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मेरी पहली नौकरी मां की प्रयोगशाला में कांच के पिपेट धोने की थी : कमला हैरिस

अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (एनआईएच) के बेथसेडा स्थित मुख्यालय में कोविड-19 टीके के दूसरे डोज लेने के मौके पर कहा कि उनकी पहली नौकरी मां की प्रयोगशाली थी. उपराष्ट्रपति ने इस मौके पर मां को याद किया, जिनकी कैंसर से 2009 में मृत्यु हो गई थी.

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Published : Jan 27, 2021, 3:46 PM IST

वॉशिंगटन : अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने कहा कि उनकी पहली नौकरी मां की प्रयोगशाला में इस्तेमाल होने वाली कांच के पिपेट साफ करने की थी. उन्होंने यह बात राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (एनआईएच) के बेथसेडा स्थित मुख्यालय में कोविड-19 टीके का दूसरा डोज लेने के मौके पर कही. हैरिस की मां श्यामला गोपालन हैरिस मूल रूप से चेन्नई की थीं और पेशे से स्तन कैंसर अनुसंधानकर्ता थीं, जिनकी मौत वर्ष 2009 में कैंसर से हो गई.

हैरिस के पिता जमैकाई मूल के हैं और पेशे से अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं. उन्होंने कहा कि बचपन में हम हमेशा जानते थे कि मां इस स्थान पर जा रही हैं, जिसे बेथेसडा कहते हैं. मां बेथसेडा जाती थीं और निश्चित रूप से वह यहां राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान आती थीं. वह जैव रसायन अंत:स्राविका विभाग में काम करती थीं.

यह भी पढ़ें-अमेरिकी सीनेट ने ब्लिंकन को विदेश मंत्री नियुक्त करने के प्रस्ताव को दी मंजूरी

अपनी मां की प्रयोगशाला में बिताए गए पलों को याद करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, 'वह 'पीयर रिव्युवर' थीं. मेरी मां के लिए उनके जीवन के दो लक्ष्य थे. पहला दोनों बेटियों को पालना और दूसरा स्तन कैंसर खत्म करना. यह कम ही लोग जानते हैं कि मेरी पहली नौकरी मां की प्रयोगशाला में कांच के पिपेट साफ करने की थी. वह हमें स्कूल खत्म होने के बाद और सप्ताहांत वहां लेकर जाती थीं.

वॉशिंगटन : अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने कहा कि उनकी पहली नौकरी मां की प्रयोगशाला में इस्तेमाल होने वाली कांच के पिपेट साफ करने की थी. उन्होंने यह बात राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (एनआईएच) के बेथसेडा स्थित मुख्यालय में कोविड-19 टीके का दूसरा डोज लेने के मौके पर कही. हैरिस की मां श्यामला गोपालन हैरिस मूल रूप से चेन्नई की थीं और पेशे से स्तन कैंसर अनुसंधानकर्ता थीं, जिनकी मौत वर्ष 2009 में कैंसर से हो गई.

हैरिस के पिता जमैकाई मूल के हैं और पेशे से अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं. उन्होंने कहा कि बचपन में हम हमेशा जानते थे कि मां इस स्थान पर जा रही हैं, जिसे बेथेसडा कहते हैं. मां बेथसेडा जाती थीं और निश्चित रूप से वह यहां राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान आती थीं. वह जैव रसायन अंत:स्राविका विभाग में काम करती थीं.

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अपनी मां की प्रयोगशाला में बिताए गए पलों को याद करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, 'वह 'पीयर रिव्युवर' थीं. मेरी मां के लिए उनके जीवन के दो लक्ष्य थे. पहला दोनों बेटियों को पालना और दूसरा स्तन कैंसर खत्म करना. यह कम ही लोग जानते हैं कि मेरी पहली नौकरी मां की प्रयोगशाला में कांच के पिपेट साफ करने की थी. वह हमें स्कूल खत्म होने के बाद और सप्ताहांत वहां लेकर जाती थीं.

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