के प्रयासों में बड़ा भागीदार रहा है.

Last Updated : Mar 30, 2021, 10:55 PM IST
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