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ट्यूनिशिया में राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री को पद से हटाया, संसद भंग

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Published : Jul 26, 2021, 7:39 PM IST

राष्ट्रपति कैस सईद द्वारा लिए गए निर्णय का प्रदर्शनकारियों ने हॉर्न बजाकर और देश के झंडे लहरा कर स्वागत किया. सईद के आलोचकों ने उन पर सत्ता हथियाने का आरोप लगाया है. साथ ही अन्य मित्र देशों ने चिंता प्रकट की है कि उत्तरी अफ्रीका के इस नए लोकतंत्र में कहीं फिर से तानाशाही शासन न आ जाए.

ट्यूनिशिया
ट्यूनिशिया

ट्यूनिस : ट्यूनीशिया (tunisia) में राष्ट्रपति द्वारा संसद भंग (Parliament dissolved by the President) करने और प्रधानमंत्री को पद से हटाने के बाद आज (सोमवार) सैनिकों ने संसद को घेर लिया. इसके साथ ही सदन के अध्यक्ष को भीतर प्रवेश करने से रोक दिया गया. इससे पहले देश के आर्थिक संकट और कोरोना वायरस (corona virus) जनित महामारी से निपटने में सरकार की विफलता के चलते देशव्यापी विरोध प्रदर्शन हुए थे.

रविवार देर रात को राष्ट्रपति कैस सईद द्वारा लिए गए निर्णय का प्रदर्शनकारियों ने हॉर्न बजाकर और देश के झंडे लहरा कर स्वागत किया. सईद के आलोचकों ने उन पर सत्ता हथियाने का आरोप लगाया है. साथ ही अन्य मित्र देशों ने चिंता प्रकट की है कि उत्तरी अफ्रीका के इस नए लोकतंत्र में कहीं फिर से तानाशाही शासन न आ जाए.

पढ़ें- फिलीपींस के राष्ट्रपति संकट के बीच अंतिम बार करेंगे कांग्रेस को संबोधित

ऐसी चिंताओं को बल तब मिला, जब पुलिस ने मीडिया चैनल अल जजीरा के कार्यालयों पर छापेमारी कर उसे बंद कर दिया. ट्यूनीशिया में 2011 में अरब क्रांति का आगाज हुआ था और लम्बे समय तक शासन कर रहे नेता को पद से हटा दिया गया था.

इसके बाद आये लोकतंत्र के दौरान भी देश में समृद्धि नहीं रही. महामारी के कारण ट्यूनीशिया की अर्थव्यवस्था लगातार गिर रही है और बेरोजगारी की दर 18 प्रतिशत है.

(एपी)

ट्यूनिस : ट्यूनीशिया (tunisia) में राष्ट्रपति द्वारा संसद भंग (Parliament dissolved by the President) करने और प्रधानमंत्री को पद से हटाने के बाद आज (सोमवार) सैनिकों ने संसद को घेर लिया. इसके साथ ही सदन के अध्यक्ष को भीतर प्रवेश करने से रोक दिया गया. इससे पहले देश के आर्थिक संकट और कोरोना वायरस (corona virus) जनित महामारी से निपटने में सरकार की विफलता के चलते देशव्यापी विरोध प्रदर्शन हुए थे.

रविवार देर रात को राष्ट्रपति कैस सईद द्वारा लिए गए निर्णय का प्रदर्शनकारियों ने हॉर्न बजाकर और देश के झंडे लहरा कर स्वागत किया. सईद के आलोचकों ने उन पर सत्ता हथियाने का आरोप लगाया है. साथ ही अन्य मित्र देशों ने चिंता प्रकट की है कि उत्तरी अफ्रीका के इस नए लोकतंत्र में कहीं फिर से तानाशाही शासन न आ जाए.

पढ़ें- फिलीपींस के राष्ट्रपति संकट के बीच अंतिम बार करेंगे कांग्रेस को संबोधित

ऐसी चिंताओं को बल तब मिला, जब पुलिस ने मीडिया चैनल अल जजीरा के कार्यालयों पर छापेमारी कर उसे बंद कर दिया. ट्यूनीशिया में 2011 में अरब क्रांति का आगाज हुआ था और लम्बे समय तक शासन कर रहे नेता को पद से हटा दिया गया था.

इसके बाद आये लोकतंत्र के दौरान भी देश में समृद्धि नहीं रही. महामारी के कारण ट्यूनीशिया की अर्थव्यवस्था लगातार गिर रही है और बेरोजगारी की दर 18 प्रतिशत है.

(एपी)

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