नई दिल्ली/नोएडा : उत्तर प्रदेश का हाईटेक सिटी की ट्रैफिक पुलिस (Noida traffic police) बदहाली में जीने को मजबूर हैं. नोएडा को करीब ढाई साल पहले कमिश्नरी बनाया गया था, लेकिन आज भी ट्रैफिक विभाग के करीब 500 ऐसे कर्मचारी हैं, जिन्हें रहने के लिए किसी आवास या बैरक की व्यवस्था आज तक नहीं की गई है, सभी जुगाड़ पर रहते हैं. वहीं इन ट्रैफिक पुलिसकर्मियों में से 50 ट्रैफिक पुलिसकर्मी ऐसे हैं जो बैरक और आवास की व्यवस्था ना होने पर नोएडा और दिल्ली के बॉर्डर चिल्ला स्थित एक खंडहर में पड़े दिल्ली के स्कूल में रहने को मजबूर (Noida traffic police forced to live illegally) हैं.
24 घंटे नोएडा की सड़कों पर खड़े होकर लोगों को यातायात नियमों का पालन कराने वाली ट्रैफिक पुलिस कर्मचारियों के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं हैं. यहां की ट्रैफिक पुलिस नोएडा के सेक्टर-14A के चिल्ला बॉर्डर के पास एक खंडहर पड़े स्कूल की जर्जर शेड के नीचे रहने को मजबूर हैं, क्योंकि ट्रैफिक पुलिसकर्मियों के नाम पर गौतम बुद्ध नगर कमिश्नरी में ना ही कहीं कोई बैरक है और ना ही कोई आवास बना हुआ है. दिल्ली के जिस खंडहर के स्कूल में नोएडा के ट्रैफिक पुलिसकर्मी रहते हैं वहां पानी से लेकर शौचालय तक की समस्या है. वहीं उनके सामने जंगली जानवरों और सांप का भी भय बना रहता है. कैमरे पर किसी ट्रैफिक पुलिसकर्मी द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया, लेकिन उनके रसोईये ने बताया कि दिल्ली के खंडहर पड़े स्कूल में करीब 50 ट्रैफिक पुलिसकर्मी रहते हैं. उसने बताया कि यहां पर किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं है. सभी पुलिसकर्मी अपने खुद के पैसे को खर्च करके कमरों को सही कराया है. यहां बिजली भी जुगाड़ पर चलती है. रसोईये का कहना है कि कमरों से बाहर लोग तभी निकलते हैं जब हाथ में डंडे होते हैं, क्योंकि यहां जंगली जानवरों का काफी आतंक है.
नोएडा के ट्रैफिक पुलिसकर्मी जहां रह रहे हैं वह 20 से 25 साल पहले दिल्ली सरकार का प्राइमरी स्कूल था. एक हादसे में बाद स्कूल को वहां से शिफ्ट कर दिया गया. जब जगह खाली हो गई तो देखरेख के अभाव में स्कूल खंडहर में तब्दील हो गया. वर्षों पहले वहां पर उत्तर प्रदेश के पीएसी के जवान रहा करते थे, जब यहां से पीएसी के जवान चले गए तो ट्रैफिक पुलिसकर्मियों ने इसे अपना आशियाना बना लिया और यहां रहना शुरू कर दिया. दिल्ली की खंडहर पड़े स्कूल में जहां नोएडा पुलिस अवैध रूप से रह रही है, वहीं नोएडा कमिश्नरी में भी किसी अधिकारी द्वारा उनके इस तरह से रहने हो आज तक संज्ञान में लेने की जहमत नहीं उठाई है.
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