नई दिल्ली/नोएडाः गौतम बुद्ध नगर जिले को पुलिस कमिश्नरी बना दी गई. यहां जो भी सिस्टम चल रहे हैं, वह एक जिले के नहीं कमिश्नरी के तर्ज पर है. वहीं जमीनी हकीकत और कमिश्नर प्रणाली में काफी अंतर देखा जा रहा है. जिसका जीता जागता उदाहरण थानों पर लिखे जाने वाले जीरो एफआईआर में दिख रहा है.
इस समय गौतम बुद्धनगर जिले में किसी भी थाने पर जीरो एफआईआर नहीं लिखी जाती है. पीड़ितों को दूसरे थाने का मामला बताकर टरका दी जाती है और पीड़ित न्याय की आस में भटकता रहता है.
थानों में लगे नागरिक अधिकार पत्र
गौतम बुद्ध नगर जिले के सभी थानों में नागरिक अधिकार पत्र लगे हुए हैं और इस पत्र में साफ लिखा है कि पुलिस दूसरे थाने की घटना या गलत सूचना कह कर एफआईआर दर्ज करने से मना नहीं कर सकती है. वहीं सच्चाई यह है कि नोएडा के किसी भी थाने में इस नियम का पालन नहीं हो रहा है.
पुलिस क्यों नहीं लिखती एफआईआर?
दूसरे थाना क्षेत्र में हुई घटना की एफआईआर पुलिस इसलिए नहीं लिखती कि उसके थाने की मुकदमा अपराध संख्या बढ़ जाएगी. साथ ही जांच के लिए अधिकारियों का दबाव पड़ना शुरू हो जाएगा. वहीं थाने की पुलिसिया सिस्टम पर भी सवालिया निशान खड़ा हो जाता है.
क्या है जीरो एफआईआर?
जीरो एफआईआर के अंतर्गत, पीड़ित जिलेभर में किसी भी थाने पर एफआईआर दर्ज करा सकता है. और पुलिस एफआईआर दर्ज करने से मना नहीं कर सकती है. पुलिस एफआईआर दर्ज कर संबंधित थाने को विवेचना हस्तांतरण कर देती है.