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गौतमबुद्ध नगर में नीचे जा रहा है ग्राउंड वाटर लेवल, पर्यावरणविद से जानिए वजह

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Published : Jul 16, 2020, 1:20 PM IST

कोरोना संकट के बीच दिल्ली-एनसीआर के लोगों के लिए पानी की समस्या परेशानी का सबब बनी हुई है. लगातार ग्राउंड वॉटर लेवल घटता जा रहा है. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने पर्यावरणविद कृष्ण कांत हूड से बातचीत की और जाना भविष्य में पानी की समस्या कितनी बढ़ सकती है.

know from environmentalist that how there will be water shortage in delhi ncr
आने वाले समये में दिल्ली-एनसीआर में हो सकती पानी की कमी

नई दिल्ली/ग्रे. नोएडा: भारत के कई राज्यों में आज भी लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरसते हैं. इसी के साथ ग्राउंड वॉटर लेवल में भी तेजी से कमी देखी जा रही है. दिल्ली-एनसीआर में लगातार पानी का स्तर कम हो रहा है.

आने वाले समये में दिल्ली-एनसीआर में हो सकती पानी की कमी

बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों को बनाने के लिए बिल्डर जल का इस्तेमाल कर रहे हैं. भूगर्भ जल विभाग की लापरवाही भी इस जल संकट का मुख्य कारण है. इसे लेकर ईटीवी भारत ने पर्यावरणविद कृष्ण कांत हूड से बातचीत की.

कृष्ण कांत हूड का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में लगातार जल स्तर कम होता जा रहा है. नोएडा की स्थिति कुछ ज्यादा ही चिंताजनक बनी हुई है. यहां कई जगहों पर भूजल 30 मीटर से अधिक नीचे जा चुका है.

जबकि पिछले 20 वर्षों के दौरान यहां औसतन करीब 15 मीटर नीचे पानी आसानी से मिल जाता था. इसका कारण पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए अत्यधिक दोहन है.


उन्होंने कहा कि सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि दिल्ली से सटे नोएडा और ग्रेटर नोएडा में पानी का जल स्तर लगातार नीचे गिरता जा रहा है. हाई राइज बिल्डिंग और मॉल को बनाने के लिए खुदाई की जाती है और फिर बेसमेंट से निकलने वाले पानी को बिल्डर नाली में बहा देते हैं.

उन्होंने कहा कि ये सब कुछ प्रकृति के विरुद्ध हो रहा है. गौतमबुद्ध नगर में भूगर्भ जल सबसे ज्यादा हुआ करता था, लेकिन आज कई इलाकों में पानी सैंकड़ों फीट नीचे हो चुका है.

भूगर्भ जल बिभाग की लापरवाही

कृष्ण कांत हूड ने कहा कि भूगर्भ जल विभाग में अधिकारियों की लापरवाही के कारण ही दिल्ली-एनसीआर का जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है. बिल्डर और वॉटर प्लांट के मालिकों से सांठगांठ के बाद बिना लाइसेंस के ही उनको जल दोहन का परमिट मिल जाता है, जिसमें अधिकारी की मिलीभगत होती है. इसका खामियाजा दिल्ली-एनसीआर के रहने वाले लोगों को भविष्य में भुगतना पड़ेगा क्योंकि उनके पास पीने के लिए तब तक पानी भी नहीं बचेगा.



इस मामले पर जब ईटीवी भारती की टीम जब गौतमबुद्ध नगर के भूगर्भ जल विभाग के कार्यालय पहुंची तो दफ्तर पर अधिकारी के सीट खाली मिली. वहां मौजूद कर्मचारी से जानकारी ले गई तो पता चला कि अधिकारियों को 3 जिलों की जिम्मेदारी दी गई है.

जिसमें वह हमेशा अलग-अलग जिलों में दौरे पर रहते हैं. इन जिलों में बुलंदशहर, गाजियाबाद और नोएडा शामिल हैं. फोन करने पर जानकारी मिली कि एग्जीक्यूटिव इंजीनियर लखनऊ किसी मीटिंग में गए हुए हैं. तो वही यहां का चार्ज संभाले हुए राहुल शर्मा बुलंदशहर गए हुए थे.

भविष्य में पीने के पानी की कमी

अगर जल दोहन का यह सिलसिला यूं ही जारी रहा तो आने वाले समय में नई पीढ़ी को पीने का पानी भी नसीब नहीं होगा. तब शायद किसी और तरीके से अपनी प्यास बुझानी पड़ सकती है. जिस प्रकार से जल दोहन का काम लगातार जारी है, उस प्रकार से भविष्य में इंसान को पीने का पानी मयस्सर नहीं हो पाएगा. भविष्य काफी चिंताजनक स्थिति में आ चुका होगा.

नई दिल्ली/ग्रे. नोएडा: भारत के कई राज्यों में आज भी लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरसते हैं. इसी के साथ ग्राउंड वॉटर लेवल में भी तेजी से कमी देखी जा रही है. दिल्ली-एनसीआर में लगातार पानी का स्तर कम हो रहा है.

आने वाले समये में दिल्ली-एनसीआर में हो सकती पानी की कमी

बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों को बनाने के लिए बिल्डर जल का इस्तेमाल कर रहे हैं. भूगर्भ जल विभाग की लापरवाही भी इस जल संकट का मुख्य कारण है. इसे लेकर ईटीवी भारत ने पर्यावरणविद कृष्ण कांत हूड से बातचीत की.

कृष्ण कांत हूड का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में लगातार जल स्तर कम होता जा रहा है. नोएडा की स्थिति कुछ ज्यादा ही चिंताजनक बनी हुई है. यहां कई जगहों पर भूजल 30 मीटर से अधिक नीचे जा चुका है.

जबकि पिछले 20 वर्षों के दौरान यहां औसतन करीब 15 मीटर नीचे पानी आसानी से मिल जाता था. इसका कारण पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए अत्यधिक दोहन है.


उन्होंने कहा कि सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि दिल्ली से सटे नोएडा और ग्रेटर नोएडा में पानी का जल स्तर लगातार नीचे गिरता जा रहा है. हाई राइज बिल्डिंग और मॉल को बनाने के लिए खुदाई की जाती है और फिर बेसमेंट से निकलने वाले पानी को बिल्डर नाली में बहा देते हैं.

उन्होंने कहा कि ये सब कुछ प्रकृति के विरुद्ध हो रहा है. गौतमबुद्ध नगर में भूगर्भ जल सबसे ज्यादा हुआ करता था, लेकिन आज कई इलाकों में पानी सैंकड़ों फीट नीचे हो चुका है.

भूगर्भ जल बिभाग की लापरवाही

कृष्ण कांत हूड ने कहा कि भूगर्भ जल विभाग में अधिकारियों की लापरवाही के कारण ही दिल्ली-एनसीआर का जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है. बिल्डर और वॉटर प्लांट के मालिकों से सांठगांठ के बाद बिना लाइसेंस के ही उनको जल दोहन का परमिट मिल जाता है, जिसमें अधिकारी की मिलीभगत होती है. इसका खामियाजा दिल्ली-एनसीआर के रहने वाले लोगों को भविष्य में भुगतना पड़ेगा क्योंकि उनके पास पीने के लिए तब तक पानी भी नहीं बचेगा.



इस मामले पर जब ईटीवी भारती की टीम जब गौतमबुद्ध नगर के भूगर्भ जल विभाग के कार्यालय पहुंची तो दफ्तर पर अधिकारी के सीट खाली मिली. वहां मौजूद कर्मचारी से जानकारी ले गई तो पता चला कि अधिकारियों को 3 जिलों की जिम्मेदारी दी गई है.

जिसमें वह हमेशा अलग-अलग जिलों में दौरे पर रहते हैं. इन जिलों में बुलंदशहर, गाजियाबाद और नोएडा शामिल हैं. फोन करने पर जानकारी मिली कि एग्जीक्यूटिव इंजीनियर लखनऊ किसी मीटिंग में गए हुए हैं. तो वही यहां का चार्ज संभाले हुए राहुल शर्मा बुलंदशहर गए हुए थे.

भविष्य में पीने के पानी की कमी

अगर जल दोहन का यह सिलसिला यूं ही जारी रहा तो आने वाले समय में नई पीढ़ी को पीने का पानी भी नसीब नहीं होगा. तब शायद किसी और तरीके से अपनी प्यास बुझानी पड़ सकती है. जिस प्रकार से जल दोहन का काम लगातार जारी है, उस प्रकार से भविष्य में इंसान को पीने का पानी मयस्सर नहीं हो पाएगा. भविष्य काफी चिंताजनक स्थिति में आ चुका होगा.

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