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मरीजों की ह्रदय कोशिकाओं को संक्रमित कर सकता है कोरोना वायरस - कोरोना महामारी पर रिसर्च

अमेरिका के सिडार-सिनई बोर्ड ऑफ गवर्नर्स रीजेनरेटिव मेडिसिन इंस्टीट्यूट के अरुण शर्मा इस अध्ययन के सह लेखक हैं. उन्होंने कहा कि हमने न सिर्फ यह पाया कि स्टेम कोशिकाओं से तैयार ये ह्रदय कोशिकाएं कोरोना वायरस से संक्रमित होने के प्रति अति संवेदनशील हैं बल्कि यह भी देखा कि वायरस ह्रदय की मांसपेशी कोशिकाओं के भीतर जल्दी से विभाजित भी होने लगता है.

कोरोना ह्रदय कोशिकाओं को संक्रमित कर सकता है
कोरोना ह्रदय कोशिकाओं को संक्रमित कर सकता है
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Published : Jul 1, 2020, 7:43 PM IST

लॉस एंजिलिस : भारतीय मूल के अनुसंधानकर्ता समेत वैज्ञानिकों की टीम ने एक अध्ययन के जरिए दिखाया है कि कोरोना वायरस प्रयोगशाला में विकसित दिल की मांसपेशी की कोशिकाओं को संक्रमित कर सकता है. यह इस बात का संकेत देता है कि संभव है कि यह वायरस सीधे कोविड-19 मरीजों के दिल को संक्रमित करता हो.

यह अध्ययन प्रयोगशाला में विकसित की गई ह्रदय की मांसपेशियों की कोशिकाओं पर किए गए प्रयोगों पर आधारित है जिन्हें मानव की स्टेम कोशिकाओं से तैयार किया गया था.

अमेरिका के सिडार-सिनई बोर्ड ऑफ गवर्नर्स रीजेनरेटिव मेडिसिन इंस्टीट्यूट के अरुण शर्मा इस अध्ययन के सह लेखक हैं. उन्होंने कहा, 'हमने न सिर्फ यह पाया कि स्टेम कोशिकाओं से तैयार ये ह्रदय कोशिकाएं कोरोना वायरस से संक्रमित होने के प्रति अति संवेदनशील हैं बल्कि यह भी देखा कि वायरस ह्रदय की मांसपेशी कोशिकाओं के भीतर जल्दी से विभाजित भी होने लगता है.'

उन्होंने कहा, 'और भी अधिक महत्त्वपूर्ण यह था कि संक्रमित ह्रदय कोशिकाओं में संक्रमण के 72 घंटे बाद धड़कने की उनकी क्षमता में परिवर्तन देखा गया.'

वैज्ञानिकों का कहना है कि कोविड-19 के कई मरीजों को ह्रदय संबंधी समस्या आती है लेकिन इन लक्षणों के कारण पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं.

उन्होंने कहा कि पहले से मौजूद दिल की कोई समस्या या संक्रमण के कारण होने वाली सूजन और ऑक्सीजन की कमी, इन सभी कारणों को इसमें शामिल किया गया.

वैज्ञानिकों के अनुसार, इस बारे में बहुत सीमित साक्ष्य उपलब्ध हैं कि कोरोना वायरस (सार्स-सीओवी-2) दिल की प्रत्येक मांसपेशी कोशिकाओं को सीधे-सीधे संक्रमित करता है.

वर्तमान अध्ययन दिखाता है कि सार्स-सीओवी-2 मानव स्टेम कोशिकाओं से तैयार की गई ह्रदय कोशिकाओं को संक्रमित कर सकता है और इन कोशिकाओं में मौजूद जीन प्रोटीन बनाने में कैसे मदद करते हैं उस प्रक्रिया को बदल सकता है.

इन परिणामों के आधार पर वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि की है कि वायरस सक्रियता से मानव ह्रदय कोशिकाओं को संक्रमित कर सकता है. यह अध्ययन सेल रिपोर्ट्स मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित हुआ है.

लॉस एंजिलिस : भारतीय मूल के अनुसंधानकर्ता समेत वैज्ञानिकों की टीम ने एक अध्ययन के जरिए दिखाया है कि कोरोना वायरस प्रयोगशाला में विकसित दिल की मांसपेशी की कोशिकाओं को संक्रमित कर सकता है. यह इस बात का संकेत देता है कि संभव है कि यह वायरस सीधे कोविड-19 मरीजों के दिल को संक्रमित करता हो.

यह अध्ययन प्रयोगशाला में विकसित की गई ह्रदय की मांसपेशियों की कोशिकाओं पर किए गए प्रयोगों पर आधारित है जिन्हें मानव की स्टेम कोशिकाओं से तैयार किया गया था.

अमेरिका के सिडार-सिनई बोर्ड ऑफ गवर्नर्स रीजेनरेटिव मेडिसिन इंस्टीट्यूट के अरुण शर्मा इस अध्ययन के सह लेखक हैं. उन्होंने कहा, 'हमने न सिर्फ यह पाया कि स्टेम कोशिकाओं से तैयार ये ह्रदय कोशिकाएं कोरोना वायरस से संक्रमित होने के प्रति अति संवेदनशील हैं बल्कि यह भी देखा कि वायरस ह्रदय की मांसपेशी कोशिकाओं के भीतर जल्दी से विभाजित भी होने लगता है.'

उन्होंने कहा, 'और भी अधिक महत्त्वपूर्ण यह था कि संक्रमित ह्रदय कोशिकाओं में संक्रमण के 72 घंटे बाद धड़कने की उनकी क्षमता में परिवर्तन देखा गया.'

वैज्ञानिकों का कहना है कि कोविड-19 के कई मरीजों को ह्रदय संबंधी समस्या आती है लेकिन इन लक्षणों के कारण पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं.

उन्होंने कहा कि पहले से मौजूद दिल की कोई समस्या या संक्रमण के कारण होने वाली सूजन और ऑक्सीजन की कमी, इन सभी कारणों को इसमें शामिल किया गया.

वैज्ञानिकों के अनुसार, इस बारे में बहुत सीमित साक्ष्य उपलब्ध हैं कि कोरोना वायरस (सार्स-सीओवी-2) दिल की प्रत्येक मांसपेशी कोशिकाओं को सीधे-सीधे संक्रमित करता है.

वर्तमान अध्ययन दिखाता है कि सार्स-सीओवी-2 मानव स्टेम कोशिकाओं से तैयार की गई ह्रदय कोशिकाओं को संक्रमित कर सकता है और इन कोशिकाओं में मौजूद जीन प्रोटीन बनाने में कैसे मदद करते हैं उस प्रक्रिया को बदल सकता है.

इन परिणामों के आधार पर वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि की है कि वायरस सक्रियता से मानव ह्रदय कोशिकाओं को संक्रमित कर सकता है. यह अध्ययन सेल रिपोर्ट्स मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित हुआ है.

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