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जेवर एयरपोर्ट तक बेहतर कनेक्टिविटी के लिए ये हैं 'चार ऑप्शन', चल रहा विचार

यमुना प्राधिकरण ने केंद्र सरकार की संबंधित अथॉरिटी कोजेवर इंटरनेशनल ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट तक बेहतर कनेक्टिविटी के लिए चार आप्शन दिए हैं. जिसमें मेट्रो, रैपिड मेट्रो, दिल्ली-मुंबई-यमुना एक्सप्रेस-वे और ईस्टर्न पेरीफेरल पर विचार विमर्श किया जा रहा है.

yamuna authority gave four options for better connectivity to Jewar Airport
यमुना प्राधिकरण ने जेवर हवाई अड्डे को बेहतर कनेक्टिविटी के लिए चार विकल्प दिए
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Published : Jul 7, 2020, 5:38 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा: गौतमबुद्ध नगर में बन रहे जेवर इंटरनेशनल ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट तक बेहतर कनेक्टिविटी के लिए यमुना प्राधिकरण ने केंद्र सरकार की संबंधित अथॉरिटी को चार विकल्प दिए हैं. मेट्रो, रैपिड मेट्रो, दिल्ली-मुंबई-यमुना एक्सप्रेसवे और ईस्टर्न पेरिफेरल की पेशकश की गई, जिसके बाद सभी पर विचार किया जा रहा है. यमुना प्राधिकरण के सीईओ ने जानकारी देते हुए बताया कि रैपिड मेट्रो का विकल्प सबसे बेहतर है और ट्रैवल टाइम भी तकरीबन 48 से 50 मिनट का होगा. हालांकि रैपिड मेट्रो की कॉस्टिंग तकरीबन 8,680 करोड़ रुपये आंकी गई है.

यमुना प्राधिकरण ने जेवर हवाई अड्डे को बेहतर कनेक्टिविटी के लिए चार विकल्प दिए
इन चार विकल्पों पर हो रहा विचार

यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि जेवर एयरपोर्ट एक बेहतर कनेक्टिविटी देने के लिए मेट्रो, रैपिड मेट्रो, दिल्ली-मुंबई-यमुना एक्सप्रेस-वे और ईस्टर्न पेरीफेरल पर विचार विमर्श किया जा रहा है. जेवर एयरपोर्ट को दिल्ली के IGI एयरपोर्ट तक बेहतर कनेक्टिविटी के लिए प्रस्ताव भेजा गया है. पहले भी एनसीआरटीसी (नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन) को रैपिड मेट्रो के लिए प्रस्ताव भेजा गया था. हालांकि असहमति जताई गई थी लेकिन अब दोबारा प्रस्ताव भेजा गया है.

रैपिड मेट्रो सबसे बेहतर ऑप्शन

उम्मीद हैं कि इन्हीं विकल्पों में से एक विकल्प फाइनल होगा और जेवर एयरपोर्ट शुरू होने से पहले प्रोजेक्ट का काम पूरा हो जाएगा. हालांकि, इस दौरान उन्होंने माना कि रैपिड मेट्रो सबसे बेहतर ऑप्शन के तौर पर है. रैपिड मेट्रो की मदद से यात्री 48 से 50 मिनट के भीतर जेवर एयरपोर्ट पहुंच सकेंगे. लेकिन रैपिड मेट्रो बनाने के लिए 8680 करोड़ रुपये का एस्टीमेट तैयार किया गया है.



साल 2023 में शुरू होगा एयरपोर्ट

CEO ने जानकारी देते हुए बताया कि साल 2023 में जेवर इंटरनेशनल ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट तैयार होगा. ऐसे में 5 मिलियन यात्रियों के आने की संभावना है. ऐसे में 50 प्रतिशत लोग खुद के वाहनों से और 50 प्रतिशत लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करेंगे. इसलिए उम्मीद है दिए गए विकल्पों पर जल्द विचार होगा और आगे की रूपरेखा तैयार की जाएगी.

नई दिल्ली/नोएडा: गौतमबुद्ध नगर में बन रहे जेवर इंटरनेशनल ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट तक बेहतर कनेक्टिविटी के लिए यमुना प्राधिकरण ने केंद्र सरकार की संबंधित अथॉरिटी को चार विकल्प दिए हैं. मेट्रो, रैपिड मेट्रो, दिल्ली-मुंबई-यमुना एक्सप्रेसवे और ईस्टर्न पेरिफेरल की पेशकश की गई, जिसके बाद सभी पर विचार किया जा रहा है. यमुना प्राधिकरण के सीईओ ने जानकारी देते हुए बताया कि रैपिड मेट्रो का विकल्प सबसे बेहतर है और ट्रैवल टाइम भी तकरीबन 48 से 50 मिनट का होगा. हालांकि रैपिड मेट्रो की कॉस्टिंग तकरीबन 8,680 करोड़ रुपये आंकी गई है.

यमुना प्राधिकरण ने जेवर हवाई अड्डे को बेहतर कनेक्टिविटी के लिए चार विकल्प दिए
इन चार विकल्पों पर हो रहा विचार

यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि जेवर एयरपोर्ट एक बेहतर कनेक्टिविटी देने के लिए मेट्रो, रैपिड मेट्रो, दिल्ली-मुंबई-यमुना एक्सप्रेस-वे और ईस्टर्न पेरीफेरल पर विचार विमर्श किया जा रहा है. जेवर एयरपोर्ट को दिल्ली के IGI एयरपोर्ट तक बेहतर कनेक्टिविटी के लिए प्रस्ताव भेजा गया है. पहले भी एनसीआरटीसी (नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन) को रैपिड मेट्रो के लिए प्रस्ताव भेजा गया था. हालांकि असहमति जताई गई थी लेकिन अब दोबारा प्रस्ताव भेजा गया है.

रैपिड मेट्रो सबसे बेहतर ऑप्शन

उम्मीद हैं कि इन्हीं विकल्पों में से एक विकल्प फाइनल होगा और जेवर एयरपोर्ट शुरू होने से पहले प्रोजेक्ट का काम पूरा हो जाएगा. हालांकि, इस दौरान उन्होंने माना कि रैपिड मेट्रो सबसे बेहतर ऑप्शन के तौर पर है. रैपिड मेट्रो की मदद से यात्री 48 से 50 मिनट के भीतर जेवर एयरपोर्ट पहुंच सकेंगे. लेकिन रैपिड मेट्रो बनाने के लिए 8680 करोड़ रुपये का एस्टीमेट तैयार किया गया है.



साल 2023 में शुरू होगा एयरपोर्ट

CEO ने जानकारी देते हुए बताया कि साल 2023 में जेवर इंटरनेशनल ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट तैयार होगा. ऐसे में 5 मिलियन यात्रियों के आने की संभावना है. ऐसे में 50 प्रतिशत लोग खुद के वाहनों से और 50 प्रतिशत लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करेंगे. इसलिए उम्मीद है दिए गए विकल्पों पर जल्द विचार होगा और आगे की रूपरेखा तैयार की जाएगी.

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