जोहानिसबर्ग : दक्षिण अफ्रीका के एक पूर्व मंत्री को सोमवार को उन कई आरोपों से मुक्त कर दिया गया, जिनमें कहा गया था कि उन्होंने भारतीय मूल के विवादास्पद गुप्ता परिवार के सदस्यों को अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर नागरिकता दी है.
लोक प्रोटेक्टर बससीवे मखवेबने ने पाया कि पूर्व गृह मंत्री मालूसी गिगाबा ने दक्षिण अफ्रीका नागरिकता अधिनियम के प्रावधानों के तहत असाधारण परिस्थितियों में जिन लोगों को नागरिकता प्रदान की है, उनके नाम संसद के पटल पर सार्वजनिक नहीं कर कार्यकारी आचार संहिता का उल्लंघन किया है.
लोक प्रोटेक्टर ने हालांकि कहा कि मंत्री ने गुप्ता परिवार को जल्द नागरिकता दिये जाने को मंजूरी देते हुए अपनी शक्ति का दुरुपयोग नहीं किया.
गिगाबा ने ट्वीट किया, मैं लोक प्रोटेक्टर की रिपोर्ट के निष्कर्षों का स्वागत करता हूं, जो मुझे उन बेबुनियाद आरोपों से मुक्त करते है, जिनके कारण नवम्बर 2018 में मुझे मंत्रिमंडल से बाहर होना पड़ा था. मैं अपने वकीलों से सलाह किये बगैर इस रिपोर्ट के बाकी हिस्सों पर टिप्पणी नहीं करूंगा.
गिगाबा ने अपने विभाग के वरिष्ठ सदस्यों की सिफारिशों के बाद अजय गुप्ता और परिवार के अन्य सदस्यों को नागरिकता प्रदान की थी. मखवेबेन ने सिफारिश की है कि इन वरिष्ठ अधिकारियों में से चार के खिलाफ उचित कार्रवाई शुरू की जाए, जो गुप्ता परिवार को नागरिकता देने में शामिल थे.
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मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के रहने वाले गुप्ता परिवार ने पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा से कथित तौर पर अपनी निकटता के जरिये दक्षिण अफ्रीका में पिछले दो दशकों में आईटी, मीडिया और खनन उद्योगों में अपनी किस्मत आजमाई.
जुमा खुद भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं. दक्षिण अफ्रीकी संसद ने मार्च 2019 में सिफारिश की थी कि गुप्ता परिवार को दी गई नागरिकता रद्द कर दी जाए.
मखवेबेन ने कहा कि नवंबर, 2018 में गिगाबा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, और उनके खिलाफ कार्रवाई करने का कोई औचित्य नहीं होगा.