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बौद्ध अध्ययन और नई शिक्षा नीति पर 14 अगस्त को आयोजित होगी वर्चुअल संगोष्ठी

यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ़ बौद्ध स्टडीज एंड सिविलाइजेशन गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी में बौद्ध अध्ययन और नई शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य और संभावनाएं विषय पर एक वर्चुअल संगोष्ठी 14 अगस्त को आयोजित होगी.

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Published : Aug 10, 2020, 4:55 PM IST

Gautam Buddha University
गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी

नई दिल्ली: राजधानी में वर्चुअल बैठक के जरिए बौद्ध अध्ययन और नई शिक्षा नीति-2020 पर चर्चा होगी. इस संगोष्ठी में उन सभी पालि एवं बौद्ध अध्ययन के विद्वानों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया गया है, जिन्होंने अपने पूरे शैक्षिक जीवन काल में पालि भाषा के जरिये बौद्ध अध्ययन को ना सिर्फ भारत में बल्कि पूरे विश्व में प्रचार प्रसार करने में अहम भूमिका निभाई है.

बता दें कि इस संगोष्ठी का उद्देश्य भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी पालि और बौद्ध अध्ययन के दृष्टिकोण और संभावनाओं का पता लगाना है और भारत सरकार का मानना है कि नई शिक्षा नीति 2020 (NEP-2020) इस संबंध में एक मील का पत्थर साबित होने वाली है.

Gautam Buddha University
वर्चुअल संगोष्ठी

पहली बार भारत द्वारा बौद्ध अध्ययन पर कराई जाएगी चर्चा

बता दें कि भारत सरकार द्वारा पालि और बौद्ध अध्ययन के प्रचार के लिए नई शिक्षा नीति 2020 (NEP-2020) में अनुशंसित किया गया है. सभी भारतीय भाषाओं के संरक्षण, संवृद्धि और जीवंतता सुनिश्चित करने के लिए, NEP-2020 (New Education Policy-2020) में पालि, फारसी और प्राकृत के लिए एक राष्ट्रीय संस्थान (संस्थान) की स्थापना की सिफारिश की गई है. एनईपी-2020 का उद्देश्य पालि, प्राकृत और संस्कृत को प्रोत्साहन देना है, जिन भाषाओं में भारत के बौद्ध साहित्य और प्राचीन विरासत को संजोग के रखा गया है.

प्राचीन परंपराओं की समृद्ध विरासत

यह विभिन्न प्राचीन ज्ञान सहित बौद्धों और भारत की विभिन्न प्राचीन परंपराओं की समृद्ध विरासत के उच्च अध्ययन, शोध और प्रकाशन का समर्थन करने में मदद करेगा. भारत और प्राचीन ओरिएंटल स्टडीज में एक पूर्ण स्थान पर कब्जा करेगा और दुनिया भर के शिक्षाविदों, विद्वानों और शोधकर्ताओं को आकर्षित करेगा और इन विषयों के स्वस्थ विकास की सुविधा प्रदान करेगा.

पालि व बौद्ध अध्ययन के कई पहलुओं पर होगी चर्चा

संगोष्ठी में प्रमुख दृष्टि में पालि और बौद्ध अध्ययन के कई पहलुओं को रेखांकित करना और इसकी प्रासंगिकता और महत्व एनईपी-2020 में की गई है. ताकि इसमें अनुसंधान और विकास की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पालि भाषा संस्थान की स्थापना की जा सके.

अध्ययन का क्षेत्र

इस पहल का उद्देश्य पालि और बौद्ध अध्ययन का अभ्यास करने वाले शिक्षाविदों के लिए एक मंच तैयार करना है ताकि वे एक सामूहिक और सामूहिक विचार-मंथन कर सकें. यह संगोष्ठी पारदर्शी अनुसंधान के एक मजबूत संदेश के साथ एक उत्पादक मंच प्रदान करने में सक्षम होगी और भविष्य में भारत और विदेशों में बौद्ध धर्म के अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए आगे के दिशानिर्देश के लिए एक शैक्षणिक दस्तावेज बन जाएगा. पालि और बौद्ध अध्ययन के विशेषज्ञों की आकाशगंगा, पालि और बौद्ध अध्ययन के क्षेत्र में दुनिया भर में चल रहे शोधों पर भी प्रकाश डालती है. यह उन सभी विद्वानों के लिए एक युगांतरकारी आयोजन होने जा रहा है जो बौद्ध धर्म या पालि और बौद्ध अध्ययन के क्षेत्र में काम कर रहे हैं.

नई दिल्ली: राजधानी में वर्चुअल बैठक के जरिए बौद्ध अध्ययन और नई शिक्षा नीति-2020 पर चर्चा होगी. इस संगोष्ठी में उन सभी पालि एवं बौद्ध अध्ययन के विद्वानों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया गया है, जिन्होंने अपने पूरे शैक्षिक जीवन काल में पालि भाषा के जरिये बौद्ध अध्ययन को ना सिर्फ भारत में बल्कि पूरे विश्व में प्रचार प्रसार करने में अहम भूमिका निभाई है.

बता दें कि इस संगोष्ठी का उद्देश्य भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी पालि और बौद्ध अध्ययन के दृष्टिकोण और संभावनाओं का पता लगाना है और भारत सरकार का मानना है कि नई शिक्षा नीति 2020 (NEP-2020) इस संबंध में एक मील का पत्थर साबित होने वाली है.

Gautam Buddha University
वर्चुअल संगोष्ठी

पहली बार भारत द्वारा बौद्ध अध्ययन पर कराई जाएगी चर्चा

बता दें कि भारत सरकार द्वारा पालि और बौद्ध अध्ययन के प्रचार के लिए नई शिक्षा नीति 2020 (NEP-2020) में अनुशंसित किया गया है. सभी भारतीय भाषाओं के संरक्षण, संवृद्धि और जीवंतता सुनिश्चित करने के लिए, NEP-2020 (New Education Policy-2020) में पालि, फारसी और प्राकृत के लिए एक राष्ट्रीय संस्थान (संस्थान) की स्थापना की सिफारिश की गई है. एनईपी-2020 का उद्देश्य पालि, प्राकृत और संस्कृत को प्रोत्साहन देना है, जिन भाषाओं में भारत के बौद्ध साहित्य और प्राचीन विरासत को संजोग के रखा गया है.

प्राचीन परंपराओं की समृद्ध विरासत

यह विभिन्न प्राचीन ज्ञान सहित बौद्धों और भारत की विभिन्न प्राचीन परंपराओं की समृद्ध विरासत के उच्च अध्ययन, शोध और प्रकाशन का समर्थन करने में मदद करेगा. भारत और प्राचीन ओरिएंटल स्टडीज में एक पूर्ण स्थान पर कब्जा करेगा और दुनिया भर के शिक्षाविदों, विद्वानों और शोधकर्ताओं को आकर्षित करेगा और इन विषयों के स्वस्थ विकास की सुविधा प्रदान करेगा.

पालि व बौद्ध अध्ययन के कई पहलुओं पर होगी चर्चा

संगोष्ठी में प्रमुख दृष्टि में पालि और बौद्ध अध्ययन के कई पहलुओं को रेखांकित करना और इसकी प्रासंगिकता और महत्व एनईपी-2020 में की गई है. ताकि इसमें अनुसंधान और विकास की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पालि भाषा संस्थान की स्थापना की जा सके.

अध्ययन का क्षेत्र

इस पहल का उद्देश्य पालि और बौद्ध अध्ययन का अभ्यास करने वाले शिक्षाविदों के लिए एक मंच तैयार करना है ताकि वे एक सामूहिक और सामूहिक विचार-मंथन कर सकें. यह संगोष्ठी पारदर्शी अनुसंधान के एक मजबूत संदेश के साथ एक उत्पादक मंच प्रदान करने में सक्षम होगी और भविष्य में भारत और विदेशों में बौद्ध धर्म के अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए आगे के दिशानिर्देश के लिए एक शैक्षणिक दस्तावेज बन जाएगा. पालि और बौद्ध अध्ययन के विशेषज्ञों की आकाशगंगा, पालि और बौद्ध अध्ययन के क्षेत्र में दुनिया भर में चल रहे शोधों पर भी प्रकाश डालती है. यह उन सभी विद्वानों के लिए एक युगांतरकारी आयोजन होने जा रहा है जो बौद्ध धर्म या पालि और बौद्ध अध्ययन के क्षेत्र में काम कर रहे हैं.

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