वॉशिंगटन : अमेरिका की एक अदालत ने पाकिस्तानी मूल के कनाडाई कारोबारी तहव्वुर राणा के भारत में उसके प्रत्यर्पण के खिलाफ एक अतिरिक्त जवाब दाखिल करने के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है. राणा पर मुम्बई में 2008 में हुए आतंकवादी हमलों में संलिप्तता का आरोप है.
राणा (59) को भारत प्रत्यर्पित किए जाने पर सुनवाई 12 अप्रैल को होनी है. भारत ने उसे भगोड़ा घोषित कर रखा है. अमेरिका ने उसे भारत प्रत्यर्पित करने के अनुरोध का समर्थन किया है. लॉस एंजिलिस में अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की न्यायाधीश जैकलीन कूलजियन ने बुधवार को अपने संक्षिप्त आदेश में कहा राणा पांच अप्रैल से पहले जवाब दाखिल कर सकता है लेकिन वह 20 पृष्ठों से अधिक का नहीं होना चाहिए. न्यायाधीश ने कहा कि सरकार भी 12 अप्रैल से पहले जवाब दाखिल कर सकती है जो 20 पृष्ठों से अधिक का न हो लेकिन इसकी खास जरूरत नहीं है.
एक अलग आदेश में न्यायाधीश ने राणा और सरकार से प्रत्यर्पण की सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहने के संबंध में एक हफ्ते के भीतर स्थिति रिपोर्ट जमा करने के लिए भी कहा है. न्यायाधीश ने कहा कि मौजूदा कानून के अनुसार प्रत्यर्पण के मामलों में सुनवाई सार्वजनिक तौर पर और किसी कमरे में या कार्यालय में हो सकती है जहां तक जनता आसानी से पहुंच सके. हालांकि कोरोना वायरस महामारी के कारण अभी व्यक्तिगत सुनवाई की अनुमति नहीं है.
न्यायाधीश ने कहा अदालत को अभी यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि क्या राणा को व्यक्तिगत सुनवाई से छूट दी जा सकती है और क्या वीडियो/टेलीफोन कांफ्रेंस के जरिए सुनवाई हो सकती है. राणा ने गत सप्ताह अदालत का रुख करते हुए कहा था कि वह भारत में उसके प्रत्यर्पण का अमेरिकी सरकार द्वारा समर्थन करने के विरोध में एक अतिरिक्त जवाब दाखिल करना चाहता है. डेविड कोलमेन हेडली के बचपन के दोस्त राणा (59) को 2008 के मुम्बई आतंकवादी हमलों में संलिप्तता के लिये भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध पर 10 जून को लॉस एंजिलिस से दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया था. हमलों में छह अमेरिकी नागरिकों समेत कुल 166 लोगों की मौत हो गई थी.
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मुम्बई आतंकवादी हमलों की साजिश रचने में लश्कर-ए-तैयबा का पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी हेडली शामिल था. उसे इस मामले में सरकारी गवाह बनाया गया था और वह हमले में अपनी भूमिका के लिये फिलहाल अमेरिका की जेल में 35 साल के कारावास की सजा काट रहा है.