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ऑक्सीजन-दवा के नाम पर ठगी कर रहे साइबर अपराधी, बचाव के लिए बरतें यह सावधानियां

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Published : Apr 29, 2021, 1:08 PM IST

दिल्ली में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इसी बीच ऑक्सीजन सिलेंडर और दवाइयों की भारी कमी देखने को मिल रही है. जिसका फायदा साइबर अपराधी उठा रहे हैं.

cyber criminals targeting covid patients family in delhi
ऑक्सीजन-दवा के नाम पर ठगी

नई दिल्ली: देशभर में जहां एक तरफ कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ साइबर अपराधी एक बार फिर इसका लाभ उठाने लगे हैं. मरीजों के परिजन ऑक्सीजन और दवा के लिए इधर उधर भटक रहे हैं. ऐसे में जालसाज अपने मोबाइल नंबर को वायरल कर उनके साथ ठगी को अंजाम दे रहे हैं. महज 2 सप्ताह में ऐसी 30 से ज्यादा वारदातों की शिकायत दिल्ली पुलिस को मिली है. इसे लेकर दिल्ली पुलिस द्वारा काम किया जा रहा है. वहीं लोगों से भी पुलिस ने सावधान रहने की अपील की है.

ऑक्सीजन-दवा के नाम पर ठगी

जानकारी के अनुसार ऑक्सीजन एवं दवा की किल्लत को लेकर तमाम व्हाट्सएप ग्रुप एवं सोशल मीडिया पर अनेक मोबाइल नंबर वायरल हो रहे हैं. इनमें कई वेरीफाइड नंबर भी बताए जा रहे हैं. ऐसे नंबरों पर जब लोग कॉल करते हैं तो उनमें से कई नंबर जालसाज के निकल रहे हैं. वह लोगों को ऑक्सीजन एवं दवा की होम डिलीवरी करने के नाम पर उनसे ऑनलाइन पेमेंट ले रहे हैं. लेकिन पेमेंट होने के बाद वह आर्डर देने वाले का मोबाइल नंबर ब्लॉक कर देते हैं. ऐसे में पीड़ित को न तो ऑक्सीजन-दवा मिलती है और ना ही पेमेंट वापस. इसके बाद उन्हें ठगी का अहसास होता है.



कई लोग बीते दिनों बन गए शिकार

दिल्ली निवासी अनन्य को अपनी मां के लिए कोविड में इस्तेमाल होने वाली रेमिडिसिवर दवा की आवश्यकता थी. ऐसे ही वायरल नंबर पर कॉल कर उन्होंने दवा के बारे में पूछा तो उन्हें दवा देने का आश्वासन मिला. इसके लिए उनसे 40 फीसदी रकम एडवांस मांगी गई एवं बकाया राशि डिलीवरी वाले को देने के लिए कहा गया. अनन्य ने यह रकम उन्हें भेज दी जिसके बाद से वह नंबर स्विच ऑफ हो गया. उसने दक्षिण जिला पुलिस को इस बारे में शिकायत दी है. बीते रविवार को हीना नामक महिला को अपनी मां के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की आवश्यकता थी. उन्होंने भी ऐसे ही वायरल नंबर पर सम्पर्क किया. उनसे 5500 रुपये ऑनलाइन मांगे गए. यह रकम ट्रांसफर करने के बाद उनके घर सिलेंडर नहीं पहुंचा. तब उन्हें पता चला कि उनके साथ ठगी हुई है.


ये भी पढ़ें:-मेडिकल उपकरणों की कालाबाजारी में दुकानदार गिरफ्तार, नकली ग्राहक बनकर पुलिस ने दबोचा


साइबर ठग बना रहे शिकार

साइबर एक्सपर्ट मोहित यादव ने बताया कि इस आपदा के समय में साइबर अपराध लगातार बढ़ रहे हैं. लोगों को ऑक्सिजन एवं दवा की सख्त आवश्यकता है जिसका यह जालसाज फायदा उठा रहे हैं. मरीज के परिजनों को मदद चाहिए और वह ऐसे नंबर पर भरोसा कर ऑनलाइन पेमेंट कर देते हैं. वह इस बात पर ध्यान ही नहीं देते कि यह नंबर किसी फ्रॉड का हो सकता है. मोहित ने बताया कि 1 मई से युवाओं को लगने वाली वैक्सीन को लेकर भी ठग सक्रिय हो चुके हैं और इसका पंजीकरण कराने के नाम पर भी जल्द ठगी के मामले सामने आने लगेंगे.

ये भी पढ़ें:-ऑक्सीजन की कालाबाजारी करने वाले दो आरोपी गिरफ्तार, कई सिलेंडर बरामद

यह सावधानियां बरतें-

  • किसी भी वायरल नंबर पर भरोसा न करें.
  • ऐसे वायरल नंबर को बिना सत्यापन के दूसरों को फॉरवर्ड न करें.
  • कॉल करने पर अगर कोई आपको दवा या ऑक्सिजन देने की बात कहता है तो उसे डिलीवरी पर ही रुपये दें.
  • वायरल नंबर पर बातचीत के बाद उसे ऑनलाइन रुपये ट्रांसफर न करें.
  • बातचीत में अगर आपको शक हो तो तुरंत इसकी जानकारी पुलिस को दें.
  • वैक्सीन के पंजीकरण करवाने के लिए कोई कॉल करे तो समझ जाएं वह जालसाज है.
  • वैक्सीन के लिए सरकार की तरफ से नहीं बल्कि अपनी तरफ से पंजीकरण करवाया जा रहा है, इस बात का ध्यान रखें.

नई दिल्ली: देशभर में जहां एक तरफ कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ साइबर अपराधी एक बार फिर इसका लाभ उठाने लगे हैं. मरीजों के परिजन ऑक्सीजन और दवा के लिए इधर उधर भटक रहे हैं. ऐसे में जालसाज अपने मोबाइल नंबर को वायरल कर उनके साथ ठगी को अंजाम दे रहे हैं. महज 2 सप्ताह में ऐसी 30 से ज्यादा वारदातों की शिकायत दिल्ली पुलिस को मिली है. इसे लेकर दिल्ली पुलिस द्वारा काम किया जा रहा है. वहीं लोगों से भी पुलिस ने सावधान रहने की अपील की है.

ऑक्सीजन-दवा के नाम पर ठगी

जानकारी के अनुसार ऑक्सीजन एवं दवा की किल्लत को लेकर तमाम व्हाट्सएप ग्रुप एवं सोशल मीडिया पर अनेक मोबाइल नंबर वायरल हो रहे हैं. इनमें कई वेरीफाइड नंबर भी बताए जा रहे हैं. ऐसे नंबरों पर जब लोग कॉल करते हैं तो उनमें से कई नंबर जालसाज के निकल रहे हैं. वह लोगों को ऑक्सीजन एवं दवा की होम डिलीवरी करने के नाम पर उनसे ऑनलाइन पेमेंट ले रहे हैं. लेकिन पेमेंट होने के बाद वह आर्डर देने वाले का मोबाइल नंबर ब्लॉक कर देते हैं. ऐसे में पीड़ित को न तो ऑक्सीजन-दवा मिलती है और ना ही पेमेंट वापस. इसके बाद उन्हें ठगी का अहसास होता है.



कई लोग बीते दिनों बन गए शिकार

दिल्ली निवासी अनन्य को अपनी मां के लिए कोविड में इस्तेमाल होने वाली रेमिडिसिवर दवा की आवश्यकता थी. ऐसे ही वायरल नंबर पर कॉल कर उन्होंने दवा के बारे में पूछा तो उन्हें दवा देने का आश्वासन मिला. इसके लिए उनसे 40 फीसदी रकम एडवांस मांगी गई एवं बकाया राशि डिलीवरी वाले को देने के लिए कहा गया. अनन्य ने यह रकम उन्हें भेज दी जिसके बाद से वह नंबर स्विच ऑफ हो गया. उसने दक्षिण जिला पुलिस को इस बारे में शिकायत दी है. बीते रविवार को हीना नामक महिला को अपनी मां के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की आवश्यकता थी. उन्होंने भी ऐसे ही वायरल नंबर पर सम्पर्क किया. उनसे 5500 रुपये ऑनलाइन मांगे गए. यह रकम ट्रांसफर करने के बाद उनके घर सिलेंडर नहीं पहुंचा. तब उन्हें पता चला कि उनके साथ ठगी हुई है.


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साइबर ठग बना रहे शिकार

साइबर एक्सपर्ट मोहित यादव ने बताया कि इस आपदा के समय में साइबर अपराध लगातार बढ़ रहे हैं. लोगों को ऑक्सिजन एवं दवा की सख्त आवश्यकता है जिसका यह जालसाज फायदा उठा रहे हैं. मरीज के परिजनों को मदद चाहिए और वह ऐसे नंबर पर भरोसा कर ऑनलाइन पेमेंट कर देते हैं. वह इस बात पर ध्यान ही नहीं देते कि यह नंबर किसी फ्रॉड का हो सकता है. मोहित ने बताया कि 1 मई से युवाओं को लगने वाली वैक्सीन को लेकर भी ठग सक्रिय हो चुके हैं और इसका पंजीकरण कराने के नाम पर भी जल्द ठगी के मामले सामने आने लगेंगे.

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यह सावधानियां बरतें-

  • किसी भी वायरल नंबर पर भरोसा न करें.
  • ऐसे वायरल नंबर को बिना सत्यापन के दूसरों को फॉरवर्ड न करें.
  • कॉल करने पर अगर कोई आपको दवा या ऑक्सिजन देने की बात कहता है तो उसे डिलीवरी पर ही रुपये दें.
  • वायरल नंबर पर बातचीत के बाद उसे ऑनलाइन रुपये ट्रांसफर न करें.
  • बातचीत में अगर आपको शक हो तो तुरंत इसकी जानकारी पुलिस को दें.
  • वैक्सीन के पंजीकरण करवाने के लिए कोई कॉल करे तो समझ जाएं वह जालसाज है.
  • वैक्सीन के लिए सरकार की तरफ से नहीं बल्कि अपनी तरफ से पंजीकरण करवाया जा रहा है, इस बात का ध्यान रखें.
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