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बंदूक की ताकत पर है चीन का शासन, जारी रखेंगे लड़ाई : दलाई लामा

तिब्बत के आध्यात्मिक गुरू दलाई लामा ने बोधगया में कहा कि चीन में तिब्बती बौद्ध धर्म के लोगों की संख्या में इजाफा हुआ है. उन्होंने कहा कि चीन में कम्युनिस्ट शासन बंदूक की ताकत पर चल रहा है.

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दलाई लामा (फाइल फोटो)
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Published : Dec 25, 2019, 4:56 PM IST

पटना : तिब्बत के आध्यात्मिक गुरू दलाई लामा ने चीन में कम्युनिस्ट शासन के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि चीन का कम्युनिस्ट शासन 'बंदूक की ताकत' पर चल रहा है, जिसका तिब्बत के बौद्ध 'सच्चाई की शक्ति' के साथ पुरजोर विरोध कर रहे हैं.

दलाई लामा ने बुधवार को बोधगया में महाबोधि मंदिर में यह बयान दिया. ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर बुद्ध ने दो सहस्त्राब्दि पहले ज्ञान प्राप्त किया था.

वह अपनी एक पखवाड़े तक चलने वाली वार्षिक यात्रा पर मंगलवार की रात बोध गया पहुंचे और इस दौरान उन्होंने प्रवचन दिए.

उन्होंने कहा, 'तीन साल पहले हुए सर्वेक्षण में पता चला कि चीन में तिब्बती बौद्धों की संख्या में बड़ी वृद्धि हुई है. हमारे पास सच की ताकत है, जबकि चीन में कम्युनिस्ट शासन के पास बंदूक की ताकत है.'

नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित दलाई लामा ने नालंदा विश्वविद्यालय का उदाहरण देते हुए 'प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली' और 'अहिंसा, करुणा तथा लोकतंत्र' के उसके गुण की तारीफ की.

उन्होंने कहा, 'सामाजिक प्राणी होने के नाते, हम करुणा के बिना नहीं रह सकते. मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए यह अनिवार्य गुण है. दुनिया अक्सर धर्म के नाम पर हिंसा की चपेट में रहती है. यह नहीं होना चाहिए और मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देना चाहिए.'

चीन में बौद्ध धर्म के प्रसार के बारे में दलाई लामा ने कहा, 'चीन पारंपरिक रूप से बौद्ध देश रहा है. विभिन्न धर्मों के अनुयायियों की तरह बौद्धों की संख्या भी बड़ी है.'

उन्होंने कहा, 'चीन में कई नागरिक तिब्बती बौद्ध धर्म का पालन कर रहे हैं और उसके विश्वविद्यालयों में बड़ी संख्या में बौद्ध शोधार्थी हैं.'

पढ़ें : दलाई लामा बोले - 'हम तिब्बती 60 वर्षों से भारत में रहकर आजादी का आनंद ले रहे'

दलाई लामा ने चीन की जनमुक्ति सेना के दमन के मद्देनजर अपना देश छोड़कर भागने के बाद 1959 में भारत में शरण ली थी.
शहर में सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त किए गए हैं. दलाई लामा यहां 14 दिन तक रुकेंगे.

पिछले साल जनवरी में उनके दौरे के समय कम तीव्रता का बम धमाका हुआ था जो उस स्थान के बेहद करीब हुआ था, जहां कुछ घंटे पहले उन्होंने प्रवचन दिए थे.

पटना : तिब्बत के आध्यात्मिक गुरू दलाई लामा ने चीन में कम्युनिस्ट शासन के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि चीन का कम्युनिस्ट शासन 'बंदूक की ताकत' पर चल रहा है, जिसका तिब्बत के बौद्ध 'सच्चाई की शक्ति' के साथ पुरजोर विरोध कर रहे हैं.

दलाई लामा ने बुधवार को बोधगया में महाबोधि मंदिर में यह बयान दिया. ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर बुद्ध ने दो सहस्त्राब्दि पहले ज्ञान प्राप्त किया था.

वह अपनी एक पखवाड़े तक चलने वाली वार्षिक यात्रा पर मंगलवार की रात बोध गया पहुंचे और इस दौरान उन्होंने प्रवचन दिए.

उन्होंने कहा, 'तीन साल पहले हुए सर्वेक्षण में पता चला कि चीन में तिब्बती बौद्धों की संख्या में बड़ी वृद्धि हुई है. हमारे पास सच की ताकत है, जबकि चीन में कम्युनिस्ट शासन के पास बंदूक की ताकत है.'

नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित दलाई लामा ने नालंदा विश्वविद्यालय का उदाहरण देते हुए 'प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली' और 'अहिंसा, करुणा तथा लोकतंत्र' के उसके गुण की तारीफ की.

उन्होंने कहा, 'सामाजिक प्राणी होने के नाते, हम करुणा के बिना नहीं रह सकते. मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए यह अनिवार्य गुण है. दुनिया अक्सर धर्म के नाम पर हिंसा की चपेट में रहती है. यह नहीं होना चाहिए और मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देना चाहिए.'

चीन में बौद्ध धर्म के प्रसार के बारे में दलाई लामा ने कहा, 'चीन पारंपरिक रूप से बौद्ध देश रहा है. विभिन्न धर्मों के अनुयायियों की तरह बौद्धों की संख्या भी बड़ी है.'

उन्होंने कहा, 'चीन में कई नागरिक तिब्बती बौद्ध धर्म का पालन कर रहे हैं और उसके विश्वविद्यालयों में बड़ी संख्या में बौद्ध शोधार्थी हैं.'

पढ़ें : दलाई लामा बोले - 'हम तिब्बती 60 वर्षों से भारत में रहकर आजादी का आनंद ले रहे'

दलाई लामा ने चीन की जनमुक्ति सेना के दमन के मद्देनजर अपना देश छोड़कर भागने के बाद 1959 में भारत में शरण ली थी.
शहर में सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त किए गए हैं. दलाई लामा यहां 14 दिन तक रुकेंगे.

पिछले साल जनवरी में उनके दौरे के समय कम तीव्रता का बम धमाका हुआ था जो उस स्थान के बेहद करीब हुआ था, जहां कुछ घंटे पहले उन्होंने प्रवचन दिए थे.

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PRI GEN NAT
.GAYA CAL2
BH-LD DALAI LAMA
We will fight Chinas power of the gun with the power of
truth: Dalai Lama
         Gaya (Bihar), Dec 25 (PTI) The Dalai Lama on Wednesday
vowed that Tibetan Buddhists will continue to fight with "the
power of truth" the communist regime in China which, according
to him, thrived on the "power of the gun".
         The Tibetan spiritual leader made the statement at the
Mahabodhi Temple in Bodh Gaya near here, the place where
Buddha is believed to have attained enlightenment more than
two millennia ago.
         He arrived at Bodh Gaya on Tuesday night on his annual
fortnight-long visit of the pilgrim town during which he
offers discourses besides organizing the Kala Chakra
initiation ceremony.
         "A survey conducted three years ago has shown a
massive rise in the number of Tibetan Buddhists in China. We
have the power of truth while the communist regime in China
has the power of the gun," the Dalai Lama said.
         The Buddhist monk, who is also a recipient of the
Nobel Peace Prize, paid glowing tributes to "ancient Indian
education system" and its emphasis on "non-violence,
compassion and democracy" citing the example of the Nalanda
University, the ruins of which lay less than a 100 kilometers
away from Bodh Gaya.
         "As social animals, we cannot do without compassion.
It is a virtue essential to achieving mental peace. The world
is reeling under violence, often in the name of religion. This
must not happen and humanistic values must be promoted," he
added.
         About the spread of Buddhism in China, which has been
officially atheist since the communist revolution, the Dalai
Lama said, "China has traditionally been a Buddhist country.
Among the adherents of various religions, Buddhists are the
largest in number.
         "Moreover, many citizens of China are practising
Tibetan Buddhism and its universities have a large number of
Buddhist scholars," he added.
         The Dalai Lama had sought asylum in India in 1959
after he fled his homeland in the wake of repression by the
Peoples Liberation Army.
         Massive security arrangements are in place in the
temple town, which will remain till the conclusion of the
Dalai Lamas 14-day-long stay.
         His tour here in January last year was rocked by a
low-intensity bomb explosion at the very venue where he had
delivered a discourse a few hours ago. PTI CORR NAC
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