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चीन आर्थिक रूप से कमजोर देशों के भ्रष्ट नेताओं का इस्तेमाल करता है: रिपोर्ट

कई मामलों में बिना किसी सलाह मशवरे के नेपाली प्रधानमंत्री केपी ओली ने चीन को फायदा पहुंचाया. मई 2019 में नेपाल दूरसंचार ने देश में रेडियो एक्सेस नेटवर्क विकसित करने के लिए हांगकांग की कंपनी चीन संचार सेवा के साथ समझौता किया. साथ ही नेपाल दूरसंचार के लिए 4G नेटवर्क इंस्टॉल करने के लिए चीन की दूरसंचार उपकरण निर्माता जेडटीई के साथ समझौता किया. यह परियोजना 130 मिलियन यूरो के आसपास की है.

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Published : Jul 13, 2020, 9:26 PM IST

चीन के पैंतरों से बच के !
चीन के पैंतरों से बच के !

काठमांडूः ग्लोबल वॉच एनालिसिस की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन ऐसे देशों में घुसने की कोशिश कर रहा है जो आर्थिक रूप से कमजोर है और इसके लिए वह उन देशों के भ्रष्ट नेताओं का इस्तेमाल करता है.

रोलांड जैक्वार्ड बताते हैं कि चीन की यह नीति उनके कंपनियों को न केवल उस देश में अपने व्यापारिक हितों को आगे बढ़ाने में मदद करता है, बल्कि उस देश में अपने दीर्घकालिक प्रभाव को भी सुनिश्चित भी करता है और यहां के अंदरूनी मामलों में अपने दखल को आसान बना लेता है.

रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की निजी संपत्ति में पिछले कुछ वर्षों में वृद्धि हुई है. बताया जा रहा है कि वो अपनी संपत्तियों का ब्योरा नहीं दे रहे. विदेशों में भी उनकी संपत्ति होने की संभावना व्यक्त की जा रही है.

जैक्वार्ड लिखते हैं कि विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि उनका जेनेवा के मीराबॉड बैंक में एक खाता है, जो बुलेवार्ड जॉर्जेस-फेवॉन में एक गुमनाम बिल्डिंग में है. उन्होंने आगे बताया कि उस खाते में 5.5 मिलियन अमेरिकन डॉलर्स हैं जो शेयर्स और एफडी के रूप में हैं जिनसे ओली और उनकी पत्नी राधिका शाक्य को हर साल आधा मिलियन डॉलर मिलते हैं.

जैक्वार्ड ने ओली के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को उदाहरण देकर बताया जो उन्होंने चीनी कंपनियों को सहयोग देकर व्यापारिक सौदों में कमीशन के रूप में कमाए.

2015-16 में नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में ओली के पहले कार्यकाल के दौरान यह खबर थी कि नेपाल में तत्कालीन चीनी राजदूत वू चुन्ताई की मदद से उन्होंने कंबोडिया में दूरसंचार क्षेत्र में निवेश करने के लिए प्रक्रिया शुरू की थी.

इस सौदे को नेपाली व्यवसायी एंग शेरिंग शेरपा ने, जो ओली के करीबी विश्वासपात्र हैं, कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन सेन के हस्तक्षेप और नोम फेह के शीर्ष चीनी राजनयिक बो जियानगेओ के सहयोग से अंतिम रूप दिया गया था.

इसी तरह के भ्रष्टाचार के आरोप ओली के दूसरे कार्यकाल में भी लगे. ओली जितनी बार भी प्रधानमंत्री रहे उन्होंने चीनी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए नेपाली सरकार के नियमों में उलट-फेर किया.

दिसंबर 2018 में डिजिटल एक्शन रूम बनाने के लिए कॉन्ट्रैक्ट बनाया गया जिसे चीनी टेलीकॉम कंपनी हुवेई को बिना बोली लगाए दे दिया गया और सरकार की स्वामित्व वाली नेपाल दूरसंचार कंपनी को दरकिनार कर दिया गया जो इसकी एक्सपर्ट थी.

रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि बाद में जांच से पता चला कि प्रधानमंत्री के राजनीतिक सलाहकार बिष्णु रिमाल के बेटे ने वित्तीय लाभ के लिए इस सौदे को आगे बढ़ाया था.

ऐसे कई मामलों में बिना किसी सलाह मशवरे के नेपाली प्रधानमंत्री ओली ने चीन को फायदा पहुंचाया. मई 2019 में नेपाल दूरसंचार ने नेपाल में रेडियो एक्सेस नेटवर्क विकसित करने के लिए हांगकांग की कंपनी चीन संचार सेवा के साथ एक समझौता किया. साथ ही नेपाल दूरसंचार के लिए 4G नेटवर्क इंस्टॉल करने के लिए चीन की दूरसंचार उपकरण निर्माता जेडटीई के साथ समझौता किया. ये परियोजना करीब नेपाली रुपए 19 बिलियन या 130 मिलियन यूरो के आसपास की है.

जून में कोरोना वायरस महामारी से निपटने में सरकार के नाकाम प्रयासों को लेकर छात्रों ने ओली शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. चीनी कंपनियों के बनाए हुए सुरक्षात्मक गियर, परीक्षण उपकरण की खरीद में कथित भ्रष्टाचार, जो दोषपूर्ण और महंगे पाए गए, के खिलाफ भी विरोध प्रदर्शन किया गया.

ग्लोबल वाच एनालिसिस में कहा गया है कि प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि सरकार ने कोरोना महामारी के खिलाफ खर्च हुए 10 बिलियन नेपाली रुपए का ब्योरा दें.

नेपाल के स्वास्थ्य मंत्री और पीएम ओली के करीबियों पर मेडिकल उपकरणों की खरीद के लिए रिश्वत लेने के आरोपों की पहले से जांच चल रही है.

ऐसी स्थिति में जबकि चीन नेपाल में लगातार घुसपैठ कर रहा है, नेपाल में बढ़ रहा भ्रष्टाचार बड़े पैमाने पर केपी शर्मा ओली और चीनी लाभार्थियों को फायदा पहुंचाता है.

काठमांडूः ग्लोबल वॉच एनालिसिस की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन ऐसे देशों में घुसने की कोशिश कर रहा है जो आर्थिक रूप से कमजोर है और इसके लिए वह उन देशों के भ्रष्ट नेताओं का इस्तेमाल करता है.

रोलांड जैक्वार्ड बताते हैं कि चीन की यह नीति उनके कंपनियों को न केवल उस देश में अपने व्यापारिक हितों को आगे बढ़ाने में मदद करता है, बल्कि उस देश में अपने दीर्घकालिक प्रभाव को भी सुनिश्चित भी करता है और यहां के अंदरूनी मामलों में अपने दखल को आसान बना लेता है.

रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की निजी संपत्ति में पिछले कुछ वर्षों में वृद्धि हुई है. बताया जा रहा है कि वो अपनी संपत्तियों का ब्योरा नहीं दे रहे. विदेशों में भी उनकी संपत्ति होने की संभावना व्यक्त की जा रही है.

जैक्वार्ड लिखते हैं कि विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि उनका जेनेवा के मीराबॉड बैंक में एक खाता है, जो बुलेवार्ड जॉर्जेस-फेवॉन में एक गुमनाम बिल्डिंग में है. उन्होंने आगे बताया कि उस खाते में 5.5 मिलियन अमेरिकन डॉलर्स हैं जो शेयर्स और एफडी के रूप में हैं जिनसे ओली और उनकी पत्नी राधिका शाक्य को हर साल आधा मिलियन डॉलर मिलते हैं.

जैक्वार्ड ने ओली के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को उदाहरण देकर बताया जो उन्होंने चीनी कंपनियों को सहयोग देकर व्यापारिक सौदों में कमीशन के रूप में कमाए.

2015-16 में नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में ओली के पहले कार्यकाल के दौरान यह खबर थी कि नेपाल में तत्कालीन चीनी राजदूत वू चुन्ताई की मदद से उन्होंने कंबोडिया में दूरसंचार क्षेत्र में निवेश करने के लिए प्रक्रिया शुरू की थी.

इस सौदे को नेपाली व्यवसायी एंग शेरिंग शेरपा ने, जो ओली के करीबी विश्वासपात्र हैं, कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन सेन के हस्तक्षेप और नोम फेह के शीर्ष चीनी राजनयिक बो जियानगेओ के सहयोग से अंतिम रूप दिया गया था.

इसी तरह के भ्रष्टाचार के आरोप ओली के दूसरे कार्यकाल में भी लगे. ओली जितनी बार भी प्रधानमंत्री रहे उन्होंने चीनी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए नेपाली सरकार के नियमों में उलट-फेर किया.

दिसंबर 2018 में डिजिटल एक्शन रूम बनाने के लिए कॉन्ट्रैक्ट बनाया गया जिसे चीनी टेलीकॉम कंपनी हुवेई को बिना बोली लगाए दे दिया गया और सरकार की स्वामित्व वाली नेपाल दूरसंचार कंपनी को दरकिनार कर दिया गया जो इसकी एक्सपर्ट थी.

रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि बाद में जांच से पता चला कि प्रधानमंत्री के राजनीतिक सलाहकार बिष्णु रिमाल के बेटे ने वित्तीय लाभ के लिए इस सौदे को आगे बढ़ाया था.

ऐसे कई मामलों में बिना किसी सलाह मशवरे के नेपाली प्रधानमंत्री ओली ने चीन को फायदा पहुंचाया. मई 2019 में नेपाल दूरसंचार ने नेपाल में रेडियो एक्सेस नेटवर्क विकसित करने के लिए हांगकांग की कंपनी चीन संचार सेवा के साथ एक समझौता किया. साथ ही नेपाल दूरसंचार के लिए 4G नेटवर्क इंस्टॉल करने के लिए चीन की दूरसंचार उपकरण निर्माता जेडटीई के साथ समझौता किया. ये परियोजना करीब नेपाली रुपए 19 बिलियन या 130 मिलियन यूरो के आसपास की है.

जून में कोरोना वायरस महामारी से निपटने में सरकार के नाकाम प्रयासों को लेकर छात्रों ने ओली शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. चीनी कंपनियों के बनाए हुए सुरक्षात्मक गियर, परीक्षण उपकरण की खरीद में कथित भ्रष्टाचार, जो दोषपूर्ण और महंगे पाए गए, के खिलाफ भी विरोध प्रदर्शन किया गया.

ग्लोबल वाच एनालिसिस में कहा गया है कि प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि सरकार ने कोरोना महामारी के खिलाफ खर्च हुए 10 बिलियन नेपाली रुपए का ब्योरा दें.

नेपाल के स्वास्थ्य मंत्री और पीएम ओली के करीबियों पर मेडिकल उपकरणों की खरीद के लिए रिश्वत लेने के आरोपों की पहले से जांच चल रही है.

ऐसी स्थिति में जबकि चीन नेपाल में लगातार घुसपैठ कर रहा है, नेपाल में बढ़ रहा भ्रष्टाचार बड़े पैमाने पर केपी शर्मा ओली और चीनी लाभार्थियों को फायदा पहुंचाता है.

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