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अफगानिस्तान पर तेजी से तालिबान के कब्जा के लिए अफगान सेना की नाकामी जिम्मेदार : अमेरिका - Failure of Afghan army

सुलिवन ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन अमेरिका को अफगानिस्तान में 'तीसरे दशक के संघर्ष' में नहीं झोंकना चाहते थे और उनका मानना था कि वक्त आ गया है कि अरबों डॉलर के निवेश और अमेरिका द्वारा प्रशिक्षण दिये जाने के बाद अफगान सेना दो दशक बाद अब अपने देश की रक्षा करे.

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Published : Aug 16, 2021, 9:16 PM IST

वॉशिंगटन : अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन ने कहा है कि तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर तेजी से कब्जा करने के लिए अफगान सेना की नाकामी को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.

सुलिवन ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन अमेरिका को अफगानिस्तान में 'तीसरे दशक के संघर्ष' में नहीं झोंकना चाहते थे और उनका मानना था कि वक्त आ गया है कि अरबों डॉलर के निवेश और अमेरिका द्वारा प्रशिक्षण दिये जाने के बाद अफगान सेना दो दशक बाद अब अपने देश की रक्षा करे.

हालांकि, सुलिवन ने कहा, 'हम उन्हें इच्छा शक्ति नहीं दे सकें और आखिरकार उन्होंने फैसला किया कि वे काबुल के लिए नहीं लड़ेंगे.' उन्होंने कहा कि अमेरिका के लिए सबसे बुरा परिदृश्य एक गृहयुद्ध में लड़ने के लिए हजारों सैनिकों को भेजना होगा, जब अफगान सेना 'खुद लड़ने के लिए तैयार नहीं है.'

सुलिवन ने कहा कि बाइडन को विषय पर गलत विकल्पों का सामना करना पड़ा और राष्ट्रपति ने आखिरकार अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने और अफगान लोगों को खुद के लिए लड़ने की खातिर छोड़ने का विकल्प चुना.

पढ़ेंः जिसने लिखी फतह की इबारत, क्या मिलेगी उसे अफगानिस्तान की जिम्मेदारी ?

उन्होंने कहा कि काबुल में जो कुछ हो रहा है उसे देखना दुखद है, लेकिन बाइडन अपने फैसले पर अडिग हैं. सुलिवन ने सोमवार को एबीसी के 'गुड मॉर्निंग अमेरिका' और एनबीसी के 'टूडे' कार्यक्रम में यह टिप्पणी की.

(एपी)

वॉशिंगटन : अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन ने कहा है कि तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर तेजी से कब्जा करने के लिए अफगान सेना की नाकामी को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.

सुलिवन ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन अमेरिका को अफगानिस्तान में 'तीसरे दशक के संघर्ष' में नहीं झोंकना चाहते थे और उनका मानना था कि वक्त आ गया है कि अरबों डॉलर के निवेश और अमेरिका द्वारा प्रशिक्षण दिये जाने के बाद अफगान सेना दो दशक बाद अब अपने देश की रक्षा करे.

हालांकि, सुलिवन ने कहा, 'हम उन्हें इच्छा शक्ति नहीं दे सकें और आखिरकार उन्होंने फैसला किया कि वे काबुल के लिए नहीं लड़ेंगे.' उन्होंने कहा कि अमेरिका के लिए सबसे बुरा परिदृश्य एक गृहयुद्ध में लड़ने के लिए हजारों सैनिकों को भेजना होगा, जब अफगान सेना 'खुद लड़ने के लिए तैयार नहीं है.'

सुलिवन ने कहा कि बाइडन को विषय पर गलत विकल्पों का सामना करना पड़ा और राष्ट्रपति ने आखिरकार अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने और अफगान लोगों को खुद के लिए लड़ने की खातिर छोड़ने का विकल्प चुना.

पढ़ेंः जिसने लिखी फतह की इबारत, क्या मिलेगी उसे अफगानिस्तान की जिम्मेदारी ?

उन्होंने कहा कि काबुल में जो कुछ हो रहा है उसे देखना दुखद है, लेकिन बाइडन अपने फैसले पर अडिग हैं. सुलिवन ने सोमवार को एबीसी के 'गुड मॉर्निंग अमेरिका' और एनबीसी के 'टूडे' कार्यक्रम में यह टिप्पणी की.

(एपी)

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