दिल्ली/नोएडा: प्राधिकरण की लापरवाही अगर देखना है तो कहीं इधर-उधर जाने की जरूरत नहीं है. सेक्टर 94 स्थित पोस्टमार्टम हाउस और अंतिम निवास के लिए बनाई गई निःशुल्क पार्किंग को देखा जा सकता है. जहां का हाल यह है कि जब से पार्किंग बनी और तीमारदारों के लिए हाल बना वह देखरेख न होने के चलते बदहाली के आंसू बहा रहे है. जहां गाड़ियों की पार्किंग होनी चाहिए, वहां पर कूड़े-कबाड़ जमा है, जहां तीमारदारों को बैठने की जगह बनाई गई है, वहां के सेड टूटे हुए हैं और गंदगी पड़ी हुई है. न ही कोई देखने वाला है और न ही कोई पूछने वाला, भगवान भरोसे लाखों रुपये खर्च करके पार्किंग स्थान बदहाली के हाल में पहुंच गया है.
बदहाली के हाल में पहुंची नि:शुल्क पार्किंग
नोएडा के सेक्टर 94 के पास अंतिम निवास और पोस्टमार्टम हाउस बनाया गया है, जहां शव का दाह संस्कार या पोस्टमार्टम कराने आए लोग अपनी गाड़ी बगल में नि:शुल्क बनी पार्किंग में खड़ी कर सकते हैं पर उस पार्किंग का हाल यह है कि देखरेख न होने के चलते बदहाली के हाल में आ गई है. लोग गाड़ियों की पार्किंग सड़कों पर करते हैं और पार्किंग स्थान पर कोई गाड़ी पार्क करने नहीं जाता. प्रवेश और निकास गेट का हाल यह है कि एक गेट झाड़ियों से दबा पड़ा है और जंग उसे खा गए, जबसे गेट लगा तब से वह देखकर बताया जा सकता है कि कभी खुला नहीं होगा. पार्किंग स्थानों पर जहां गाड़ियां खड़ी होनी वहां या तो कबाड़ है या फिर फिर गंदगी भारी पड़ी है जिसे देखने वाला कोई नहीं है.
टूटे पड़े हैं हाल के सैड और पंखे
अंतिम निवास और पोस्टमार्डम हाउस पर आने वाले ईमानदारों के बैठने के लिए वहां पर एक बड़ा सा हाल बनाया गया है, जिसके ऊपर सीमेंट के सैड लगे हुए. प्राधिकरण की अनदेखी के चलते हाल के सैड टूट गए हैं,वही कुछ पंखे मौके से गायब हैं. सफाई और देखरेख न होने के चलते वहां गंदगी और बदबू बनी हुई है. न ही कोई गार्ड की सुरक्षा है और न ही किसी सफाई कर्मचारी की, जिसके चलते हर तरफ गंदगी ही गंदगी दिखाई देगी. वहां पर पंखा लाइट की सुविधा भी दी गई है पर कुछ पंखे मौके से नदारद है और लाइट भी कुछ लोग खोल ले गए है.
पार्किंग की बदहाली के लिए कौन जिम्मेदार?
सेक्टर 94 में लाखों रुपये खर्च करके प्राधिकरण द्वारा नि:शुल्क पार्किंग बनाई गई और देखा जाए तो उसकी देख रेख का काम भी प्राधिकरण के ही हाथ में है, पर प्राधिकरण द्वारा नोएडा में पार्किंग से लेकर सड़के और इमारतें लाखों-करोड़ों खर्च करके बना दी जाती है और उनकी देख रेख की बात आती है तो प्राधिकारी की तरफ से आंखें मूंद ली जाती हैं. जिसके चलते वह स्थान बदहाली के हाल में आ जाते हैं और जल्द ही वह कबाड़ के रूप में तब्दील हो जाते हैं या फिर कूड़े का वहां पर अंबार लगने लगता है.