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भारत हिंद महासागर क्षेत्र में खुद को एक बड़े सुरक्षा प्रदाता के रूप में देखता है : संधू

भारतीय राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रों के रूप में आज हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उससे अकेले निपटना काफी जटिल होगा. यह परस्पर निर्भरता, मेरे लिए, कमजोरी का संकेत नहीं बल्कि ताकत का एक स्रोत है.

हिंद महासागर
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Published : Sep 15, 2021, 12:10 PM IST

वाशिंगटन: अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने कहा कि भारत हिंद महासागर क्षेत्र में खुद को बड़े सुरक्षा प्रदाता के रूप में देखता है, जहां वह अपने मित्रों तथा भागीदारों के लिए आर्थिक क्षेत्र में तथा समुद्री सुरक्षा में सुधार करने में मदद करता है.

संधू ने यह बयान अमेरिका में होने वाले क्वाड शिखर सम्मेलन से पहले दिया है. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन 24 सितंबर को क्वाड शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेंगे. इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा भी शामिल होंगे. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने सोमवार को बताया था कि चारों नेता मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा देने और जलवायु संकट से निपटने के बारे में बात करेंगे. वे अपने संबंधों को और प्रगाढ़ करने तथा कोविड-19 एवं अन्य क्षेत्रों में व्यवहारिक सहयोग को बढ़ाने के बारे में भी वार्ता करेंगे.

भारतीय राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रों के रूप में आज हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उससे अकेले निपटना काफी जटिल होगा. यह परस्पर निर्भरता, मेरे लिए, कमजोरी का संकेत नहीं बल्कि ताकत का एक स्रोत है. यह दोस्ती है जिसे हम बढ़ा रहे हैं, जो विश्वास हम कायम करते हैं, जो सम्पर्क हम स्थापित करते हैं, वह उन गंभीर समस्याओं का संभावित समाधान हैं, जिसका सामना आज दुनिया कर रही है.

‘कार्नेगी इंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संधू ने कहा कि हिंद महासागर अपने नजदीकी और दूरस्थ पड़ोसियों के लिए एक पुल है. उन्होंने कहा कि सागर जो हमें अलग करते हैं, वहीं हमें जोड़ते भी हैं. हिंद महासागर क्षेत्र में भारत खुद को सुरक्षा प्रदाता के रूप में देखता है. हम पहले थे, जिसने इस क्षेत्र में एचए/डीआर अभियानों में मदद की. चाहे श्रीलंका में बाढ़ आई हो, या मालदीव में पानी की कमी हमने पूरी तत्परता से हमेशा मदद की और वह भी संकट के समय.

राजदूत ने कहा कि कार्नेगी की शुरुआत ऐसे समय में हो रही है जब 'हिंद-प्रशांत' शब्द, शायद, वैश्विक रणनीतिक शब्दावली में सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले शब्दों में से एक बन रहा है. उन्होंने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र के सभी देशों के साथ हमारे संबंध मजबूत हैं और हम आर्थिक क्षमताओं के निर्माण में मदद तथा हमारे मित्रों और भागीदारों के लिए समुद्री सुरक्षा में सुधार कर रहे हैं. कोविड-19 के दौरान, हमने हिंद महासागर क्षेत्र के अन्य देशों मालदीव, मॉरीशस, मेडागास्कर, कोमोरोस, सेशेल्स, श्रीलंका और हिंद महासागर द्वीप के अन्य राष्ट्रों में चिकित्सा दल भेजे और उपकरणों की आपूर्ति भी की.

संधू ने कहा कि जून 2018 में शांगरी-ला वार्ता में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण में भी हिंद-प्रशांत के मुद्दे पर जोर दिया गया था. उन्होंने कहा कि हम हिंद-प्रशांत को एक स्वतंत्र, खुले, समावेशी क्षेत्र के रूप में देखते हैं.

पीटीआई-भाषा

वाशिंगटन: अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने कहा कि भारत हिंद महासागर क्षेत्र में खुद को बड़े सुरक्षा प्रदाता के रूप में देखता है, जहां वह अपने मित्रों तथा भागीदारों के लिए आर्थिक क्षेत्र में तथा समुद्री सुरक्षा में सुधार करने में मदद करता है.

संधू ने यह बयान अमेरिका में होने वाले क्वाड शिखर सम्मेलन से पहले दिया है. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन 24 सितंबर को क्वाड शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेंगे. इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा भी शामिल होंगे. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने सोमवार को बताया था कि चारों नेता मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा देने और जलवायु संकट से निपटने के बारे में बात करेंगे. वे अपने संबंधों को और प्रगाढ़ करने तथा कोविड-19 एवं अन्य क्षेत्रों में व्यवहारिक सहयोग को बढ़ाने के बारे में भी वार्ता करेंगे.

भारतीय राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रों के रूप में आज हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उससे अकेले निपटना काफी जटिल होगा. यह परस्पर निर्भरता, मेरे लिए, कमजोरी का संकेत नहीं बल्कि ताकत का एक स्रोत है. यह दोस्ती है जिसे हम बढ़ा रहे हैं, जो विश्वास हम कायम करते हैं, जो सम्पर्क हम स्थापित करते हैं, वह उन गंभीर समस्याओं का संभावित समाधान हैं, जिसका सामना आज दुनिया कर रही है.

‘कार्नेगी इंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संधू ने कहा कि हिंद महासागर अपने नजदीकी और दूरस्थ पड़ोसियों के लिए एक पुल है. उन्होंने कहा कि सागर जो हमें अलग करते हैं, वहीं हमें जोड़ते भी हैं. हिंद महासागर क्षेत्र में भारत खुद को सुरक्षा प्रदाता के रूप में देखता है. हम पहले थे, जिसने इस क्षेत्र में एचए/डीआर अभियानों में मदद की. चाहे श्रीलंका में बाढ़ आई हो, या मालदीव में पानी की कमी हमने पूरी तत्परता से हमेशा मदद की और वह भी संकट के समय.

राजदूत ने कहा कि कार्नेगी की शुरुआत ऐसे समय में हो रही है जब 'हिंद-प्रशांत' शब्द, शायद, वैश्विक रणनीतिक शब्दावली में सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले शब्दों में से एक बन रहा है. उन्होंने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र के सभी देशों के साथ हमारे संबंध मजबूत हैं और हम आर्थिक क्षमताओं के निर्माण में मदद तथा हमारे मित्रों और भागीदारों के लिए समुद्री सुरक्षा में सुधार कर रहे हैं. कोविड-19 के दौरान, हमने हिंद महासागर क्षेत्र के अन्य देशों मालदीव, मॉरीशस, मेडागास्कर, कोमोरोस, सेशेल्स, श्रीलंका और हिंद महासागर द्वीप के अन्य राष्ट्रों में चिकित्सा दल भेजे और उपकरणों की आपूर्ति भी की.

संधू ने कहा कि जून 2018 में शांगरी-ला वार्ता में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण में भी हिंद-प्रशांत के मुद्दे पर जोर दिया गया था. उन्होंने कहा कि हम हिंद-प्रशांत को एक स्वतंत्र, खुले, समावेशी क्षेत्र के रूप में देखते हैं.

पीटीआई-भाषा

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