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राजनीतिक स्थिति का जायजा लेने नेपाल पहुंचा उच्चस्तरीय चीनी प्रतिनिधिमंडल

नेपाल में चीन की दखलंदाजी कम होने का नाम नहीं ले रही. राजनीतिक स्थिति का जायजा लेने उच्चस्तरीय चीनी प्रतिनिधिमंडल नेपाल पहुंच गया है. पढ़ें रिपोर्ट.

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नेपाल व चीन
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Published : Dec 27, 2020, 6:55 PM IST

काठमांडू : चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के उपमंत्री के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय चीनी प्रतिनिधिमंडल नेपाल की राजनीतिक स्थिति का जायजा लेने के लिए रविवार को काठमांडू पहुंचा. संसद भंग किए जाने और सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के विभाजन के बाद प्रतिनिधिमंडल काठमांडू आया है. यह जानकारी मीडिया की खबरों में दी गई है.

सभी बड़े नेताओं से मिलेंगे

माई रिपब्लिका अखबार ने एनसीपी के वरिष्ठ नेताओं के हवाले से लिखा है कि दौरे के एजेंडे का विशिष्ट ब्यौरा उपलब्ध नहीं है, लेकिन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के अंतरराष्ट्रीय विभाग के उप मंत्री गुओ येझु के नेतृत्व में चार सदस्यीय दल काठमांडू में ठहरने के दौरान उच्चस्तरीय वार्ता करेगा. एक राजनयिक सूत्र का हवाला देते हुए इसने कहा कि दौरे का उद्देश्य नेपाल की प्रतिनिधि सभा के भंग किए जाने और सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में अलगाव के बाद उभरने वाली राजनीतिक स्थिति का जायजा लेना है.

नेपाल का सियासी संकट

बीजिंग समर्थक के रूप में जाने जाने वाले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड के साथ सत्ता को लेकर जारी रस्साकशी के बीच पिछले रविवार को एक अचानक उठाए गए कदम के तहत 275 सदस्यीय संसद को भंग करने की अनुशंसा कर दी थी. प्रधानमंत्री की अनुशंसा पर राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने उसी दिन सदन को भंग कर दिया और 30 अप्रैल तथा दस मई को नये चुनावों की घोषणा की, जिसका प्रचंड के नेतृत्व वाले एनसीपी के बड़े धड़े ने विरोध करना शुरू कर दिया.

चीन पहले भी करता रहा है हस्तक्षेप

खबर में बताया गया है कि इस बीच काठमांडू में चीनी दूतावास और विदेश मंत्रालय गुओ के दौरे को लेकर चुप है. इस हफ्ते की शुरुआत में नेपाल में चीन की राजदूत होऊ यांकी ने प्रचंड और ओली धड़े के एनसीपी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक में गुओ के दौरे के बारे में जानकारी दी थी. उप मंत्री गुओ दोनों धड़ों के नेताओं के साथ बैठक करने वाले हैं. संसद भंग करने के ओली के कदम और इससे उत्पन्न राजनीतिक स्थिति से बीजिंग चिंतित प्रतीत होता है. संसद भंग करने के तुरंत बाद चीन की राजदूत ने नेपाल में शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व के साथ अपनी बैठकें तेज कर दी थीं. होऊ राष्ट्रपति भंडारी, एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रचंड और माधव कुमार नेपाल, पूर्व संसद अध्यक्ष कृष्ण बहादुर महारा और बरशा मान पुन सहित कई नेताओं से मुलाकात कर चुकी हैं. चीन पहले भी कई बार संकट के समय नेपाल के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप कर चुका है.

काठमांडू : चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के उपमंत्री के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय चीनी प्रतिनिधिमंडल नेपाल की राजनीतिक स्थिति का जायजा लेने के लिए रविवार को काठमांडू पहुंचा. संसद भंग किए जाने और सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के विभाजन के बाद प्रतिनिधिमंडल काठमांडू आया है. यह जानकारी मीडिया की खबरों में दी गई है.

सभी बड़े नेताओं से मिलेंगे

माई रिपब्लिका अखबार ने एनसीपी के वरिष्ठ नेताओं के हवाले से लिखा है कि दौरे के एजेंडे का विशिष्ट ब्यौरा उपलब्ध नहीं है, लेकिन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के अंतरराष्ट्रीय विभाग के उप मंत्री गुओ येझु के नेतृत्व में चार सदस्यीय दल काठमांडू में ठहरने के दौरान उच्चस्तरीय वार्ता करेगा. एक राजनयिक सूत्र का हवाला देते हुए इसने कहा कि दौरे का उद्देश्य नेपाल की प्रतिनिधि सभा के भंग किए जाने और सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में अलगाव के बाद उभरने वाली राजनीतिक स्थिति का जायजा लेना है.

नेपाल का सियासी संकट

बीजिंग समर्थक के रूप में जाने जाने वाले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड के साथ सत्ता को लेकर जारी रस्साकशी के बीच पिछले रविवार को एक अचानक उठाए गए कदम के तहत 275 सदस्यीय संसद को भंग करने की अनुशंसा कर दी थी. प्रधानमंत्री की अनुशंसा पर राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने उसी दिन सदन को भंग कर दिया और 30 अप्रैल तथा दस मई को नये चुनावों की घोषणा की, जिसका प्रचंड के नेतृत्व वाले एनसीपी के बड़े धड़े ने विरोध करना शुरू कर दिया.

चीन पहले भी करता रहा है हस्तक्षेप

खबर में बताया गया है कि इस बीच काठमांडू में चीनी दूतावास और विदेश मंत्रालय गुओ के दौरे को लेकर चुप है. इस हफ्ते की शुरुआत में नेपाल में चीन की राजदूत होऊ यांकी ने प्रचंड और ओली धड़े के एनसीपी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक में गुओ के दौरे के बारे में जानकारी दी थी. उप मंत्री गुओ दोनों धड़ों के नेताओं के साथ बैठक करने वाले हैं. संसद भंग करने के ओली के कदम और इससे उत्पन्न राजनीतिक स्थिति से बीजिंग चिंतित प्रतीत होता है. संसद भंग करने के तुरंत बाद चीन की राजदूत ने नेपाल में शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व के साथ अपनी बैठकें तेज कर दी थीं. होऊ राष्ट्रपति भंडारी, एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रचंड और माधव कुमार नेपाल, पूर्व संसद अध्यक्ष कृष्ण बहादुर महारा और बरशा मान पुन सहित कई नेताओं से मुलाकात कर चुकी हैं. चीन पहले भी कई बार संकट के समय नेपाल के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप कर चुका है.

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