ETV Bharat / international

टूटे मनोबल, भ्रष्टाचार में बढ़ोतरी से जूझ रही है अफगान सेना

देश के लिए तालिबान के खिलाफ लड़ाई में अपने दोनों पैर व एक हाथ गंवा देने वाले अफगान सेना के जवान अब्दुल्लाह मोहम्मदी अफगान सरकार के रवैये से खफा हैं. उन्हें 11 महीने से पेंशन नही मिली है. इसी तरह अफगान सेना में दिए जाने वाले उपकरण व सामग्रियों की गुणवत्ता खराब होने से जवानों में नाराजगी है.

अफगान सेना
अफगान सेना
author img

By

Published : May 27, 2021, 5:25 PM IST

काबुल : अपने देश के लिए जान भी कुर्बान कर देने की भावना रखने वाले अफगान सेना के जवान अब्दुल्लाह मोहम्मदी ने तालिबान के खिलाफ भीषण लड़ाई में अपने दोनों पैर और एक हाथ गंवा दिए, लेकिन उनके इस बलिदान का सम्मान नहीं किए जाने के कारण वह अब अफगान सरकार से खफा हैं.

अफगानिस्तान की 'नेशनल डिफेंस एंड सिक्योरिटी फोर्सेस' के कंधों पर तालिबान से निपटने की जिम्मेदारी है, लेकिन यह बल अपने क्षेत्र को बरकरार रखने के लिए संघर्ष कर रहा है. सेना में भ्रष्टाचार में बढ़ोतरी के कारण मोहम्मदी जैसे कई जवानों का मनोबल गिर गया है.

दोनों पैर और एक हाथ गंवा चुके मोहम्मदी को 11 माह से नहीं मिल पेंशन

तालिबान के खिलाफ संघर्ष में छह साल पहले अपने दोनों पैर और एक हाथ गंवा चुके मोहम्मदी ने कहा, 'मैंने अपने देश के लिए जो कुर्बानी दी, मुझे उस पर गर्व है.' लेकिन वह सरकार से खफा हैं, क्योंकि पिछले 11 महीने से उन्हें पेंशन नहीं मिली है और वह अपने परिवार एवं मित्रों से उधार मांगने पर मजबूर हैं. उन्होंने कहा, 'मैं नाराज हूं. मुझे लगता है कि मेरी गरिमा का अपमान किया गया है. मेरा जीवन संघर्ष बन गया है.' सैन्य विशेषज्ञों ने सचेत किया है कि बल के जवान पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित नहीं है और उनके पास पर्याप्त हथियार नहीं है.

अमेरिकी सैन्य वापसी से तालिबान को मजबूत होना आसान होगा

अफगानिस्तान में पिछले करीब 20 साल से तैनात अमेरिका के शेष 2,300 से 3,500 जवान और नाटो बलों के करीब सात हजार जवान 11 सितंबर तक देश से चले जाएंगे. 'अमेरिकी फाउंडेशन फॉर द डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज' में वरिष्ठ फेलो और सैन्य गतिविधियों पर नजर रखने वाली पत्रिका 'लॉन्ग वार' के संपादक बिल रोजियो ने कहा कि अमेरिकी सैन्य समर्थन की गैर मौजूदगी में तालिबान के लिए फिर से मजबूत होना आसान हो जाएगा.अफगानिस्तान में सरकार की मुख्य कस्बों एवं शहरों में ही पकड़ है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में तालिबान का प्रभुत्व है. पिछले दो सप्ताह में तालिबान ने काबुल के दक्षिण पश्चिम में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण एक अहम कस्बे समेत उन चार जिला केंद्रों पर कब्जा कर लिया है, जो अफगानिस्तान के उत्तर और दक्षिण को जोड़ने वाले मुख्य राजमार्ग पर स्थित हैं.

अफगान सेना के उपकरण व सामग्रियों की गुणवत्ता खराब

सरकारी अधिकारियों ने बताया कि लघमन प्रांत की राजधानी मेहतर लाम में शहर की रक्षा करने वाली चौकियों को पुलिस और सेना ने खाली छोड़ दिया, जिसके बाद इस सप्ताह तालिबान ने मेहतर लाम में प्रवेश कर लिया. चौकियों को छोड़ने के लिए 100 से अधिक सैन्य कर्मियों को काबुल बुलाकर फटकारा गया. अफगान सेना के जवानों की शिकायत है कि उन्हें दिए जाने वाले उपकरण एवं सामग्रियां खराब गुणवत्ता की हैं. जवानों का कहना है कि सैन्य जूते जैसी चीजें भी कुछ ही सप्ताह में खराब हो जाती हैं, क्योंकि भ्रष्ट ठेकेदार खराब कच्चे माल का इस्तेमाल करते है.

पुलिस चौकी के बंकर में क्षमता से अधिक जवान

'एपी' ने इस माह की शुरुआत में एक पुलिस चौकी में पाया कि वहां बने एक बंकर में क्षमता से अधिक जवान रह रहे थे. तालिबान के हमलों का अकसर शिकार होने वाले सुरक्षा काफिले की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने वाले इन जवानों के पास पर्याप्त हथियार भी नहीं है. अफगान सरकार ने सुरक्षा बलों के हताहत होने वाले जवानों का आंकड़ा जारी करना काफी पहले ही बंद कर दिया था, लेकिन एक पूर्व वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने 'एपी' को बताया कि हर रोज करीब 100-110 सुरक्षा कर्मी हताहत हो रहे हैं.

पढ़ें - काबुल में अपना दूतावास बंद करेगा ऑस्ट्रेलिया, अन्य देश वापस बुलायेंगे अपने कर्मी

पीटीआई (भाषा)

काबुल : अपने देश के लिए जान भी कुर्बान कर देने की भावना रखने वाले अफगान सेना के जवान अब्दुल्लाह मोहम्मदी ने तालिबान के खिलाफ भीषण लड़ाई में अपने दोनों पैर और एक हाथ गंवा दिए, लेकिन उनके इस बलिदान का सम्मान नहीं किए जाने के कारण वह अब अफगान सरकार से खफा हैं.

अफगानिस्तान की 'नेशनल डिफेंस एंड सिक्योरिटी फोर्सेस' के कंधों पर तालिबान से निपटने की जिम्मेदारी है, लेकिन यह बल अपने क्षेत्र को बरकरार रखने के लिए संघर्ष कर रहा है. सेना में भ्रष्टाचार में बढ़ोतरी के कारण मोहम्मदी जैसे कई जवानों का मनोबल गिर गया है.

दोनों पैर और एक हाथ गंवा चुके मोहम्मदी को 11 माह से नहीं मिल पेंशन

तालिबान के खिलाफ संघर्ष में छह साल पहले अपने दोनों पैर और एक हाथ गंवा चुके मोहम्मदी ने कहा, 'मैंने अपने देश के लिए जो कुर्बानी दी, मुझे उस पर गर्व है.' लेकिन वह सरकार से खफा हैं, क्योंकि पिछले 11 महीने से उन्हें पेंशन नहीं मिली है और वह अपने परिवार एवं मित्रों से उधार मांगने पर मजबूर हैं. उन्होंने कहा, 'मैं नाराज हूं. मुझे लगता है कि मेरी गरिमा का अपमान किया गया है. मेरा जीवन संघर्ष बन गया है.' सैन्य विशेषज्ञों ने सचेत किया है कि बल के जवान पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित नहीं है और उनके पास पर्याप्त हथियार नहीं है.

अमेरिकी सैन्य वापसी से तालिबान को मजबूत होना आसान होगा

अफगानिस्तान में पिछले करीब 20 साल से तैनात अमेरिका के शेष 2,300 से 3,500 जवान और नाटो बलों के करीब सात हजार जवान 11 सितंबर तक देश से चले जाएंगे. 'अमेरिकी फाउंडेशन फॉर द डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज' में वरिष्ठ फेलो और सैन्य गतिविधियों पर नजर रखने वाली पत्रिका 'लॉन्ग वार' के संपादक बिल रोजियो ने कहा कि अमेरिकी सैन्य समर्थन की गैर मौजूदगी में तालिबान के लिए फिर से मजबूत होना आसान हो जाएगा.अफगानिस्तान में सरकार की मुख्य कस्बों एवं शहरों में ही पकड़ है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में तालिबान का प्रभुत्व है. पिछले दो सप्ताह में तालिबान ने काबुल के दक्षिण पश्चिम में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण एक अहम कस्बे समेत उन चार जिला केंद्रों पर कब्जा कर लिया है, जो अफगानिस्तान के उत्तर और दक्षिण को जोड़ने वाले मुख्य राजमार्ग पर स्थित हैं.

अफगान सेना के उपकरण व सामग्रियों की गुणवत्ता खराब

सरकारी अधिकारियों ने बताया कि लघमन प्रांत की राजधानी मेहतर लाम में शहर की रक्षा करने वाली चौकियों को पुलिस और सेना ने खाली छोड़ दिया, जिसके बाद इस सप्ताह तालिबान ने मेहतर लाम में प्रवेश कर लिया. चौकियों को छोड़ने के लिए 100 से अधिक सैन्य कर्मियों को काबुल बुलाकर फटकारा गया. अफगान सेना के जवानों की शिकायत है कि उन्हें दिए जाने वाले उपकरण एवं सामग्रियां खराब गुणवत्ता की हैं. जवानों का कहना है कि सैन्य जूते जैसी चीजें भी कुछ ही सप्ताह में खराब हो जाती हैं, क्योंकि भ्रष्ट ठेकेदार खराब कच्चे माल का इस्तेमाल करते है.

पुलिस चौकी के बंकर में क्षमता से अधिक जवान

'एपी' ने इस माह की शुरुआत में एक पुलिस चौकी में पाया कि वहां बने एक बंकर में क्षमता से अधिक जवान रह रहे थे. तालिबान के हमलों का अकसर शिकार होने वाले सुरक्षा काफिले की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने वाले इन जवानों के पास पर्याप्त हथियार भी नहीं है. अफगान सरकार ने सुरक्षा बलों के हताहत होने वाले जवानों का आंकड़ा जारी करना काफी पहले ही बंद कर दिया था, लेकिन एक पूर्व वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने 'एपी' को बताया कि हर रोज करीब 100-110 सुरक्षा कर्मी हताहत हो रहे हैं.

पढ़ें - काबुल में अपना दूतावास बंद करेगा ऑस्ट्रेलिया, अन्य देश वापस बुलायेंगे अपने कर्मी

पीटीआई (भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.