हैदराबाद : साल 2019 के अप्रैल महीने में एक भयानक वारदात हुई. ईस्टर संडे के दिन श्रीलंका में हुए सीरियल बम धमाकों के बाद दुनिया भर में आतंकवाद पर एक नई बहस छिड़ी. इस हमले में 250 से ज्यादा लोग मारे गए थे.
श्रीलंका के अलावा हांगकांग में प्रत्यर्पण कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी सुर्खियों में रहे. कई मीडिया रिपोर्ट्स में इसे लोकतंत्र की लड़ाई बताया गया. साल के अंत में ट्रंप पर महाभियोग और ब्रेक्जिट मुद्दे ने भी सुर्खियां बटोरी. इससे पहले कि पूरी दुनिया 2020 का स्वागत करे, आइए एक नजर डालते हैं कुछ प्रमुख अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर.
ईस्टर संडे अटैक
श्रीलंका ने 2009 में हुए गृह-युद्ध के बाद उस समय सबसे घातक नरसंहार देखा, जब नौ आत्मघाती हमलावरों ने 21 अप्रैल को एक के बाद एक विस्फोट किए. इसमें 259 लोगों की जान गई. तीन चर्च और एक होटल को निशाना बनाया गया. चर्च में ईस्टर संडे की प्रार्थना के बाद लोग एकत्रित हुए थे. आईएस ने हमले की जिम्मेवारी ली. हालांकि, सरकार ने स्थानीय इस्लामी चरमपंथी समूह नेशनल थाहिद जमात को जिम्मेवार ठहराया. मामले में 300 की गिरप्तारी हो चुकी है.
हांगकांग में प्रदर्शन
हांगकांग में एक बिल को लेकर जून महीने से ही लगातार विरोध-प्रदर्शन जारी है. बिल आपराधिक संदिग्धों को मुख्य भूमि चीन को प्रत्यर्पित करने की अनुमति देता है. सितंबर में इस बिल को वापस ले लिया गया. फिर भी, पुलिस ज्यादतियों के खिलाफ विरोध जारी है.
कनाडा चुनाव
प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी ने कनाडा के आम चुनाव में दोबारा से जीत हासिल की. भारतीय मूल के जगमीत सिंह के नेतृत्व वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी ने 24 सीटें जीतीं. वे किंगमेकर बन गए. भारतीय मूल के 50 लोगों ने चुनाव लड़ा. इनमें से 19 को जीत मिली. 18 सिख समुदाय से हैं.
यूके चुनाव
ब्रेक्सिट गतिरोध के बीच, ब्रिटेन में 12 दिसंबर को आम चुनाव हुए. इसमें बोरिस जॉनसन की कंजर्वेटिव पार्टी को शानदार जीत मिली. कंजरवेटिव और लेबर पार्टियों से लगभग एक दर्जन भारतीय मूल के सांसद चुनावों में विजयी हुए.
जलवायु परिवर्तन
जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग से प्रेरित होकर दुनिया भर में लाखों लोगों ने 20 से 27 सितंबर तक सड़कों पर प्रदर्शन किया. 150 देशों में लगभग 4500 स्थानों पर प्रदर्शन हुए. 6 मिलियन लोगों की भागीदारी देखी हुई. 20 सितंबर के विरोध को जलवायु परिवर्तन के विषय पर इतिहास का सबसे बड़ा विरोध माना जाता है.
ग्रेटा थनबर्ग
ऐसे समय में जब दुनिया जलवायु के बारे में चिंतित है, 16 वर्षीय ग्रेटा थुनबर्ग ने दुनिया भर के लाखों युवाओं को जलवायु को संरक्षित करने के लिए प्रेरित किया. स्वीडिश छात्रा को 2019 में टाइम पत्रिका ने पर्सन ऑफ द ईयर के रूप में नामित किया. नामित होने वाली वह सबसे उम्र की व्यक्ति बनीं. न्यूयॉर्क के जलवायु सम्मेलन में उसने कहा - आपने अपने खाली शब्दों के साथ मेरे सपनों और मेरे बचपन को चुरा लिया है. हम आपको देख रहे हैं..उनका यह वीडियो खूब वायरल हुआ.
अरामको अटैक
सऊदी अरब ने 14 सितंबर को अपने तेल क्षेत्रों पर सबसे घातक ड्रोन हमला देखा. इसमें अबकीज़ शहर के रिफाइनरी में बड़े पैमाने पर आग लग गई थी. इसे अरामको ऑपरेट करता है. यह दुनिया का सबसे बड़ा तेल प्रसंस्करण संयंत्र है. हमला रियाद से 150 किलोमीटर दूर खुरास तेल क्षेत्र पर था. हूथी विद्रोही समूह ने इसकी जिम्मेवारी ली थी. इसे लेकर अमेरिका ने ईरान पर आरोप लगाए थे.
रॉबर्ट मुगाबे
रॉबर्ट मुगाबे, जिन्होंने 1980 से 2017 तक जिम्बाब्वे का नेतृत्व किया, सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान 6 सितंबर को उनकी मृत्यु हो गई. वे 95 वर्ष के थे. इन्होंने 1980 के चुनाव में पहली बार जीत हासिल की थी. मुगाबे ने रोड्सियन सरकार को वार्ता की मेज पर ले जाने पर मजबूर किया था. 2017 में मुगाबे को बाहर कर दिया गया, जब उनके अपने ही वफादार जनरल ने बगावत कर दी.
नोबल शांति पुरस्कार
इथियोपिया के प्रधान मंत्री अबी अहमद अली को शांति और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्राप्त करने के प्रयासों के लिए 2019 के नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उन्होंने पड़ोसी इरिट्रिया के साथ सीमा संघर्ष को सुलझाने में योगदान दिया था.
अर्थशास्त्र का नोबल
भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी, उनकी पत्नी एस्तेर डुफ्लो और माइकल क्रेमर को संयुक्त रूप से अर्थशास्त्र का नोबेल अवार्ड दिया गया. वैश्विक गरीबी को कम करने के लिए प्रयोगात्मक दृष्टिकोण उनका विषय था. बनर्जी ने कलकत्ता विवि, जेएनयू और हार्वड विवि से डिग्री हासिल की है.
श्रीलंका राष्ट्रपति चुनाव
श्रीलंका में 16 नवंबर को राष्ट्रपति का चुनाव हुआ. कुल 36 उम्मीदवार रेस में शामिल थे. पूर्व रक्षा सचिव गोटबाया राजपक्षे को जीत हासिल हुई. उन्हें 52.25 प्रतिशत वोट मिला. वे चीन समर्थक और भाजपा विरोधी माने जाते हैं. हालांकि, विदेश यात्रा के रूप में उन्होंने सबसे पहले भारत का ही चयन किया.
ट्रंप पर महाभियोग
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर 18 दिसंबर को हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव में महाभियोग चलाया गया. इसका सामना करने वाले वे तीसरे अमेरिकी राष्ट्रपति बने. ट्रंप पर आरोप है कि 2020 के चुनाव से पहले राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी पर जांच बिठाने कि लिए एक विदेशी सरकार पर दबाव डाला. इसके लिए उन्होंने अपने कार्यालय की शक्ति का दुरुपयोग किया था. महाभियोग की प्रक्रिया अब भी जारी है.