काठमांडू : भारत के विरोध जताने के बाद भी नेपाल की संसद के निचले सदन में नए राजनीतिक नक्शे के लिए किए जा रहे संविधान संशोधन बिल पर आज चर्चा होने जा रही है.
गौरतलब है कि इस विधेयक को 31 मई को संसद में नेपाली कानून मंत्री शिवमया तुंबांगफे ने पेश किया था.
मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिक, संविधान संशोधन बिल के पास होते ही इस विवादित नक्शे को नेपाले में कानूनी वैधता मिल जाएगी.
दरअसल, नेपाल में पदारूढ़ ओली सरकार ने देश के नए मानचित्र को संशोधित करने की पहल की है. नेपाल के सदन पटल पर रखे गए दस्तावेज में देश के नए राजनीतिक मानचित्र और संविधान संशोधन का प्रस्ताव शामिल है.
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भारत के साथ सीमा विवाद के बीच नेपाल ने हाल ही में देश का संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक मानचित्र जारी किया था, जिसमें रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा क्षेत्रों पर दावा किया गया था.
भारत ने इस कदम पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी और कहा था कि 'कृत्रिम रूप से क्षेत्र के विस्तार' को स्वीकार नहीं किया जाएगा.
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गौरतलब है कि संविधान संशोधन के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत होती है. सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी, जो उच्च सदन में दो-तिहाई बहुमत रखती है, निचले सदन में प्रभुत्व की कमी के कारण इसे अन्य दलों से समर्थन लेना पड़ता है.
मुख्य विपक्षी नेपाली कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए समय मांगा और केपी शर्मा ओली सरकार ने 27 मई को संविधान संशोधन को स्थानांतरित करने की अपनी योजना को स्थगित कर दिया.
63 सीटों वाली नेपाली कांग्रेस ने 30 मई को संशोधन प्रस्ताव का समर्थन करने का फैसला किया, जो नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी को अपनी 174 सीटों के साथ आवश्यक दो-तिहाई बहुमत हासिल करने की अनुमति देगा.