मॉस्को : मॉस्को में प्राइमाकोव इंस्टीट्यूट ऑफ वर्ल्ड इकनॉमी ऐंड इंटरनेशनल रिलेशन्स में बदलते विश्व के विषय पर भाषण देते हुए जयशंकर ने कहा कि इन रिश्तों को कई बार हल्के में लिया जाता है. उन्होंने कहा कि इन संबंधों का सतत रूप से समृद्ध होना एक बड़ा कारक है. उन्होंने कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि भारत और रूस के संबंध द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया में सबसे स्थिर संबंधों में से एक हैं.
जयशंकर ने कहा कि रूस के लोग निश्चित रूप से अमेरिका, यूरोप, चीन या जापान या तुर्की अथवा इराक के साथ संबंधों में उतार-चढ़ाव को निश्चित रूप से याद करेंगे. इस हिसाब से विषय-केंद्रित भारतीय भी मानते होंगे कि उनके साथ भी ऐसी स्थिति है. उन्होंने कहा कि जहां तक भारत-रूस के द्विपक्षीय संबंधों की बात है, कई बदलाव हुए हैं और समय-समय पर कुछ मुद्दे रहे हैं. लेकिन अंततोगत्वा भू-राजनीति का तर्क इतना अकाट्य है कि हम इन बदलावों को महज छोटी-मोटी बात समझकर याद रखते हैं.
उन्होंने कहा कि भारत-रूस संबंधों के असाधारण लचीलेपन की निर्विवाद वास्तविकता एक ऐसी अवधारणा है जिसका विश्लेषण होना चाहिए. जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 2014 से अब तक 19 बार मुलाकात कर चुके हैं.
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उन्होंने कहा कि यह तथ्य अपने आप में काफी कुछ बयां करता है. उन्होंने कहा कि हम निश्चित रूप से वार्षिक द्विपक्षीय शिखर-सम्मेलन के लिए राष्ट्रपति पुतिन के भारत में आगमन पर स्वागत को लेकर उत्सुक हैं.
(पीटीआई-भाषा)