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माउंट एवरेस्ट की संयुक्त नपाई नेपाल के साथ संबंधों में नया मील का पत्थर : चीन

नेपाल और चीन के साझा सर्वे में माउंट एवरेस्‍ट की ऊंचाई को पहले से अधिक बताया गया है. दुनिया की इस सबसे ऊंची चोटी की ऊंचाई को सबसे पहले भारत ने ही नापा था. इसको लेकर चीन और नेपाल में समझौता हुआ था. चीन के राष्ट्रपति शी जीन पिंग और उनकी नेपाली समकक्ष बिद्या देवी ने सथ मिलकर माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई की घोषणा की. इसको दोनों देशों के बीच गहराते रिश्तों की तरह देखा जा रहा है. पढ़ें वरिष्ठ संवादाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

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माउंट एवरेस्ट
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Published : Dec 9, 2020, 7:52 PM IST

Updated : Dec 10, 2020, 1:10 AM IST

बीजिंग : चीन ने नेपाल के साथ मिलकर माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई नापने के संयुक्त प्रयास को बुधवार को दोनों देशों के बीच मित्रता में मील का नया पत्थर बताया. इनके सरकारी मीडिया ने कहा कि यह कुछ बचे द्विपक्षीय विवादों के समाधान के लिए महत्वपूर्ण कदम है.

माउंट एवरेस्स्ट को फिर से नापने के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जीन पिंग और उनकी नेपाली समकक्ष बिद्या देवी ने सथ मिलकर माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई की घोषणा की कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी अब 86 सेंटीमीटर और ऊंची है और अब इसकी ऊंचाई 8848.86 मीटर है. भारत ने छह दशक पहले 1954 में माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई नापी थी.

इस मौके पर दोनों देशों के बीच पारंपरिक संबंधों को रेखांकित करने के लिए भी किया गया. यही नहीं, चीनी मीडिया ने यारलुंग त्सेंगपो पर बांध बनाने के भारत के विरोध को यह कहकर खारिज कर दिया कि यह नेपाल की बिजली जरूरतों को पूरा करेगा. इससे जुड़ा लेख ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित किया गया था.

लेख में शंघाई इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज में रिसर्च सेंटर फॉर चाइना-साउथ एशिया कोऑपरेशन के प्रमुख लियू जोंगी ने लिखा कि जलविद्युत विकास के संदर्भ में, यारलुंग जंगबो नदी, (भारतीय सीमा के सबसे करीबी हिस्सा) सबसे अधिक बिजली उत्पन्न कर सकती है...नेपाल में उच्च-वोल्टेज संचरण के लिए लाइनें बनाई जा रही हैं. जलविद्युत परियोजना शुरू होने के बाद, यह चीन के पड़ोसी देशों के विकास को बढ़ावा देने के लिए बहुत आवश्यक ऊर्जा प्रदान करेगा. ऐसे लेख चीन की सोच को दर्शाते हैं.

चीनी जनरल का नेपाल दौरा
29 नवंबर को चीनी रक्षा मंत्री वेई फेगहे, जो चीन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) में भी एक जनरल हैं, 20 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ काठमांडू गए थे. वहां उन्होंने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से मुलाकात की, जो नेपाल के रक्षा मंत्री भी हैं. इस दौरान राष्ट्रपति भंडारी और सेना प्रमुख पूर्ण चंद्र थापा भी मौजूद थे. ऐसा माना जा रहा है कि दोनों देशों की बीच कई सैन्य समझौते हुए. 20 वर्षों में किसी चीनी रक्षा मंत्री का यह दूसरा नेपाल दौरा था.

इसी के ठीक बाद 24 नवंबर को चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग के दो अधिकारियों ने नेपाल का दौरा किया था.

भारतीय अधिकारियों का नेपाल दौरा
चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग के अधिकारियों दौरे के ठीक बाद 26 नवंबर को भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला की दो दिवसीय काठमांडू यात्रा शुरू हुई थी. नवबंर 3 को भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे तीन दिवसीय नेपाल की यात्रा पर गए थे. अक्टूबर में रॉ प्रमुख सामंत कुमार गोयल नेपाल के दौरे पर गए थे.

दशकों पुराने विवाद का अंत
माउंट एवरेस्ट की संशोधित ऊंचाई से दोनों पड़ोसियों के बीच दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत की ऊंचाई को लेकर दशकों पुराने विवाद का अंत हो गया.

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि माउंट कोमोलांगमा की नई ऊंचाई चीन-नेपाल मित्रता में मील का नया पत्थर है.

कूटनीतिक संबंधों की 65वीं वर्षगांठ
उन्होंने कहा, इस वर्ष दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों की 65वीं वर्षगांठ है. समन्वित प्रयासों के साथ बीआरआई (बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव) सहयोग धीरे-धीरे आगे बढ़ा है. झाओ ने कहा, माउंट कोमोलांगमा की नई ऊंचाई चीन-नेपाल सहयोग में नई ऊंचाई का प्रतीक है.

पढ़ें: एलएसी के पास सैन्य शिविर विकसित कर रहा चीन

संयुक्त सर्वेक्षण इसलिए महत्वपूर्ण है कि चीन का मत 2018 में माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई को लेकर नेपाल से भिन्न था.

बीजिंग : चीन ने नेपाल के साथ मिलकर माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई नापने के संयुक्त प्रयास को बुधवार को दोनों देशों के बीच मित्रता में मील का नया पत्थर बताया. इनके सरकारी मीडिया ने कहा कि यह कुछ बचे द्विपक्षीय विवादों के समाधान के लिए महत्वपूर्ण कदम है.

माउंट एवरेस्स्ट को फिर से नापने के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जीन पिंग और उनकी नेपाली समकक्ष बिद्या देवी ने सथ मिलकर माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई की घोषणा की कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी अब 86 सेंटीमीटर और ऊंची है और अब इसकी ऊंचाई 8848.86 मीटर है. भारत ने छह दशक पहले 1954 में माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई नापी थी.

इस मौके पर दोनों देशों के बीच पारंपरिक संबंधों को रेखांकित करने के लिए भी किया गया. यही नहीं, चीनी मीडिया ने यारलुंग त्सेंगपो पर बांध बनाने के भारत के विरोध को यह कहकर खारिज कर दिया कि यह नेपाल की बिजली जरूरतों को पूरा करेगा. इससे जुड़ा लेख ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित किया गया था.

लेख में शंघाई इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज में रिसर्च सेंटर फॉर चाइना-साउथ एशिया कोऑपरेशन के प्रमुख लियू जोंगी ने लिखा कि जलविद्युत विकास के संदर्भ में, यारलुंग जंगबो नदी, (भारतीय सीमा के सबसे करीबी हिस्सा) सबसे अधिक बिजली उत्पन्न कर सकती है...नेपाल में उच्च-वोल्टेज संचरण के लिए लाइनें बनाई जा रही हैं. जलविद्युत परियोजना शुरू होने के बाद, यह चीन के पड़ोसी देशों के विकास को बढ़ावा देने के लिए बहुत आवश्यक ऊर्जा प्रदान करेगा. ऐसे लेख चीन की सोच को दर्शाते हैं.

चीनी जनरल का नेपाल दौरा
29 नवंबर को चीनी रक्षा मंत्री वेई फेगहे, जो चीन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) में भी एक जनरल हैं, 20 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ काठमांडू गए थे. वहां उन्होंने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से मुलाकात की, जो नेपाल के रक्षा मंत्री भी हैं. इस दौरान राष्ट्रपति भंडारी और सेना प्रमुख पूर्ण चंद्र थापा भी मौजूद थे. ऐसा माना जा रहा है कि दोनों देशों की बीच कई सैन्य समझौते हुए. 20 वर्षों में किसी चीनी रक्षा मंत्री का यह दूसरा नेपाल दौरा था.

इसी के ठीक बाद 24 नवंबर को चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग के दो अधिकारियों ने नेपाल का दौरा किया था.

भारतीय अधिकारियों का नेपाल दौरा
चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग के अधिकारियों दौरे के ठीक बाद 26 नवंबर को भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला की दो दिवसीय काठमांडू यात्रा शुरू हुई थी. नवबंर 3 को भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे तीन दिवसीय नेपाल की यात्रा पर गए थे. अक्टूबर में रॉ प्रमुख सामंत कुमार गोयल नेपाल के दौरे पर गए थे.

दशकों पुराने विवाद का अंत
माउंट एवरेस्ट की संशोधित ऊंचाई से दोनों पड़ोसियों के बीच दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत की ऊंचाई को लेकर दशकों पुराने विवाद का अंत हो गया.

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि माउंट कोमोलांगमा की नई ऊंचाई चीन-नेपाल मित्रता में मील का नया पत्थर है.

कूटनीतिक संबंधों की 65वीं वर्षगांठ
उन्होंने कहा, इस वर्ष दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों की 65वीं वर्षगांठ है. समन्वित प्रयासों के साथ बीआरआई (बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव) सहयोग धीरे-धीरे आगे बढ़ा है. झाओ ने कहा, माउंट कोमोलांगमा की नई ऊंचाई चीन-नेपाल सहयोग में नई ऊंचाई का प्रतीक है.

पढ़ें: एलएसी के पास सैन्य शिविर विकसित कर रहा चीन

संयुक्त सर्वेक्षण इसलिए महत्वपूर्ण है कि चीन का मत 2018 में माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई को लेकर नेपाल से भिन्न था.

Last Updated : Dec 10, 2020, 1:10 AM IST
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