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अमेरिका ने चीन पर नए प्रतिबंधों से बीआरआई को बनाया निशाना

अमेरिका ने चीन के कुल 24 सरकारी उपक्रमों को प्रतिबंधित उपक्रम की सूची में डाल दिया है, जिसमें से सीसीसीसी भी शामिल है. चाइना कम्युनिकेशंस कंस्ट्रक्शन कंपनी (सीसीसीसी) चीन के बीआरआई के निर्माण कार्यों की अगुआई करता है.

america targets china
अमेरिका-चीन
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Published : Aug 30, 2020, 10:12 PM IST

नई दिल्ली : अमेरिका ने नए प्रतिबंधों के साथ चीन के नेतृत्व वाली बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) पर निशाना साधा है. इससे दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच दुश्मनी की एक नई तरह की शुरुआत हो गई है. अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने चीन के कुल 24 सरकारी उपक्रमों को प्रतिबंधित उपक्रम की सूची में डाल दिया है, जिसमें से सीसीसीसी भी शामिल है.

दरअसल, अमेरिका ने चाइना कम्युनिकेशंस कंस्ट्रक्शन कंपनी (सीसीसीसी) पर प्रतिबंध लगाए दिए हैं. सीसीसीसी बीआरआई के निर्माण कार्यों की अगुआई करता है, जोकि एक अंतरमहाद्वीपीय संपर्क उपक्रम है. इसका उद्देशय चीन को महान शक्ति के रूप में उदय में भूमिका निभाना है.

अमेरिकी विदेशी मंत्री माइक पॉम्पिओ ने एक बयान में सीसीसीसी को विस्तारवादी एजेंडे को लागू करने के लिए बीजिंग का एक हथियार बताया है. साथ ही उन्होंने दक्षिण चीन सागर के आउटपोस्ट पर विनाशकारी निकर्षण के लिए निशाना साधा.

बीआरआई पर निशाना साधते हुए पॉम्पिओ ने कहा, 'शायद यह एक समान सोच वाले देशों के साथ ग्रुप बनाने और लोकतंत्र के नए गठबंधन का समय है. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से हमारी स्वतंत्रता सुनिश्चित करना आज के समय का अभियान है. अमेरिका इस अभियान को आगे बढ़ाने में एकदम सही स्थान पर है, क्योंकि हमारे सिद्धांत हमें यह मौका देते हैं.'

सीसीसीसी के जरिए बीआरआई पर निशाना साधने से पहले, अमेरिका ने चीन को ध्यान में रखते हुए इंडो-पेसेफिक में महत्वपूर्ण जगहों पर सैन्य तैनाती को बढ़ाया है.

सीसीसीसी और इसकी सहायक कंपनियां बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पूरा करने के लिए जानी जाती हैं, जिनमें विश्व के अत्यधिक रणनीतिक जगहों में बंदरगाह विकास भी शामिल है. यह कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के आदेश पर काम करता है. इसने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के इशारे पर कई देशों को कर्ज के जाल में फंसाया है.

यह भी पढ़ें- ट्रेड वॉर : चीन ने अमेरिका के 23 तकनीक को प्रतिबंधित निर्यात सूची में डाला

सीसीसीसी तब सुर्खियों में आया था, जब इसकी सहायक कंपनी चाइना हार्बर इंजीनियरिंग कंपनी (सीएचईसी) ने श्रीलंका में हबनटोटा में बंदरगाह का निर्माण शुरू किया था. हिंद महासागर में इस महंगी परियोजना ने श्रीलंका को भारी कर्ज की ओर धकेल दिया. कर्ज नहीं चुका पाने की स्थिति में श्रीलंका ने बंदरगाह को 99 वर्षों के लिए चीन को दे दिया, जो कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार का बड़ा मार्ग है. इसके साथ ही श्रीलंका ने चीन को बंदरगाह से सटे 15,000 एकड़ की भूमि भी दे दी.

बांग्लादेश में भी, कंपनी का रिकॉर्ड बेदाग नहीं है. एक जांच रिपोर्ट के अनुसार, सीएचईसी पर बांग्लादेश के सड़क मंत्रालय के एक अधिकारी पर घूस देने का आरोप है.

वहीं, विश्व बैंक ने 2009 में सीसीसीसी को फिलीपिंस में आठ वर्षों तक इसकी परियोजना पर बोली लगाने से प्रतिबंधित किया था. 2013 के बाद पांच वर्षों के कार्यकाल में, सीसीसीसी ने बेल्ट एंड रोड देशों से नए कॉन्ट्रैक्ट के तहत 63 अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किया था.

नई दिल्ली : अमेरिका ने नए प्रतिबंधों के साथ चीन के नेतृत्व वाली बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) पर निशाना साधा है. इससे दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच दुश्मनी की एक नई तरह की शुरुआत हो गई है. अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने चीन के कुल 24 सरकारी उपक्रमों को प्रतिबंधित उपक्रम की सूची में डाल दिया है, जिसमें से सीसीसीसी भी शामिल है.

दरअसल, अमेरिका ने चाइना कम्युनिकेशंस कंस्ट्रक्शन कंपनी (सीसीसीसी) पर प्रतिबंध लगाए दिए हैं. सीसीसीसी बीआरआई के निर्माण कार्यों की अगुआई करता है, जोकि एक अंतरमहाद्वीपीय संपर्क उपक्रम है. इसका उद्देशय चीन को महान शक्ति के रूप में उदय में भूमिका निभाना है.

अमेरिकी विदेशी मंत्री माइक पॉम्पिओ ने एक बयान में सीसीसीसी को विस्तारवादी एजेंडे को लागू करने के लिए बीजिंग का एक हथियार बताया है. साथ ही उन्होंने दक्षिण चीन सागर के आउटपोस्ट पर विनाशकारी निकर्षण के लिए निशाना साधा.

बीआरआई पर निशाना साधते हुए पॉम्पिओ ने कहा, 'शायद यह एक समान सोच वाले देशों के साथ ग्रुप बनाने और लोकतंत्र के नए गठबंधन का समय है. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से हमारी स्वतंत्रता सुनिश्चित करना आज के समय का अभियान है. अमेरिका इस अभियान को आगे बढ़ाने में एकदम सही स्थान पर है, क्योंकि हमारे सिद्धांत हमें यह मौका देते हैं.'

सीसीसीसी के जरिए बीआरआई पर निशाना साधने से पहले, अमेरिका ने चीन को ध्यान में रखते हुए इंडो-पेसेफिक में महत्वपूर्ण जगहों पर सैन्य तैनाती को बढ़ाया है.

सीसीसीसी और इसकी सहायक कंपनियां बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पूरा करने के लिए जानी जाती हैं, जिनमें विश्व के अत्यधिक रणनीतिक जगहों में बंदरगाह विकास भी शामिल है. यह कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के आदेश पर काम करता है. इसने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के इशारे पर कई देशों को कर्ज के जाल में फंसाया है.

यह भी पढ़ें- ट्रेड वॉर : चीन ने अमेरिका के 23 तकनीक को प्रतिबंधित निर्यात सूची में डाला

सीसीसीसी तब सुर्खियों में आया था, जब इसकी सहायक कंपनी चाइना हार्बर इंजीनियरिंग कंपनी (सीएचईसी) ने श्रीलंका में हबनटोटा में बंदरगाह का निर्माण शुरू किया था. हिंद महासागर में इस महंगी परियोजना ने श्रीलंका को भारी कर्ज की ओर धकेल दिया. कर्ज नहीं चुका पाने की स्थिति में श्रीलंका ने बंदरगाह को 99 वर्षों के लिए चीन को दे दिया, जो कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार का बड़ा मार्ग है. इसके साथ ही श्रीलंका ने चीन को बंदरगाह से सटे 15,000 एकड़ की भूमि भी दे दी.

बांग्लादेश में भी, कंपनी का रिकॉर्ड बेदाग नहीं है. एक जांच रिपोर्ट के अनुसार, सीएचईसी पर बांग्लादेश के सड़क मंत्रालय के एक अधिकारी पर घूस देने का आरोप है.

वहीं, विश्व बैंक ने 2009 में सीसीसीसी को फिलीपिंस में आठ वर्षों तक इसकी परियोजना पर बोली लगाने से प्रतिबंधित किया था. 2013 के बाद पांच वर्षों के कार्यकाल में, सीसीसीसी ने बेल्ट एंड रोड देशों से नए कॉन्ट्रैक्ट के तहत 63 अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किया था.

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