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कोरोना संक्रमण की गंभीरता को कम करने वाले नए एंटीबॉडी की हुई पहचान

अमेरिकी शोधकर्ताओं ने 1,700 से अधिक एंटीबॉडी की पहचान की, जो प्रतिरक्षा प्रणाली विशिष्ट वायरसों पर विशिष्ट स्थानों पर बंधकर रोगाणु को कोशिकाओं को संक्रमित करने से रोकती है. उन्होंने कहा कि जब वायरस का उत्परिवर्तन होता है, तो कई संपर्ककारी स्थल (बाइंडिंग साइट) बदल जाते हैं या समाप्त हो जाते हैं, जिससे एंटीबॉडी अप्रभावी हो जाती हैं.

Novel antibody reduces severity of coronavirus
Novel antibody reduces severity of coronavirus
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Published : Nov 3, 2021, 7:59 PM IST

वॉशिंगटन : अमेरिकी वैज्ञानिकों ने ऐसे एंटीबॉडी की पहचान एवं जांच की है, जो कोरोना वायरस के कई प्रारूपों से होने वाले संक्रमणों की गंभीरता को सीमित कर सकता है जिनमें कोविड-19 के साथ ही सार्स (SARS) बीमारी के लिए जिम्मेदार वायरस शामिल हैं.

अध्ययन में सार्स का प्रकोप फैलाने वाले सार्स-सीओवी-1 (SARS-CoV-1) वायरस से संक्रमित और मौजूदा कोविड-19 से पीड़ित एक-एक मरीज के रक्त का विश्लेषण कर उसके शरीर से एंटीबॉडी को अलग किया गया.

अध्ययन के सह-वरिष्ठ लेखक एवं अमेरिका की ड्यूक यूनिवर्सिटी ह्यूमन वैक्सीन इंस्टीट्यूट के निदेशक बार्टन हेन्स ने कहा, 'इस एंटीबॉडी में मौजूदा वैश्विक महामारी से निपटने की क्षमता है.'

हेन्स ने कहा, 'यह भविष्य में सामने आने वाले प्रकोपों के लिए भी उपलब्ध हो सकता है अगर या जब कभी अन्य कोरोना वायरस अपने प्राकृतिक पशु पोषक से निकलकर मनष्यों में आ जाते हैं.'

वैज्ञानिकों ने 1,700 से अधिक एंटीबॉडी की पहचान की, जो प्रतिरक्षा प्रणाली विशिष्ट वायरसों पर विशिष्ट स्थानों पर बंधकर रोगाणु को कोशिकाओं को संक्रमित करने से रोकती है.

उन्होंने कहा कि जब वायरस का उत्परिवर्तन होता है, तो कई संपर्ककारी स्थल (बाइंडिंग साइट) बदल जाते हैं या समाप्त हो जाते हैं, जिससे एंटीबॉडी अप्रभावी हो जाती हैं.

यह भी पढ़ें- ओमान के बाद ऑस्ट्रेलिया ने भी कोवैक्सीन को दी मंजूरी, भारतीय कर सकेंगे यात्रा

अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि वायरस पर अक्सर ऐसी साइट होते हैं जो उनके उत्परिवर्तन के बावजूद अपरिवर्तित रहते हैं. उन्होंने ऐसी एंटीबॉडीज पर ध्यान केंद्रित किया जो वायरस के विभिन्न वंशों के खिलाफ अत्यधिक प्रभावी होने की उनकी क्षमता के कारण इन साइटों को लक्षित करती हैं.

यह अध्ययन मंगलवार को 'साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन' में प्रकाशित हुआ.

(पीटीआई-भाषा)

वॉशिंगटन : अमेरिकी वैज्ञानिकों ने ऐसे एंटीबॉडी की पहचान एवं जांच की है, जो कोरोना वायरस के कई प्रारूपों से होने वाले संक्रमणों की गंभीरता को सीमित कर सकता है जिनमें कोविड-19 के साथ ही सार्स (SARS) बीमारी के लिए जिम्मेदार वायरस शामिल हैं.

अध्ययन में सार्स का प्रकोप फैलाने वाले सार्स-सीओवी-1 (SARS-CoV-1) वायरस से संक्रमित और मौजूदा कोविड-19 से पीड़ित एक-एक मरीज के रक्त का विश्लेषण कर उसके शरीर से एंटीबॉडी को अलग किया गया.

अध्ययन के सह-वरिष्ठ लेखक एवं अमेरिका की ड्यूक यूनिवर्सिटी ह्यूमन वैक्सीन इंस्टीट्यूट के निदेशक बार्टन हेन्स ने कहा, 'इस एंटीबॉडी में मौजूदा वैश्विक महामारी से निपटने की क्षमता है.'

हेन्स ने कहा, 'यह भविष्य में सामने आने वाले प्रकोपों के लिए भी उपलब्ध हो सकता है अगर या जब कभी अन्य कोरोना वायरस अपने प्राकृतिक पशु पोषक से निकलकर मनष्यों में आ जाते हैं.'

वैज्ञानिकों ने 1,700 से अधिक एंटीबॉडी की पहचान की, जो प्रतिरक्षा प्रणाली विशिष्ट वायरसों पर विशिष्ट स्थानों पर बंधकर रोगाणु को कोशिकाओं को संक्रमित करने से रोकती है.

उन्होंने कहा कि जब वायरस का उत्परिवर्तन होता है, तो कई संपर्ककारी स्थल (बाइंडिंग साइट) बदल जाते हैं या समाप्त हो जाते हैं, जिससे एंटीबॉडी अप्रभावी हो जाती हैं.

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अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि वायरस पर अक्सर ऐसी साइट होते हैं जो उनके उत्परिवर्तन के बावजूद अपरिवर्तित रहते हैं. उन्होंने ऐसी एंटीबॉडीज पर ध्यान केंद्रित किया जो वायरस के विभिन्न वंशों के खिलाफ अत्यधिक प्रभावी होने की उनकी क्षमता के कारण इन साइटों को लक्षित करती हैं.

यह अध्ययन मंगलवार को 'साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन' में प्रकाशित हुआ.

(पीटीआई-भाषा)

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