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उइगर मुसलमानों पर अत्याचार रोकने के लिए ट्रंप ने साइन किया बिल

अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने एक ऐसे बिल पर हस्‍ताक्षर किए हैं जिससे चीन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन को उइगर और अन्य जातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ चलाए उसके अभियान के लिए दंडित करने के लिए एक विधेयक पर हस्ताक्षर किए हैं.

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Published : Jun 18, 2020, 10:39 PM IST

चीन में डिटेंशन शिविरों को बंद करने का आह्वान
चीन में डिटेंशन शिविरों को बंद करने का आह्वान

वॉशिंगटनः अमरिका और चीन के बीच विवाद बढ़ता ही जा रहा है.अब उइगर मुस्लिमों को लेकर अमेरिका ने चीन के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है. बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन में उइगर मुस्लिमों के खिलाफ हो रही कार्रवाई को लेकर एक बिल को साइन किया है. यह कानून चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाता है जिन्हें बीजिंग से समर्थन प्राप्त है और वे शिनजियांग में अल्पसंख्यक उइगर मुस्लमानों पर अत्याचार कर रहे हैं .

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स और सीनेट ने मई में राष्ट्रपति के पास एक बिल भेजा जिसे नाम दिया गया उइगर ह्यूमन राइट्स पॉलिसी एक्ट 2020. एक बयान जारी करते हुए ट्रम्प ने कहा कि यह कानून उइगर मुसलमानों के मानवाधिकारों की रक्षा करता है. उनसे दुर्व्यवहार जैसे गैर-कानूनी शिविरों में कैद करना, जबरन श्रम करवाना और उनकी निगरानी करने पर प्रतिबंध लगाता है ताकि इन अल्पसंख्यक मुस्लिमों और दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय की जातीय पहचान और इनके धार्मिक विश्वासों की रक्षा हो सके. यह कानून उन चीनी अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराता है जो अल्पसंख्यक समुदाय पर अत्याचार करते हैं.

यह कानून उइगुर मुस्लिमों और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के लिए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की निंदा करता है और चीन के शिनजियांग में शिविरों को बंद करने का आह्वान करता है. यह कानून ट्रम्प को अल्पसंख्यक समुदाय से दुर्व्यवहार के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों की पहचान करने और उनपर प्रतिबंध लगाने का अधिकार देता है.

इस बिल के कानून बनने के 180 दिन के भीतर ट्रंप को कांग्रेस के सामने एक रिपोर्ट प्रस्तुत करना होगा जिसमें उन विदेशी और चीनी अधिकारियों की पहचान की जाएगी जो जिम्मेदार होंगे शिनजियांग में रह रहे लोगों के मानवाधिकार उल्लंघन के, उनपर अत्याचार करने के, बिना किसी आरोप के हिरासत में रखने के, अपमान व्यवहार के, अपहरण करने के और जीवन के अधिकार, स्वतंत्रता और व्यक्ति की सुरक्षा की अवहेलना करने के.

यह बिल प्रशासन को अधिकार देता है कि ऐसे जिम्मेदार लोगों की जायदाद जब्त कर ली जाए और उन्हें अमेरिकन वीजा के लिए अयोग्य करार दिया जाए. व्हाइट हाउस को ही इन प्रतिबंधों को हटाने का अधिकार है अगर ट्रंप ये साफ कर दें कि ये राष्ट्रीय हित में है. लेकिन ऐसा करने के लिए राष्ट्रपति को कांग्रेस को सूचित करना होगा कि वो ऐसा करने जा रहे हैं.

जिस दिन ट्रंप ने इस बिल को साइन किया उसी दिन राष्ट्रपति ट्रंप शिनिअन प्रांत में शिविरों के निर्माण के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से सहमत नजर आ रहे थे जब ट्रम्प ने कानून पर हस्ताक्षर किए उसी दिन उनके पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन की पुस्तक द वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित हुई. किताब के अंश में ये बताया गया कि 2019 में ओसाका में हुए जी20 के सम्मेलन के दौरान ट्रंप और शी जिनपिंग मिले.

उस दौरान हुई बातचीत में चीन में उइगरों के लिए चीनी सरकार द्वारा बनाए गए कैंप पर चर्चा हुई. किताब में कहा गया है कि- ट्रंप ने कहा कि शी जिनपिंग को उइगर मुस्लिमों के लिए डिटेंशन कैंप को बढ़ाने का काम करना चाहिए. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के शीर्ष कर्मचारी मैथ्यू पोटिंगर ने बोल्टन को बताया था कि ट्रम्प ने अपनी नवंबर 2017 की चीन यात्रा के दौरान भी ऐसा ही कहा था.

न्याय विभाग ने अगले सप्ताह बोल्टन के इस संस्मरण को रोकने के लिए मुकदमा दायर किया है, जिसमें कहा गया है कि इसमें गोपनीय जानकारियां हैं.

वॉशिंगटनः अमरिका और चीन के बीच विवाद बढ़ता ही जा रहा है.अब उइगर मुस्लिमों को लेकर अमेरिका ने चीन के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है. बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन में उइगर मुस्लिमों के खिलाफ हो रही कार्रवाई को लेकर एक बिल को साइन किया है. यह कानून चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाता है जिन्हें बीजिंग से समर्थन प्राप्त है और वे शिनजियांग में अल्पसंख्यक उइगर मुस्लमानों पर अत्याचार कर रहे हैं .

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स और सीनेट ने मई में राष्ट्रपति के पास एक बिल भेजा जिसे नाम दिया गया उइगर ह्यूमन राइट्स पॉलिसी एक्ट 2020. एक बयान जारी करते हुए ट्रम्प ने कहा कि यह कानून उइगर मुसलमानों के मानवाधिकारों की रक्षा करता है. उनसे दुर्व्यवहार जैसे गैर-कानूनी शिविरों में कैद करना, जबरन श्रम करवाना और उनकी निगरानी करने पर प्रतिबंध लगाता है ताकि इन अल्पसंख्यक मुस्लिमों और दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय की जातीय पहचान और इनके धार्मिक विश्वासों की रक्षा हो सके. यह कानून उन चीनी अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराता है जो अल्पसंख्यक समुदाय पर अत्याचार करते हैं.

यह कानून उइगुर मुस्लिमों और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के लिए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की निंदा करता है और चीन के शिनजियांग में शिविरों को बंद करने का आह्वान करता है. यह कानून ट्रम्प को अल्पसंख्यक समुदाय से दुर्व्यवहार के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों की पहचान करने और उनपर प्रतिबंध लगाने का अधिकार देता है.

इस बिल के कानून बनने के 180 दिन के भीतर ट्रंप को कांग्रेस के सामने एक रिपोर्ट प्रस्तुत करना होगा जिसमें उन विदेशी और चीनी अधिकारियों की पहचान की जाएगी जो जिम्मेदार होंगे शिनजियांग में रह रहे लोगों के मानवाधिकार उल्लंघन के, उनपर अत्याचार करने के, बिना किसी आरोप के हिरासत में रखने के, अपमान व्यवहार के, अपहरण करने के और जीवन के अधिकार, स्वतंत्रता और व्यक्ति की सुरक्षा की अवहेलना करने के.

यह बिल प्रशासन को अधिकार देता है कि ऐसे जिम्मेदार लोगों की जायदाद जब्त कर ली जाए और उन्हें अमेरिकन वीजा के लिए अयोग्य करार दिया जाए. व्हाइट हाउस को ही इन प्रतिबंधों को हटाने का अधिकार है अगर ट्रंप ये साफ कर दें कि ये राष्ट्रीय हित में है. लेकिन ऐसा करने के लिए राष्ट्रपति को कांग्रेस को सूचित करना होगा कि वो ऐसा करने जा रहे हैं.

जिस दिन ट्रंप ने इस बिल को साइन किया उसी दिन राष्ट्रपति ट्रंप शिनिअन प्रांत में शिविरों के निर्माण के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से सहमत नजर आ रहे थे जब ट्रम्प ने कानून पर हस्ताक्षर किए उसी दिन उनके पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन की पुस्तक द वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित हुई. किताब के अंश में ये बताया गया कि 2019 में ओसाका में हुए जी20 के सम्मेलन के दौरान ट्रंप और शी जिनपिंग मिले.

उस दौरान हुई बातचीत में चीन में उइगरों के लिए चीनी सरकार द्वारा बनाए गए कैंप पर चर्चा हुई. किताब में कहा गया है कि- ट्रंप ने कहा कि शी जिनपिंग को उइगर मुस्लिमों के लिए डिटेंशन कैंप को बढ़ाने का काम करना चाहिए. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के शीर्ष कर्मचारी मैथ्यू पोटिंगर ने बोल्टन को बताया था कि ट्रम्प ने अपनी नवंबर 2017 की चीन यात्रा के दौरान भी ऐसा ही कहा था.

न्याय विभाग ने अगले सप्ताह बोल्टन के इस संस्मरण को रोकने के लिए मुकदमा दायर किया है, जिसमें कहा गया है कि इसमें गोपनीय जानकारियां हैं.

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