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सूडान में नये समझौते ने देश को गृहयुद्ध से बचाया: संयुक्त राष्ट्र दूत

सूडान में एक सैन्य तख्तापलट के बाद प्रधानमंत्री को बहाल करने के लिए सूडान में हुआ समझौता अपूर्ण है, लेकिन देश गृह युद्ध के चंगुल में फंसने से बच गया है. सूडान के लिए संयुक्त राष्ट्र के दूत ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.

file photo sudan
फाइल फाेटाे सूडान
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Published : Nov 26, 2021, 10:31 PM IST

काहिरा : संयुक्त राष्ट्र के दूत वोल्कर पर्थ सूडान के सैन्य नेताओं और प्रधानमंत्री अब्दुल्ला हमदोक के बीच समझौते की बात कर रहे थे, जिन्हें पिछले महीने तख्तापलट के बाद अपदस्थ कर दिया गया था और उन्हें नजरबंद कर दिया गया था, जिसे लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हंगामा मच गया था.

सूडान के अपदस्थ प्रधानमंत्री ने रविवार को सेना के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे, जिसमें उन्हें पद पर बहाल करने की बात कही गयी थी. लगभग एक महीने पहले सैन्य तख्तापलट के बाद उन्हें नजरबंद कर दिया गया था. हालांकि, देश के लोकतंत्र समर्थक समूहों ने इसे नाजायज बताते हुए खारिज कर दिया था.

पर्थ ने 'एसोसिएटेड प्रेस' को बताया, 'बेशक समझौता सही नहीं है, लेकिन यह एक समझौता न करने और उस रास्ते पर बने रहने से बेहतर है, जहां अंत में सेना ही एकमात्र शासक होगी.' उन्होंने कहा, 'ऐसे परिदृश्य को बाहर करना संभव नहीं होगा, जो सूडान को यमन, लीबिया या सीरिया में हमने जो कुछ देखा है, उसके करीब लाया होगा.'

उन्होंने कहा, 'अब हमारे पास एक ऐसी स्थिति है, जहां हमारे पास संवैधानिक व्यवस्था की बहाली की दिशा में कम से कम एक महत्वपूर्ण कदम है.'

सैन्य कब्जे के बाद से सूडान की जनता सड़कों पर उतर आई थी. कार्यकर्ता समूहों के अनुसार, सूडानी सुरक्षा बलों ने रैलियों पर नकेल कसी है और अब तक 40 से अधिक प्रदर्शनकारी मारे गये हैं.

पढ़ें : रूस के साइबेरिया में कोयला खदान हादसे में जीवित मिला एक व्यक्ति

(पीटीआई-भाषा)

काहिरा : संयुक्त राष्ट्र के दूत वोल्कर पर्थ सूडान के सैन्य नेताओं और प्रधानमंत्री अब्दुल्ला हमदोक के बीच समझौते की बात कर रहे थे, जिन्हें पिछले महीने तख्तापलट के बाद अपदस्थ कर दिया गया था और उन्हें नजरबंद कर दिया गया था, जिसे लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हंगामा मच गया था.

सूडान के अपदस्थ प्रधानमंत्री ने रविवार को सेना के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे, जिसमें उन्हें पद पर बहाल करने की बात कही गयी थी. लगभग एक महीने पहले सैन्य तख्तापलट के बाद उन्हें नजरबंद कर दिया गया था. हालांकि, देश के लोकतंत्र समर्थक समूहों ने इसे नाजायज बताते हुए खारिज कर दिया था.

पर्थ ने 'एसोसिएटेड प्रेस' को बताया, 'बेशक समझौता सही नहीं है, लेकिन यह एक समझौता न करने और उस रास्ते पर बने रहने से बेहतर है, जहां अंत में सेना ही एकमात्र शासक होगी.' उन्होंने कहा, 'ऐसे परिदृश्य को बाहर करना संभव नहीं होगा, जो सूडान को यमन, लीबिया या सीरिया में हमने जो कुछ देखा है, उसके करीब लाया होगा.'

उन्होंने कहा, 'अब हमारे पास एक ऐसी स्थिति है, जहां हमारे पास संवैधानिक व्यवस्था की बहाली की दिशा में कम से कम एक महत्वपूर्ण कदम है.'

सैन्य कब्जे के बाद से सूडान की जनता सड़कों पर उतर आई थी. कार्यकर्ता समूहों के अनुसार, सूडानी सुरक्षा बलों ने रैलियों पर नकेल कसी है और अब तक 40 से अधिक प्रदर्शनकारी मारे गये हैं.

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(पीटीआई-भाषा)

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