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साल 2020 : महामारी के बीच USA राष्ट्रपति चुनाव, याद रहेंगे ट्रंप, कमला ने रचा इतिहास

अमेरिका दुनिया के सबसे ताकतवर देशों में एक है. उसके राष्ट्रपति के चुनाव पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी थीं. इस वर्ष तीन नवंबर को कोरोना वायरस से फैली महामारी के बीच अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के लिए चुनाव हुआ. अंत तक ट्रंप हार मानने को तैयार नहीं थे. डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडेन की जीत हुई. भारतीय मूल की कमला हैरिस अमेरिका की पहली महिला उप राष्ट्रपति बनेंगी.

presidential election amidst covid 19
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Published : Dec 28, 2020, 6:01 AM IST

हैदराबाद: वर्ष 2020 इतिहास में कई घटनाओं के लिए जाना जाएगा. इनमें सबसे पहली घटना कोरोना वायरस से फैली महामारी होगी. इसके अलावा भी 2020 में अन्य कई घटनाएं घटित हुईं जो महामारी जितनी अप्रिय नहीं थीं. बल्कि वैश्विक राजनीति के नजरिए से यह अत्यंत महत्वपूर्ण थी.

वर्ष 2020 के नवंबर माह में अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव होना था और वह हुआ. इस वर्ष का चुनाव अन्य चुनावों से कई मायनों में अलग था. कोरोना से फैली महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की सूची में अमेरिका शीर्ष पर है. ऐसे में चुनाव काराना किसी चुनौती से कम नहीं था.

वैसे तो राष्ट्रपति की चुनावी दौड़ में बहुत सारे लोग थे, लेकिन मुख्य रूप सबकी नजरें अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके डेमोक्रैट प्रतिद्वंदी व पूर्व अमेरिकी उपराष्ट्रपति जो बाइडेन पर थी. उपराष्ट्रपति पद की चुनावी दौड़ में ट्रंप के खेमें में थे माइक पेंस और बाइडेन की तरफ थीं भारतीय मूल की कमला हैरिस.

राष्ट्रपति पद के चुनाव का परिणाम हम सब को पता है. जो बाइडेन ने 270 इलेक्टोरल कॉलेज वोटों का आंकड़ा पार कर लिया और वह जनवरी 2021 में अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे.

बाइडेन की जीत के साथ भारतवंशी कमला देवी हैरिस ने भी इतिहास रच दिया. वह अमेरिका में उपराष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित होने वाली पहली महिला हैं. यही नहीं, हैरिस देश की पहली भारतवंशी, अश्वेत और अफ्रीकी अमेरिकी उपराष्ट्रपति होंगी. लोगों के बीच वह 'फीमेल ओबामा' के नाम से लोकप्रिय हैं और अगस्त में बाइडेन ने उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के रूप में हैरिस को चुना था.

राष्ट्रपति पद के चुनाव से ठीक पहले अमेरिका कोरोना वायरस से फैली महामारी के अवाला देशव्यापी प्रदर्शन और खस्ताहाल अर्थव्यवस्था से जूझ रहा था. आकड़ों की मानें तो अमेरिका में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या यह खबर लिखे जाने के समय 1.8 करोड़ से ज्यादा थी. संक्रमण से देश में 3.3 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

25 मई 2020 को अमेरिका के मिनियापोलिस में एक पुलिस अधिकारी ने अफ्रीकी अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या कर दी थी. घटना का वीडियो वायरल होने के बाद पहले अमेरिका और फिर विश्व के कई हिस्सों में अश्वेतों के प्रति नस्लवाद की भावना के विरोध में प्रदर्शन हुए. अमेरिका में कई हिस्सों में प्रदर्शन के नाम पर हिंसा भी भड़क गई. यदि राष्ट्रपति ट्रंप की हार के कारकों को देखें तो उसमें नस्लवाद के खिलाफ हुए प्रदर्शनों पर ट्रंप प्रशासन की कार्रवाई का बहुत महत्वपूर्ण योगदान था.

राष्ट्रपति पद पर विजयी होने के लिए प्रत्याशी को 270 इलेक्टोरल वोट चाहिए होते हैं. नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन को 306 वोट मिले हैं. वहीं ट्रंप को सिर्फ 232 वोट मिले. कोरोना महामारी होने के बावजूद इस वर्ष 120 वर्षों की तुलना में ज्यादा लोगों ने मतदान किया. इसके पीछे का एक कारण यह भी है कि लोगों को पहले से ही पोस्टल बैलेट भेज दिए गए थे, जिसका राष्ट्रपति ट्रंप शुरुआत से ही विरोध कर रहे थे.

ट्रंप ने जुलाई में चुनाव टालने की बात भी कही थी. उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि 'वैश्विक पोस्टल वोटिंग से 2020 का चुनाव इतिहास का सबसे ज्यादा गलत और धोखाधड़ी वाला होगा. और अमेरिका के लिए भी यह ​शर्मिंदगी भरा होगा. चुनाव में देरी करें, जब तक लोग ढंग से, विश्वसनीयता से और सुरक्षित होकर वोट डालने के लिए तैयार नहीं हो जाते.' इसको लेकर उनकी कड़ी आलोचना भी हुई.

पढ़ें-संकट गुजर गया : दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र के गढ़ में से एक अमेरिका चिंतामुक्त हुआ

तीन नवंबर को राष्ट्रपति पद के लिए मतदान कराए गए और आधिकारिक परिणाम आने के बाद भी राष्ट्रपति ट्रंप अपनी हार मानने को तैयार नहीं थे. उन्होंने पहले वोटिंग और फिर काउंटिंग रोकने की मांग की थी. उनके इस व्यवहार की विश्वभर में कड़ी निंदा हुई थी. 15 दिसंबर को इलेक्टोरल कॉलेज ने जो बाइडेन को आधिकारिक रूप से विजई घोषित किया. इसके बाद अब छह जनवीर 2021 को एक संयुक्त सत्र बुलाया जाएगा, जिसमें मतों की गिनती होगी और 20 जनवरी को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति शपथ ग्रहण करेंगे.

हैदराबाद: वर्ष 2020 इतिहास में कई घटनाओं के लिए जाना जाएगा. इनमें सबसे पहली घटना कोरोना वायरस से फैली महामारी होगी. इसके अलावा भी 2020 में अन्य कई घटनाएं घटित हुईं जो महामारी जितनी अप्रिय नहीं थीं. बल्कि वैश्विक राजनीति के नजरिए से यह अत्यंत महत्वपूर्ण थी.

वर्ष 2020 के नवंबर माह में अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव होना था और वह हुआ. इस वर्ष का चुनाव अन्य चुनावों से कई मायनों में अलग था. कोरोना से फैली महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की सूची में अमेरिका शीर्ष पर है. ऐसे में चुनाव काराना किसी चुनौती से कम नहीं था.

वैसे तो राष्ट्रपति की चुनावी दौड़ में बहुत सारे लोग थे, लेकिन मुख्य रूप सबकी नजरें अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके डेमोक्रैट प्रतिद्वंदी व पूर्व अमेरिकी उपराष्ट्रपति जो बाइडेन पर थी. उपराष्ट्रपति पद की चुनावी दौड़ में ट्रंप के खेमें में थे माइक पेंस और बाइडेन की तरफ थीं भारतीय मूल की कमला हैरिस.

राष्ट्रपति पद के चुनाव का परिणाम हम सब को पता है. जो बाइडेन ने 270 इलेक्टोरल कॉलेज वोटों का आंकड़ा पार कर लिया और वह जनवरी 2021 में अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे.

बाइडेन की जीत के साथ भारतवंशी कमला देवी हैरिस ने भी इतिहास रच दिया. वह अमेरिका में उपराष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित होने वाली पहली महिला हैं. यही नहीं, हैरिस देश की पहली भारतवंशी, अश्वेत और अफ्रीकी अमेरिकी उपराष्ट्रपति होंगी. लोगों के बीच वह 'फीमेल ओबामा' के नाम से लोकप्रिय हैं और अगस्त में बाइडेन ने उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के रूप में हैरिस को चुना था.

राष्ट्रपति पद के चुनाव से ठीक पहले अमेरिका कोरोना वायरस से फैली महामारी के अवाला देशव्यापी प्रदर्शन और खस्ताहाल अर्थव्यवस्था से जूझ रहा था. आकड़ों की मानें तो अमेरिका में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या यह खबर लिखे जाने के समय 1.8 करोड़ से ज्यादा थी. संक्रमण से देश में 3.3 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

25 मई 2020 को अमेरिका के मिनियापोलिस में एक पुलिस अधिकारी ने अफ्रीकी अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या कर दी थी. घटना का वीडियो वायरल होने के बाद पहले अमेरिका और फिर विश्व के कई हिस्सों में अश्वेतों के प्रति नस्लवाद की भावना के विरोध में प्रदर्शन हुए. अमेरिका में कई हिस्सों में प्रदर्शन के नाम पर हिंसा भी भड़क गई. यदि राष्ट्रपति ट्रंप की हार के कारकों को देखें तो उसमें नस्लवाद के खिलाफ हुए प्रदर्शनों पर ट्रंप प्रशासन की कार्रवाई का बहुत महत्वपूर्ण योगदान था.

राष्ट्रपति पद पर विजयी होने के लिए प्रत्याशी को 270 इलेक्टोरल वोट चाहिए होते हैं. नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन को 306 वोट मिले हैं. वहीं ट्रंप को सिर्फ 232 वोट मिले. कोरोना महामारी होने के बावजूद इस वर्ष 120 वर्षों की तुलना में ज्यादा लोगों ने मतदान किया. इसके पीछे का एक कारण यह भी है कि लोगों को पहले से ही पोस्टल बैलेट भेज दिए गए थे, जिसका राष्ट्रपति ट्रंप शुरुआत से ही विरोध कर रहे थे.

ट्रंप ने जुलाई में चुनाव टालने की बात भी कही थी. उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि 'वैश्विक पोस्टल वोटिंग से 2020 का चुनाव इतिहास का सबसे ज्यादा गलत और धोखाधड़ी वाला होगा. और अमेरिका के लिए भी यह ​शर्मिंदगी भरा होगा. चुनाव में देरी करें, जब तक लोग ढंग से, विश्वसनीयता से और सुरक्षित होकर वोट डालने के लिए तैयार नहीं हो जाते.' इसको लेकर उनकी कड़ी आलोचना भी हुई.

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तीन नवंबर को राष्ट्रपति पद के लिए मतदान कराए गए और आधिकारिक परिणाम आने के बाद भी राष्ट्रपति ट्रंप अपनी हार मानने को तैयार नहीं थे. उन्होंने पहले वोटिंग और फिर काउंटिंग रोकने की मांग की थी. उनके इस व्यवहार की विश्वभर में कड़ी निंदा हुई थी. 15 दिसंबर को इलेक्टोरल कॉलेज ने जो बाइडेन को आधिकारिक रूप से विजई घोषित किया. इसके बाद अब छह जनवीर 2021 को एक संयुक्त सत्र बुलाया जाएगा, जिसमें मतों की गिनती होगी और 20 जनवरी को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति शपथ ग्रहण करेंगे.

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