हरारे:जिम्बाब्वे के पूर्व राष्ट्रपति राबर्ट मुगाबे का 95 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. मुगाबे लंबे समय से बिमार चल रहे थे और सिंगापुर के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था.
साढ़े तीन दशक की अवधि में, जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति के रूप में रॉबर्ट मुगाबे के दो अलग-अलग व्यक्तित्व सामने आए. पहला, उन्होंने जिम्बाब्वे को आजाद कराने के आंदोलन में एक प्रमुख भूमिका निभाई. औपनिवेशिक अफ्रीका में वह सबसे प्रभावशाली नेताओं में उभरे. आंदोलन में उनकी भूमिका के कारण उनका नाम नेल्सन मंडेला और चे ग्वेरा जैसे क्रांतिकारियों के साथ लिया जाने लगा.
दूसरा, मुगाबे निरंकुशता का पर्याय बन गए, उन्होंने चुनावों में धांधली की, गोरे लोगों की जमीनों को पर कब्जा कर लिया और अफ्रीका की सबसे समृद्ध भूमि में से एक को गर्त में धकेला.
मुगाबे का जन्म 21 फरवरी 1924 को हुआ. मुगाबे को सफेद अल्पसंख्यक शासन के खिलाफ उनकी लड़ाई के लिए जाना जाता है.
मुगाबे की तुलना अक्सर दक्षिण अफ्रीका के स्वतंत्रता सेनानी नेल्सन मंडेला से की जाती है. मुगाबे ने 37 वर्षों तक देश पर शासन किया जो सदी भर से सफेद औपनिवेशिक शासन द्वारा विभाजित था.
मुगाबे ने लंबा समय जेल में राजनैतिक कैदी के रूप में काटा. वर्ष 1966 में मुगाबे के नवजात बेटे की घाना में मलेरिया से मृत्यु हो गई थी. इसके बाद मुगाबे को अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए पैरोल नहीं दी गई थी, जिसका नतीजा यह हुआ कि उनकी श्वेत के प्रति कड़वाहट बढ़ गई.
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70 के दशक के मध्य में मोजाम्बिक में स्थित एक उग्रवादी आंदोलन में उन्होंने जिम्बाब्वे अफ्रीकी राष्ट्रीय संघ के राजनीतिक विंग का नेतृत्व संभाला.
फरवरी 1980 में चुनावों के बाद वह पहले स्वतंत्र जिम्बाब्वे के पहले प्रधानमंत्री बने, जिसे पहले रोडेशिया के नाम से जाना जाता था. इसके बाद उनको अत्याचारी बनने में ज्यादा समय नहीं लगा. 1987 में मुगाबे ने कार्यालय को समाप्त कर दिया और राष्ट्रपति बन गए.
मुगाबे के कार्यकाल के शुरुआती वर्षों में बढ़ती अर्थव्यवस्था, सड़कों और बांधों के निर्माण के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा तक पहुंच को व्यापक बनाने के लिए प्रशंसा की गई.
हालांकि बाद में, उनकी हार्ड-लाइन नीतियों ने श्वेत किसानों से भूमि जब्त कर ली, जिसके बाद देश की समृद्ध अर्थव्यवस्था विघटित हो गई, कृषि उत्पादन घट गया और मुद्रास्फीति बढ़ गई.
मुगाबे को विपक्षी गढ़ों में कत्लेआम कराने के लिए जाना जाता है. देश के पांचवें ब्रिगेड ने 20,000 लोगों को मार डाला था, जिनमें ज्यादातर उनके मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के समर्थक थे.
देश आर्थिक बर्बादी में डूबाता जा रहा था. मुगाबे और उनकी पत्नी ग्रेस को राजसी जीवन शैली के लिए भयंकर आलोचना का सामना करना पड़ा. सन 2000-2008 के बीच देश की अर्थव्यवस्था चरमारा गई, जिससे बेरोजगारी 80 प्रतिशत तक पहुंच गई.
मुगाबे ने कहा था कि सिर्फ भगवान उनका कार्यकाल खत्म कर सकते हैं. मुगाबे ने अपने लंबे समय से सहयोगी रहे तत्कालीन उपराष्ट्रपति मनांगग्वा को बर्खास्त कर दिया था. इसके बाद उनके ही सहयोगियों ने वर्ष 2017 में मुगाबे का तख्तपलट कर दिया.
बुधवार को मुगाबे का शव सिंगापुर से वापस उनके देश लाया गया जिसको उन्होंने अंग्रेजो से आजाद कराया था. इसके बाद आज, शनिवार को राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया.