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कोवि़ड-19 के प्रसार को दूसरे टीशूज तक फैलने से रोकने वाली दवा की पहचान

अमेरिका के ईएमबीएल के यूरोपीय बायोइन्फॉर्मेटिक्स इंस्टीट्यूट (ईएमबीएल-ईबीआई) और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय सैन फ्रांसिस्को के वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च के दौरान पाया है कि कोरोना वायरस अपने लक्षित टीशू में प्रोटीन को निशाना बनाता है.

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Published : Jul 2, 2020, 7:30 PM IST

लॉस एंजिलिस : शोधकर्ताओं ने पाया है कि कोरोना वायरस अपने लक्षित टीशू में प्रोटीन को निशाना बनाता है, फिर लंबी श्रृंखला बनाकर नजदीक के टीशू तक पहुंचता है और संक्रमण फैलाता है.इस शोध से क्लीनिकली स्वीकृत ऐसी दवाओं की पहचान हो सकेगी, जो वायरस की इस प्रक्रिया को बाधित कर सकती है.

अमेरिका के ईएमबीएल के यूरोपीय बायोइन्फॉर्मेटिक्स इंस्टीट्यूट (ईएमबीएल-ईबीआई) और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय सैन फ्रांसिस्को के वैज्ञानिकों ने कहा कि वायरस, जिनमें कोरोना वायरस सार्स कोव-टू के वायरस भी शामिल हैं, वह टिशूज पर नियंत्रण करते हैं और नए वायरल कण उत्पादित करने के लिए इसमें छेड़छाड़ करते हैं.

उन्होंने कहा कि इससे प्रोटीन की गतिविधियां और एंजाइम जैसे महत्वपूर्ण अणु प्रभावित होते हैं और इसके ढांचे में बदलाव कर प्रोटीन की कार्यविधि में बदलाव लाते हैं.

जरनल सेल में रविवार को प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों ने सभी मूल एवं वायरल प्रोटीन का विश्लेषण किया जिसने सार्स कोव-टू संक्रमण के बाद एंजाइम की प्रक्रिया में बदलाव को दर्शाया, जिसे फॉसफोरिलेशन कहा जाता है.

पढ़ें - कोरोना पर नियंत्रण के बाद होगा भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार : नीति आयोग

शोधकर्ताओं के मुताबिक मूल प्रोटीन में फॉसफोरिलेशन पैटर्न में बदलाव लाकर वायरस अपने संचरण को दूसरे टीशूज तक प्रसार को बढ़ावा देता है.

उन्होंने पाया कि वायरस के संपर्क में आने वाले 12 फीसदी तक मूल प्रोटीन बदल जाते हैं.

लॉस एंजिलिस : शोधकर्ताओं ने पाया है कि कोरोना वायरस अपने लक्षित टीशू में प्रोटीन को निशाना बनाता है, फिर लंबी श्रृंखला बनाकर नजदीक के टीशू तक पहुंचता है और संक्रमण फैलाता है.इस शोध से क्लीनिकली स्वीकृत ऐसी दवाओं की पहचान हो सकेगी, जो वायरस की इस प्रक्रिया को बाधित कर सकती है.

अमेरिका के ईएमबीएल के यूरोपीय बायोइन्फॉर्मेटिक्स इंस्टीट्यूट (ईएमबीएल-ईबीआई) और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय सैन फ्रांसिस्को के वैज्ञानिकों ने कहा कि वायरस, जिनमें कोरोना वायरस सार्स कोव-टू के वायरस भी शामिल हैं, वह टिशूज पर नियंत्रण करते हैं और नए वायरल कण उत्पादित करने के लिए इसमें छेड़छाड़ करते हैं.

उन्होंने कहा कि इससे प्रोटीन की गतिविधियां और एंजाइम जैसे महत्वपूर्ण अणु प्रभावित होते हैं और इसके ढांचे में बदलाव कर प्रोटीन की कार्यविधि में बदलाव लाते हैं.

जरनल सेल में रविवार को प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों ने सभी मूल एवं वायरल प्रोटीन का विश्लेषण किया जिसने सार्स कोव-टू संक्रमण के बाद एंजाइम की प्रक्रिया में बदलाव को दर्शाया, जिसे फॉसफोरिलेशन कहा जाता है.

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शोधकर्ताओं के मुताबिक मूल प्रोटीन में फॉसफोरिलेशन पैटर्न में बदलाव लाकर वायरस अपने संचरण को दूसरे टीशूज तक प्रसार को बढ़ावा देता है.

उन्होंने पाया कि वायरस के संपर्क में आने वाले 12 फीसदी तक मूल प्रोटीन बदल जाते हैं.

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