इस्लामाबाद: पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने मंगलवार को अपने अमेरिकी समकक्ष माइक पोम्पिओ से बात की. कुरैशी ने उन्हें आतंक पर नकेल कसने के लिए पाक की कार्रवाई की जानकारी दी.
गौरतलब है कि वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) ने आतंक के खिलाफ पाक की ओर से की जाने वाली कार्रवाई के मामले में चिंताएं जाहिर की है. कुरैशी ने इन चिंताओं के समाधान के लिए पाकिस्तान की ओर से उठाए गए कदमों की जानकारी दी.
कुरैशी ने पोम्पियो से आतंकी गतिविधियों के वित्तपोषण पर लगाम लगाने के लिए किए जा रहे प्रयासों और उठाए गए कदम का भी जिक्र किया.
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, ब्रिटेन की आधिकारिक यात्रा पर गए कुरैशी और पोम्पिओ के बीच फोन पर हुई बातचीत के दौरान द्विपक्षीय संबंधों, क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा पर चर्चा हुई.
बता दें कि पेरिस स्थित FATF ने पिछले साल जून में पाकिस्तान को निगरानी सूची में डाल दिया था ताकि वह आतंकवादी संगठनों को समर्थन मुहैया कराना बंद करे.
फरवरी में FATF ने जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा जैसे आतंकवादी संगठनों का वित्तपोषण बंद करने में नाकाम रहने पर पाकिस्तान को 'ग्रे' सूची में बनाए रखने का फैसला किया था.
पाकिस्तान के 10 सदस्यों वाले एक प्रतिनिधिमंडल ने पिछले महीने चीन के ग्वांग्झोऊ में FATF के एशिया-प्रशांत समूह (एपीजी) की दो दिवसीय बैठक में शिरकत की थी. इस बैठक में प्रतिनिधिमंडल ने धनशोधन एवं आतंकी वित्तपोषण के खिलाफ पाकिस्तान के प्रयासों का बचाव किया था.
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बयान के मुताबिक, 'उन्होंने FATF की कार्य योजना के अनुरूप पाकिस्तान की ओर से उठाए जा रहे कदमों के बारे में भी बात की. इस संदर्भ में उन्होंने उन नियामक तंत्रों का भी प्रमुखता से जिक्र किया जिन्हें धनशोधन एवं आतंकी वित्तपोषण पर लगाम के लिए तैयार किया गया है.'
कुरैशी ने आतंकवाद से मुकाबले और आर्थिक पुनर्संरचना के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना के अनुरूप पाकिस्तान की ओर से उठाए जा रहे कदमों के बारे में भी पोम्पिओ को जानकारी दी.
गौरतलब है कि पाकिस्तान आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लांडरिंग के खिलाफ निगरानी करने वाले बहुपक्षीय वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) द्वारा तय 27 बिंदुओं में 25 पर कार्रवाई पूरा करने में विफल रहा है.
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पेरिस मुख्यालय वाले एफएटीएफ ने पाकिस्तान से यह स्पष्ट करने को कहा है कि क्या उसने मूल रूप से आतंवादी समूहों लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर के सहयोगी संगठनों जमात-उद-दावा तथा फलाह-ए-इंसानियत द्वारा से शुरू किए गए स्कूलों, मदरसों, क्लिनिक और एंबुलेंस सेवाओं को चलाने के लिए 70 लाख डॉलर की धन राशि के आवंटन की कोई जांच शुरू की है.