नई दिल्ली/नोएडा: घरों में पूजा के वक्त इस्तेमाल होने वाली धूपबत्ती और अगरबत्ती से निकलने वाली राख वातावरण के लिए हानिकारक होती है. ऐसे में गौतमबुद्ध नगर के दो युवाओं ने अनोखा उपाय निकाला है.
कंपनी एक साल पहले शुरू हुई थी
पूजा के बाद निकलने वाली राख को इकट्ठा कर उससे मूर्तियां बनातें हैं और साथ ही कैदियों को रोजगार उपलब्ध कराते हैं. दिल्ली-एनसीआर के तकरीबन 150 मंदिरों से ये राख इकट्ठा कर मूर्तियां बनाई जा रही है.
बता दें कि 'एनर्जनी इनोवेशन कंपनी' गौतमबुद्ध नगर के दो युवकों आकाश सिंह और नरेश ने एक साल पहले शुरू की थी. आकाश ने ईटीवी भारत को बताया कि भारत में 20 लाख से ज्यादा मंदिर हैं लेकिन उनके वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा था.
ऐसे में मंदिरों से निकलने वाले वेस्ट मैटेरियल को सीधे नदियों में डंप कर देते हैं, जिससे वातावरण में प्रदूषण होता है. साथ ही मछली और जंगली जानवर प्रभावित हो रहे हैं. ऐसे में मंदिरों से निकलने वाला वेस्ट मैटेरियल से हमने मूर्तियां बनाना शुरू कर दिया.
'कैदियों को रोजगार'
बता दें कि ये दोनों युवक गौतमबुद्ध नगर की लुक्सर जेल में तकरीबन 25 कैदियों को रोजगार मुहैया करा रहे हैं. मूर्तियों की संख्या के हिसाब से कैदियों को भुगतान किया जाता है.
तकरीबन एक साल से अंडर ट्रायल कैदियों को रोजगार दे रहे हैं. 90 फीसदी राख और 10 फीसदी अन्य प्रोडक्ट्स को मिलाकर मूर्तियां तैयार होती हैं. इसके अलावा अमेजन, CSR, गिफ्टिंग शॉप और वेबसाइट पर प्रोडक्ट्स को बेचा जा रहा है.