मुंबई: 'अल्लाह के बंदे'...जी इस शानदार गाने को जितनी बार सुनो उतना कम है. यही क्यों सुरों के बेताज बादशाह कैलाश खेर के एक-एक गाने में इतनी गहराई हैं कि वह आज म्यूजिक इंडस्ट्री का एक बड़ा नाम बन गए हैं. गायक कैलाश खेर की सफलता की राह आसान नहीं रही है. उनके संघर्षों का अपना एक किस्सा है, जो कि तमाम दर्द से भरा हुआ है. एक विशेष इंटरव्यू में हिटमेकर ने बताया कि कैसे म्यूजिक इंडस्ट्री में अपने पैर जमाने से पहले उन्होंने वर्षों तक संघर्ष किया. यहां तक की बुरे दौर में वह सुसाइड की दरवाजे पर भी खड़े थे.
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चारों ओर असफलता...और मैं नदी में कूद गया
कैलाश खेर ने बताया कि मैंने जीवित रहने के लिए कई अजीबोगरीब काम किए थे... मैं 20 या 21 साल का था जब मैंने दिल्ली में बिजनेस शुरू किया था. मैं जर्मनी में हस्तशिल्प भेजता था, मगर दुर्भाग्य से अचानक वह बिजनेस खत्म हो गया. व्यापार में कई समस्याओं का सामना करने के बाद आखिरकार मैं पंडित बनने के लिए ऋषिकेश गया. हालांकि, मुझे लगता था कि मैं वहां के लिए सही नहीं हूं, जहां मेरे साथी मुझसे छोटे थे और मेरे विचार कभी भी उनके विचारों से मेल नहीं खाते थे. उन्होंने बताया कि असफलता कि वजह से मैं निराश था और इसी वजह से मैं एक दिन मैंने गंगा नदी में आत्महत्या करने के लिए कूद गया.
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एक टपली ने बदल दी जिंदगी
सिंगर ने आगे बताया कि मुझे कूदता देख घाट पर मौजूद एक शख्स ने तुरंत गंगा में छलांग लगा दी और मुझे बचा लिया. उन्होंने पूछा, 'तैरना नहीं आता तो क्यों कूदा. मैंने जवाब दिया, मरने के लिए...और मेरी आत्महत्या की बात जानने के बाद उन्होंने मेरे सिर पर तेज की टपली मारी और मुझे समझाया. उस टपली ने निश्चित रूप से मुझे जीवन का मूल्य सीखा दिया और मेरा करियर निश्चित रूप से धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा. (एजेंसी इनपुट)
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