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नोएडा में निकाला गया मुहर्रम का जुलूस, लगाया गया ब्लड डोनेशन कैंप

नोएडा में कड़ी सुरक्षा के बीच मुहर्रम का जुलूस निकाला गया. और साथ ही मुस्लिम समुदाय ने जुलूस में ब्लड डोनेशन कैंप भी लगाया.

नोएडा में निकाला गया मुहर्रम का जुलूस, etv bharat
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Published : Sep 15, 2019, 2:39 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा : कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच नोएडा मे रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोगो ने मुहर्रम का जुलूस निकाला गया.

कड़ी सुरक्षा के बीच निकाला गया मुहर्रम का जुलूस

सेक्टर 22 के ए ब्लाक से होते हुए एडोब से गुजरता हुआ नोएडा सिटी सेक्टर के सामने से सेक्टर 50 ईमाम बाडा पर पहुंच कर खत्म हुआ.

लगाया गया ब्लड डोनेशन कैंप
मुहर्रम का जुलूस में भाग लेने वाली महिला ने कहा कि यह कुर्बानी किसी एक कौम के लिए नहीं दी गई थी. पूरी इंसानियत को बचाने के लिए दी गई थी. इसलिए आज हमने यहां ब्लड डोनेशन कैंप लगाया है

नई दिल्ली/नोएडा : कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच नोएडा मे रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोगो ने मुहर्रम का जुलूस निकाला गया.

कड़ी सुरक्षा के बीच निकाला गया मुहर्रम का जुलूस

सेक्टर 22 के ए ब्लाक से होते हुए एडोब से गुजरता हुआ नोएडा सिटी सेक्टर के सामने से सेक्टर 50 ईमाम बाडा पर पहुंच कर खत्म हुआ.

लगाया गया ब्लड डोनेशन कैंप
मुहर्रम का जुलूस में भाग लेने वाली महिला ने कहा कि यह कुर्बानी किसी एक कौम के लिए नहीं दी गई थी. पूरी इंसानियत को बचाने के लिए दी गई थी. इसलिए आज हमने यहां ब्लड डोनेशन कैंप लगाया है

Intro:नोएडा – कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच नोएडा मे रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोगो ने मुहर्रम का जुलूस निकाला गया। सेक्टर 22 के ए ब्लाक से होते हुए एडोब से गुज़रता हुआ नोएडा सिटी सेक्टर के सामने से सेक्टर 50 ईमाम बाडा पर पहुँच कर खत्म हुआ। यह जुलूस मोहर्रम के 40 वें दिन निकाला जाता है। ऐसी मान्यता है कि मुस्लिम धर्म के पैगंबर हजरत मोहम्मद के नवासे (नाती) इमाम हुसैन करबला में अपने 72 साथियों के साथ शहीद हो गए थे। मुस्लिम धर्म के लोग तब से प्रतिवर्ष इसे मनाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि सच्चाई, इंसानियत के लिए वह शहीद हुए।


Body: इमाम हुसैन करबला में अपने 72 साथियों के साथ शहीद होने की याद में निकाले जाने वाला जुलूस हर साल की तरह नोएडा में मुहर्रम का जुलुस सेक्टर 22 के a ब्लाक से शुरू हुआ। जुलूस में नौहे में जैसे-जैसे दर्द भरे अशआर सुनाए जा रहे थे, वैसे-वैसे अजादार अपना सिर पीट-पीटकर रो रहे थे। जुलूस मार्ग के किनारे खड़ी महिलाएं भी खुद को मातम करने से रोक न सकीं। 22 के ए ब्लाक से शुरू हो कर सैक्टर 50 के ईमाम बाडा पर पहुँच कर संपन्न हुआ।

बाइट – सैयद अश्जे रज़ा ज़ैदी


Conclusion:उसके बाद आयोजित मज़लिस में फ़िरोज़ ज़ैदी, जाफ़री ब्रदर ने नोहा कहानी कही, जुलूस में हसन मेंहदी नक़वी, बाबर रज़ा ज़ैदी, अश्जे रज़ा ज़ैदी, डॉक्टर बर्नी, मौलाना ग़ुलाम अली नक़वी, अदि ने तकरीर की और ईमाम हुसैन के मसाहिब बयान किये । इमाम हुसैन करबला में अपने 72 साथियों के साथ शहीद हो गए थे। मुहर्रम का जुलूस में भाग लेने वाली खातून ने कहा कि यह कुर्बानी किसी एक कौम के लिए नहीं दी गई थी, पूरी इंसानियत को बचाने के लिए कुर्बानी दी गई थी। आज हमने यहां ब्लड डोनेशन कैंप लगाया है हम यह दिखाना चाहते हैं कि इमाम हुसैन ने जैसे कर्बला में कुर्बानी देकर इंसानियत को बचाया था। हम मर्द और औरतें खून इंसानियत के लिए दे रहे है । यहां किसी भी मजहब मिल्लत का फर्क नहीं है।

बाइट – मुहर्रम का जुलूस में भाग लेने वाली खातून
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