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'जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में भारत एक बड़ा भागीदार'

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Published : Apr 7, 2021, 9:56 AM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के विशेष दूत जॉन केरी ने कहा, भारत द्वारा उठाए जाने वाले निर्णायक कदम अब यह निर्धारित करेंगे कि आगामी पीढ़ियों के लिए इस परिवर्तन के क्या मायने होंगे.

जॉन केरी
जॉन केरी

वॉशिंगटन : जलवायु संबंधी मामलों पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के विशेष दूत जॉन केरी ने बुधवार को कहा, भारत जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक मंच पर एक बड़ा भागीदार है.

केरी ने कहा कि भारत द्वारा उठाए जाने वाले निर्णायक कदम अब यह निर्धारित करेंगे कि आगामी पीढ़ियों के लिए इस परिवर्तन के क्या मायने होंगे. उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता और महिलाओं के नेतृत्व को बढ़ावा दिया जाना न सिर्फ आर्थिक वृद्धि और सतत विकास के लिए अहम है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन के संकट से निपटने के लिए भी आवश्यक है.

उन्होंने 'साउथ एशिया विमेन इन एनर्जी' (एसएडब्ल्यूआईई) के डिजिटल कार्यक्रम में जलवायु परिवर्तन से निपटने के संदर्भ में भारत-अमेरिका के संबंधों और आपसी समन्वय पर टिप्पणी करते हुए कहा, भारत वैश्विक मंच पर बड़ा भागीदार है.

पढ़ें-बांग्लादेश : कोविड-19 से एक दिन में अब तक की सर्वाधिक 66 मौतें

एसएडब्ल्यूआईई भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी मंच (यूएसआईएसपीएफ) और अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (यूएसएआईडी) की संयुक्त पहल है और ऑनलाइन प्रारूप में इसका पहला 'लीडरशिप समिट' (नेतृत्व शिखर सम्मेलन) आयोजित किया गया.

बाइडेन ने कहा, बाकी दुनिया की साझेदारी से भारत द्वारा उठाया गया निर्णायक कदम यह तय करेगा कि आने वाली पीढ़ियों के लिए इस बदलाव के क्या मायने होंगे.

इस सम्मेलन में भारत, अमेरिका और दक्षिण एशिया के कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, कारोबारी जगत के नेता और विशेषज्ञों ने पर्यावरण से संबंधित स्थिरता के प्रयासों को तेज करने और जलवायु संकट से लड़ने में लैंगिक समानता की भूमिका पर चर्चा की.

यूएसआईएसपीएफ के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुकेश अघी ने कहा, हमें कोरोना वायरस की तरह ही जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के लिए भी तत्काल कार्य योजना की जरूरत है.

वॉशिंगटन : जलवायु संबंधी मामलों पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के विशेष दूत जॉन केरी ने बुधवार को कहा, भारत जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक मंच पर एक बड़ा भागीदार है.

केरी ने कहा कि भारत द्वारा उठाए जाने वाले निर्णायक कदम अब यह निर्धारित करेंगे कि आगामी पीढ़ियों के लिए इस परिवर्तन के क्या मायने होंगे. उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता और महिलाओं के नेतृत्व को बढ़ावा दिया जाना न सिर्फ आर्थिक वृद्धि और सतत विकास के लिए अहम है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन के संकट से निपटने के लिए भी आवश्यक है.

उन्होंने 'साउथ एशिया विमेन इन एनर्जी' (एसएडब्ल्यूआईई) के डिजिटल कार्यक्रम में जलवायु परिवर्तन से निपटने के संदर्भ में भारत-अमेरिका के संबंधों और आपसी समन्वय पर टिप्पणी करते हुए कहा, भारत वैश्विक मंच पर बड़ा भागीदार है.

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एसएडब्ल्यूआईई भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी मंच (यूएसआईएसपीएफ) और अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (यूएसएआईडी) की संयुक्त पहल है और ऑनलाइन प्रारूप में इसका पहला 'लीडरशिप समिट' (नेतृत्व शिखर सम्मेलन) आयोजित किया गया.

बाइडेन ने कहा, बाकी दुनिया की साझेदारी से भारत द्वारा उठाया गया निर्णायक कदम यह तय करेगा कि आने वाली पीढ़ियों के लिए इस बदलाव के क्या मायने होंगे.

इस सम्मेलन में भारत, अमेरिका और दक्षिण एशिया के कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, कारोबारी जगत के नेता और विशेषज्ञों ने पर्यावरण से संबंधित स्थिरता के प्रयासों को तेज करने और जलवायु संकट से लड़ने में लैंगिक समानता की भूमिका पर चर्चा की.

यूएसआईएसपीएफ के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुकेश अघी ने कहा, हमें कोरोना वायरस की तरह ही जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के लिए भी तत्काल कार्य योजना की जरूरत है.

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