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UNSG के विशेष दूत ने चेताया- भारत, थाईलैंड भागे म्यांमार के शरणार्थियों से क्षेत्रीय सुरक्षा का खतरा

म्यांमार से करीब दस हजार शरणार्थी भारत और थाईलैंड भाग गए हैं, जिसका कारण देश में राष्ट्रव्यापी संघर्ष है. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस की म्यांमार में विशेष दूत क्रिस्टीन श्रानर बर्गनर ने चेतावनी देते हुए कहा कि भारत और थाईलैंड में इन शरणार्थियों के प्रवेश से दोनों देश सैकड़ों हजारों नागरिकों के नए विस्थापन का सामना कर सकते हैं.

UNSG की विशेष दूत ने चेताया
UNSG की विशेष दूत ने चेताया
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Published : Jun 21, 2021, 5:12 PM IST

संयुक्त राष्ट्र : म्यांमार से करीब दस हजार शरणार्थी भारत और थाईलैंड भाग गए हैं, जिसका कारण देश में राष्ट्रव्यापी संघर्ष है. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव (UN Secretary-General- UNSG) एंतोनियो गुतारेस (Antonio Guterres) की म्यांमार में विशेष दूत क्रिस्टीन श्रानर बर्गनर (Christine Schraner Bergner) ने चेतावनी देते हुए कहा कि भारत और थाईलैंड में इन शरणार्थियों के प्रवेश से दोनों देश सैकड़ों हजारों नागरिकों के नए विस्थापन का सामना कर सकते हैं. इस संकट के कारण पैदा हुआ क्षेत्रीय खतरा वास्तविक है.

म्यांमार पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष दूत ने चेतावनी देते हुए कहा कि देश में राष्ट्रव्यापी संघर्षों के कारण लगभग 10,000 शरणार्थी म्यांमार से भारत और थाईलैंड भाग गए हैं, जिससे सैकड़ों हजारों नागरिकों का तेजी से नया विस्थापन हुआ है.

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly- UNGA) को बताया कि म्यांमार में हितधारकों के साथ अपने दैनिक संपर्कों में, मैं विकट स्थिति के बारे में सुनती रहती हूं. यहां लोग अभाव से पीड़ित हैं, किसी प्रकार की यहां कोई उम्मीद नहीं है और लोग खौफ में जी रहे हैं.

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई के अभाव में यहां नागरिक ही अपने लोगों की रक्षा कर रहे हैं. वे स्व-निर्मित हथियारों का उपयोग करने लगे हैं. देश के कई क्षेत्र जिन्होंने दशकों से किसी प्रकार के सशस्त्र संघर्ष नहीं देखा है, अब अशांत इलाके बन गए हैं.

लगभग 175,000 नागरिकों के तीव्र नए विस्थापन हुए हैं

मध्य म्यांमार और चीन, भारत और थाईलैंड की सीमा से लगे क्षेत्रों सहित राष्ट्रव्यापी संघर्षों के कारण लगभग 175,000 नागरिकों के तीव्र नए विस्थापन हुए हैं. वहीं, करीब दस हजार शरणार्थी भारत और थाईलैंड में प्रवेश कर गए हैं. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय सुरक्षा पर खतरा और बड़े पैमाने पर सिविल वार की संभावना है. हमें इस खतरे को संयम के साथ सामना करना होगा.

बर्गनर ने इस बात पर भी जोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को रोहिंग्या लोगों को नहीं भूलना चाहिए, क्योंकि रोहिंग्या की स्थिति गंभीर बनी हुई है. बता दें कि म्यामांर में गत फरवरी को सैन्य तख्तापलट के बाद वहां के चिन प्रांत के मुख्यमंत्री सलाई लियान लुआइ समेत 9,247 लोगों ने मिजोरम में शरण ली है.

24 निर्वाचित प्रतिनिधियों ने मिजोरम में ली शरण

पुलिस के मुताबिक, चिन प्रांत के मुख्यमंत्री अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करके यहां के चंफाई शहर में पहुंचे. उन्होंने कहा कि लुआई समेत आंग सान सू ची की पार्टी नेशनल लीग फोर डेमोक्रेसी के 24 निर्वाचित प्रतिनिधियों ने मिजोरम के अलग अलग हिस्सों में शरण ली है.

पश्चिमी म्यांमार का प्रांत चिन मिजोरम की पश्चिमी सीमा से सटा है. अधिकारी ने बताया कि म्यांमार के इन नागरिकों को स्थानीय लोगों ने आश्रय दिया है और कई नागरिक संगठन एवं छात्र संगठनों ने भी उनके रहने एवं खाने-पीने का प्रबंध किया है.

राज्य में जिन लोगों ने शरण ली है वे चिन समुदाय से हैं. चिन समुदाय जो के नाम से भी जाना जाता है. उनका मिजोरम के मिजो समुदाय के साथ पूर्वजों का रिश्ता है.

पढ़ें : म्यांमार के भ्रष्टाचार रोधी आयोग ने सू ची पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया

संयुक्त राष्ट्र : म्यांमार से करीब दस हजार शरणार्थी भारत और थाईलैंड भाग गए हैं, जिसका कारण देश में राष्ट्रव्यापी संघर्ष है. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव (UN Secretary-General- UNSG) एंतोनियो गुतारेस (Antonio Guterres) की म्यांमार में विशेष दूत क्रिस्टीन श्रानर बर्गनर (Christine Schraner Bergner) ने चेतावनी देते हुए कहा कि भारत और थाईलैंड में इन शरणार्थियों के प्रवेश से दोनों देश सैकड़ों हजारों नागरिकों के नए विस्थापन का सामना कर सकते हैं. इस संकट के कारण पैदा हुआ क्षेत्रीय खतरा वास्तविक है.

म्यांमार पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष दूत ने चेतावनी देते हुए कहा कि देश में राष्ट्रव्यापी संघर्षों के कारण लगभग 10,000 शरणार्थी म्यांमार से भारत और थाईलैंड भाग गए हैं, जिससे सैकड़ों हजारों नागरिकों का तेजी से नया विस्थापन हुआ है.

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly- UNGA) को बताया कि म्यांमार में हितधारकों के साथ अपने दैनिक संपर्कों में, मैं विकट स्थिति के बारे में सुनती रहती हूं. यहां लोग अभाव से पीड़ित हैं, किसी प्रकार की यहां कोई उम्मीद नहीं है और लोग खौफ में जी रहे हैं.

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई के अभाव में यहां नागरिक ही अपने लोगों की रक्षा कर रहे हैं. वे स्व-निर्मित हथियारों का उपयोग करने लगे हैं. देश के कई क्षेत्र जिन्होंने दशकों से किसी प्रकार के सशस्त्र संघर्ष नहीं देखा है, अब अशांत इलाके बन गए हैं.

लगभग 175,000 नागरिकों के तीव्र नए विस्थापन हुए हैं

मध्य म्यांमार और चीन, भारत और थाईलैंड की सीमा से लगे क्षेत्रों सहित राष्ट्रव्यापी संघर्षों के कारण लगभग 175,000 नागरिकों के तीव्र नए विस्थापन हुए हैं. वहीं, करीब दस हजार शरणार्थी भारत और थाईलैंड में प्रवेश कर गए हैं. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय सुरक्षा पर खतरा और बड़े पैमाने पर सिविल वार की संभावना है. हमें इस खतरे को संयम के साथ सामना करना होगा.

बर्गनर ने इस बात पर भी जोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को रोहिंग्या लोगों को नहीं भूलना चाहिए, क्योंकि रोहिंग्या की स्थिति गंभीर बनी हुई है. बता दें कि म्यामांर में गत फरवरी को सैन्य तख्तापलट के बाद वहां के चिन प्रांत के मुख्यमंत्री सलाई लियान लुआइ समेत 9,247 लोगों ने मिजोरम में शरण ली है.

24 निर्वाचित प्रतिनिधियों ने मिजोरम में ली शरण

पुलिस के मुताबिक, चिन प्रांत के मुख्यमंत्री अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करके यहां के चंफाई शहर में पहुंचे. उन्होंने कहा कि लुआई समेत आंग सान सू ची की पार्टी नेशनल लीग फोर डेमोक्रेसी के 24 निर्वाचित प्रतिनिधियों ने मिजोरम के अलग अलग हिस्सों में शरण ली है.

पश्चिमी म्यांमार का प्रांत चिन मिजोरम की पश्चिमी सीमा से सटा है. अधिकारी ने बताया कि म्यांमार के इन नागरिकों को स्थानीय लोगों ने आश्रय दिया है और कई नागरिक संगठन एवं छात्र संगठनों ने भी उनके रहने एवं खाने-पीने का प्रबंध किया है.

राज्य में जिन लोगों ने शरण ली है वे चिन समुदाय से हैं. चिन समुदाय जो के नाम से भी जाना जाता है. उनका मिजोरम के मिजो समुदाय के साथ पूर्वजों का रिश्ता है.

पढ़ें : म्यांमार के भ्रष्टाचार रोधी आयोग ने सू ची पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया

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