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नौवहन संबंधी दावों के लिए प्रतिरोधी रणनीति अपना रहा चीन : पेंटागन

अमेरिकी संसद में चीन पर दी गई वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि उद्देश्य की पूर्ति के लिए चीन के नेता सशस्त्र संघर्ष जैसे हथकंडे अपनाते हैं. हालांकि भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा पर हाल के गतिरोध का कोई जिक्र नहीं है.

पेंटागन
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Published : Sep 2, 2020, 6:44 PM IST

वाशिंगटन : अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन की एक रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण और पूर्वी चीन सागर तथा भारत व भूटान से लगने वाली सीमाओं पर अपने क्षेत्रीय और नौवहन संबंधी दावों को अमल में लाने के लिए चीन प्रतिरोधी रणनीति अपना रहा है. चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में तेजी से अपना सैन्य और आर्थिक प्रभाव फैला रहा है, जिससे क्षेत्र और उसके बाहर के विभिन्न देशों में चिंता है.

अमेरिकी संसद को चीन पर दी गई अपनी वार्षिक रिपोर्ट में मंगलवार को पेंटागन ने कहा कि चीन के उद्देश्य की पूर्ति के लिए चीन के नेता सशस्त्र संघर्ष जैसे हथकंडे अपनाते हैं. चीन अपनी बलपूर्वक गतिविधियों को अमेरिका और उसके सहयोगियों व साझेदारों या हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अन्य के साथ सशस्त्र संघर्ष के लिए उकसाने की हद तक ले आया है.

पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना से संबंधित सैन्य एवं सुरक्षा गतिविधियां शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया कि दक्षिण और पूर्वी चीन सागर के साथ ही भारत व भूटान के साथ लगने वाली उसकी सीमाओं पर चीन के क्षेत्रीय व नौवहन संबंधी दावों की पूर्ति के लिए अपनाए जाने वाले यह हथकंडे खास तौर पर स्पष्ट होते हैं.

पेंटागन की 200 पन्नों वाली इस रिपोर्ट में हालांकि भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा पर हाल के गतिरोध का कोई जिक्र नहीं है.

चीन दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में उसके क्षेत्रीय दावों को मिलने वाली चुनौती से विवादों में घिरा है. चीन ने इस क्षेत्र में अपने नियंत्रण वाले कई द्वीपों और क्षेत्रों का सैन्यीकरण किया और वहां आधारभूत ढांचा बढ़ाया है. दोनों ही क्षेत्र खनिज, तेल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के लिहाज से समृद्ध बताए जाते हैं. वैश्विक व्यापार के लिहाज से अहम हैं.

पढ़ें- यूरोप में स्कूल खुले, फ्रांस के प्रधानमंत्री बच्चों के साथ कक्षा में बैठे

चीन लगभग समूचे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है. इस इलाके को लेकर वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया, ब्रूनेई और ताइवान के भी अपने दावे हैं. हाल के वर्षों में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने ताइवान के आसपास के इलाकों में बमवर्षक विमानों, लड़ाकू विमानों और निगरानी विमानों के जरिये गश्त बढ़ा दी है. चीन का मानना है कि ताइवान एक विद्रोही प्रांत है, जिसे फिर से मुख्य देश के साथ एकीकृत किया जाना चाहिए भले ही ऐसा बलपूर्वक हो.

पेंटागन ने संसद को दी अपनी रिपोर्ट में कहा कि पूर्वोत्तर सीमा के भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश को लेकर भारत के साथ उसका तनाव बना हुआ है. चीन उसे तिब्बत का हिस्सा कहता है और इस तरह उसे चीन का हिस्सा बताता है, जबकि तिब्बत के पठान के पश्चिमी सिरे पर अक्साई चिन क्षेत्र पर भी वह दावा करता है.

उसमें कहा गया कि चीनी और भारतीय गश्ती दल विवादित सीमा पर एक दूसरे से भिड़ जाते हैं और एक-दूसरे पर सीमा के उल्लंघन का आरोप लगाते हैं. इसमें कहा गया है कि हालांकि 2017 के डोकलाम गतिरोध के बाद चीन और भारत की सेनाएं नियमित रूप से संपर्क में रहती हैं और आम तौर पर 2019 में उन्होंने विवाद को बढ़ने नहीं दिया.

वाशिंगटन : अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन की एक रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण और पूर्वी चीन सागर तथा भारत व भूटान से लगने वाली सीमाओं पर अपने क्षेत्रीय और नौवहन संबंधी दावों को अमल में लाने के लिए चीन प्रतिरोधी रणनीति अपना रहा है. चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में तेजी से अपना सैन्य और आर्थिक प्रभाव फैला रहा है, जिससे क्षेत्र और उसके बाहर के विभिन्न देशों में चिंता है.

अमेरिकी संसद को चीन पर दी गई अपनी वार्षिक रिपोर्ट में मंगलवार को पेंटागन ने कहा कि चीन के उद्देश्य की पूर्ति के लिए चीन के नेता सशस्त्र संघर्ष जैसे हथकंडे अपनाते हैं. चीन अपनी बलपूर्वक गतिविधियों को अमेरिका और उसके सहयोगियों व साझेदारों या हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अन्य के साथ सशस्त्र संघर्ष के लिए उकसाने की हद तक ले आया है.

पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना से संबंधित सैन्य एवं सुरक्षा गतिविधियां शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया कि दक्षिण और पूर्वी चीन सागर के साथ ही भारत व भूटान के साथ लगने वाली उसकी सीमाओं पर चीन के क्षेत्रीय व नौवहन संबंधी दावों की पूर्ति के लिए अपनाए जाने वाले यह हथकंडे खास तौर पर स्पष्ट होते हैं.

पेंटागन की 200 पन्नों वाली इस रिपोर्ट में हालांकि भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा पर हाल के गतिरोध का कोई जिक्र नहीं है.

चीन दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में उसके क्षेत्रीय दावों को मिलने वाली चुनौती से विवादों में घिरा है. चीन ने इस क्षेत्र में अपने नियंत्रण वाले कई द्वीपों और क्षेत्रों का सैन्यीकरण किया और वहां आधारभूत ढांचा बढ़ाया है. दोनों ही क्षेत्र खनिज, तेल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के लिहाज से समृद्ध बताए जाते हैं. वैश्विक व्यापार के लिहाज से अहम हैं.

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चीन लगभग समूचे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है. इस इलाके को लेकर वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया, ब्रूनेई और ताइवान के भी अपने दावे हैं. हाल के वर्षों में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने ताइवान के आसपास के इलाकों में बमवर्षक विमानों, लड़ाकू विमानों और निगरानी विमानों के जरिये गश्त बढ़ा दी है. चीन का मानना है कि ताइवान एक विद्रोही प्रांत है, जिसे फिर से मुख्य देश के साथ एकीकृत किया जाना चाहिए भले ही ऐसा बलपूर्वक हो.

पेंटागन ने संसद को दी अपनी रिपोर्ट में कहा कि पूर्वोत्तर सीमा के भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश को लेकर भारत के साथ उसका तनाव बना हुआ है. चीन उसे तिब्बत का हिस्सा कहता है और इस तरह उसे चीन का हिस्सा बताता है, जबकि तिब्बत के पठान के पश्चिमी सिरे पर अक्साई चिन क्षेत्र पर भी वह दावा करता है.

उसमें कहा गया कि चीनी और भारतीय गश्ती दल विवादित सीमा पर एक दूसरे से भिड़ जाते हैं और एक-दूसरे पर सीमा के उल्लंघन का आरोप लगाते हैं. इसमें कहा गया है कि हालांकि 2017 के डोकलाम गतिरोध के बाद चीन और भारत की सेनाएं नियमित रूप से संपर्क में रहती हैं और आम तौर पर 2019 में उन्होंने विवाद को बढ़ने नहीं दिया.

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