नई दिल्ली/नोएडा: जिले में एडिशनल डीसीपी की जिम्मेदारी निभाने वाले कुंवर रणविजय सिंह का जीवन संघर्षों से भरा हुआ है. किसान परिवार में जन्में रणविजय सिंह ने पढ़ाई का खर्चा खुद उठाकर सिविव सर्विस तैयारी की और सफलता हासिल की. रणविजय सिंह ने ईटीवी भारत से चर्चा की और अपने जीवन के सफर के बारे में बताया. इस दौरान वह कई जगह पर भावुक भी हुये.
कुंवर रणविजय सिंह मूल रूप से बिहार के चंपारण में एक गांव के रहने वाले हैं. यहीं से उन्होंने शुरुआती शिक्षा ली. इसके बाद वह पढ़ने के लिये दिल्ली आये, जहां उनका एडमिशन दिल्ली यूनिवर्सिटी में हुआ, जहां से उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई की. इस दौरान वह हॉस्टल में रहते थे.
उन्होंने बताया कि किसान परिवार से होने के चलते उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. जिसके चलते उन्हें पढ़ाई करने में काफी परेशानी आई. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. वह पढ़ाई का खर्चा ट्यूशन पढ़ाकर निकालते थे. वहीं निजी खर्चे किसी तरह मैनेज करते थे. लेकिन मन में कुछ बनने का जज्बा था, जिसके चलते सिविल की तैयारी में जुट गये और दिल में प्रबल इच्छा थी कि वह सिविल सर्विस में जाएं. इसके लिये उन्होंने अथक मेहनत की और वह तीन जगह सफल भी हुये. पहले वह राजस्थान, बिहार और अंत में जब यूपी कैडर में सेलेक्ट हुये तो एडिशनल डीसीपी के तौर पर ज्वाइन किया.
नोएडा में पार्किंग की समस्या बढ़ी, गाड़ी पार्क करने को लेकर लोगों में बढ़ रहे झगड़े
उन्होंने बताया कि पुलिस विभाग मैं लगभग 18 सालों से सेवा दे रहा हूं. मेरी पहली पोस्टिंग अलीगढ़ और फिर जौनपुर जिले में रही. अब तक के जीवन में काफी संघर्ष देखने और सामना करने का मौका आया और सभी जगहो पर मैंने डट कर सामना भी किया. कभी किसी भी बात और परिस्थिति से पीछे नहीं हटा, हर समस्या को दूर करने और उसे समझने कि हमेशा कोशिश रही है. एडिशनल डीसीपी नोएडा ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान कई बार अपने जीवन और संघर्ष को बताते हुए भावुक होते हुए भी देखे गए.
एडिशनल डीसीपी नोएडा कुंवर रणविजय सिंह ने कहा कि सामाजिक परेशानियां हैं, जो अपराध के रूप में हैं. उसके पीछे केवल पुलिस की जवाबदेही नहीं होती बल्कि समाज की जिम्मेदारी होती है. व्यक्तित्व विकास में समाज की बड़ी भूमिका होती है. अगर कोई व्यक्ति पॉजिटिव सोच के साथ आगे बढ़ेगा तो वह खुद तो आगे बढ़ेगा ही बल्कि समाज में सकारात्मक योगदान देगा.
पुलिस विभाग मैं हमेशा व्यवहार को लेकर प्रश्न उठते रहते जिसे लेकर मेरा मानना है कि सभी को बेहतर व्यवहार रखना चाहिए और ईमानदारी से काम करना जरूरी है, तभी हम लोगों के बीच में अपनी बेहतर छवि और बेहतर सम्मान बना पाएंगे. हमें हमेशा किसी भी काम को निष्पक्ष होकर करने की जरूरत है. किसी भी पीड़ित को परेशान करने की जगह उसकी बात सुननी चाहिए और यह मानकर कि वह हमारे परिवार से ही जुड़ा हुआ है. पुलिस के साथ ही आम जनता को भी अपने व्यवहार और सोच को एक बार जरूर बदलने की जरूरत है.