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बलात्कार के मामले 72 घंटे बाद दर्ज नहीं करने की टिप्पणी करने वाली बांग्लादेश की न्यायाधीश निलंबित

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Published : Nov 16, 2021, 7:08 AM IST

ढाका के सातवें महिला एवं बाल दमन रोकथाम न्यायाधिकरण की न्यायाधीश बेगम मोसम्मात कमरुन्नाहर नाहर ने 2017 के एक मामले में सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की थी. इस मामले में पांच युवाओं पर ढाका के बनानी इलाके में एक महंगे होटल में कॉलेज में पढ़ने वाली दो छात्राओं से बलात्कार का आरोप था.

बांग्लादेश की न्यायाधीश निलंबित
बांग्लादेश की न्यायाधीश निलंबित

ढाका: बांग्लादेश के उच्चतम न्यायालय ने उस महिला न्यायाधीश को अदालती कार्य से मुक्त कर दिया है, जिसने अपने फैसले में विवादित टिप्पणी की थी कि बलात्कार के मामले घटना होने के 72 घंटे बाद दर्ज नहीं किए जाने चाहिए. मीडिया में आई खबरों में यह जानकारी सामने आई है.

'ढाका ट्रिब्यून' ने खबर दी कि ढाका के सातवें महिला एवं बाल दमन रोकथाम न्यायाधिकरण की न्यायाधीश बेगम मोसम्मात कमरुन्नाहर नाहर ने 2017 के एक मामले में सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की थी. इस मामले में पांच युवाओं पर ढाका के बनानी इलाके में एक महंगे होटल में कॉलेज में पढ़ने वाली दो छात्राओं से बलात्कार का आरोप था.

'डेली स्टार' समाचार-पत्र ने रविवार को खबर दी कि उच्चतम न्यायालय के प्रवक्ता मोहम्मद सैफुर रहमान ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि न्यायाधीश कमरुन्नाहर को उनके अदालती कार्य से मुक्त कर दिया गया है. बयान में कहा गया कि न्यायाधीश को निलंबित करने का फैसला अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों के साथ विचार-विमर्श के बाद लिया गया.

इसमें बताया गया, उच्चतम न्यायालय ने आज कानून मंत्रालय को एक पत्र भेजकर न्यायाधीश को उनके मौजूदा कार्यस्थल से हटाने और न्यायिक शक्तियां अस्थायी तौर पर वापस लेने तथा उन्हें कानून मंत्रालय के कानून एवं न्याय विभाग के साथ जोड़ने को कहा है. न्यायाधीश कमरुन्नाहर ने 11 नवंबर को सुनवाई के दौरान, सबूतों के अभाव का हवाला देते हुए सभी पांचों आरोपियों को बरी कर दिया था और कहा: पुलिस अधिकारी ने जनता का समय बर्बाद किया और अपराध के 72 घंटे बाद बलात्कार का कोई मामला दर्ज नहीं किया जाना चाहिए.

पीटीआई-भाषा

ढाका: बांग्लादेश के उच्चतम न्यायालय ने उस महिला न्यायाधीश को अदालती कार्य से मुक्त कर दिया है, जिसने अपने फैसले में विवादित टिप्पणी की थी कि बलात्कार के मामले घटना होने के 72 घंटे बाद दर्ज नहीं किए जाने चाहिए. मीडिया में आई खबरों में यह जानकारी सामने आई है.

'ढाका ट्रिब्यून' ने खबर दी कि ढाका के सातवें महिला एवं बाल दमन रोकथाम न्यायाधिकरण की न्यायाधीश बेगम मोसम्मात कमरुन्नाहर नाहर ने 2017 के एक मामले में सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की थी. इस मामले में पांच युवाओं पर ढाका के बनानी इलाके में एक महंगे होटल में कॉलेज में पढ़ने वाली दो छात्राओं से बलात्कार का आरोप था.

'डेली स्टार' समाचार-पत्र ने रविवार को खबर दी कि उच्चतम न्यायालय के प्रवक्ता मोहम्मद सैफुर रहमान ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि न्यायाधीश कमरुन्नाहर को उनके अदालती कार्य से मुक्त कर दिया गया है. बयान में कहा गया कि न्यायाधीश को निलंबित करने का फैसला अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों के साथ विचार-विमर्श के बाद लिया गया.

इसमें बताया गया, उच्चतम न्यायालय ने आज कानून मंत्रालय को एक पत्र भेजकर न्यायाधीश को उनके मौजूदा कार्यस्थल से हटाने और न्यायिक शक्तियां अस्थायी तौर पर वापस लेने तथा उन्हें कानून मंत्रालय के कानून एवं न्याय विभाग के साथ जोड़ने को कहा है. न्यायाधीश कमरुन्नाहर ने 11 नवंबर को सुनवाई के दौरान, सबूतों के अभाव का हवाला देते हुए सभी पांचों आरोपियों को बरी कर दिया था और कहा: पुलिस अधिकारी ने जनता का समय बर्बाद किया और अपराध के 72 घंटे बाद बलात्कार का कोई मामला दर्ज नहीं किया जाना चाहिए.

पीटीआई-भाषा

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