नई दिल्ली/नोएडा: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देश की सबसे खूबसूरत इंफोटेनमेंट सिटी बसाने की कल्पना की थी. सपने को साकार करने के लिए यमुना एक्सप्रेस-वे पर सेक्टर 21 में एक हजार एकड़ जमीन को हरि झंडी दिखाई. इंफोटेनमेंट सिटी बसाने से पहले कहीं वो चूक दुबारा न हो जाए, जो सेक्टर 16 नोएडा फिल्म सिटी बसाते वक्त हुई थी. नोएडा के सेक्टर 16 में बताई गई फिल्म सिटी की परिकल्पना भी कमोवेश वैसी ही थी, जैसे अब है. ऐसे में यह बेहद जरूरी हो जाता है. उन गलतियों को दोबारा ना दोहराया जाए.
लैंड पॉलिसी में थी खामियां
प्रॉपर्टी एक्सपर्ट और टाउन प्लानर ललित ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि सेक्टर 16 में बनी फिल्म सिटी के बाद जब सामने आई, उस वक्त एक बड़ी क्रांति आई, मारवाह स्टूडियो ने फिल्म सिटी बसाने का बीड़ा उठाया. ऐसे में स्टूडियो बनने के बाद मायानगरी से भी लोगों ने इन्वेस्टमेंट किया. इन्वेस्टमेंट का बड़ा दुरुपयोग किया गया, फिल्म सिटी को बसाने के लिए सरकार की तरफ से रिबेट दी गई, एंप्लॉयमेंट जनरेशन के लिहाज से सब्सिडी दी गई, लेकिन उस दौरान की पॉलिसी में कई खामियां रहr, जिसका इन्वेस्टर्स ने गलत तौर पर इस्तेमाल किया. ऐसे में इन्वेस्टर्स ने अपनी सहूलियत के लिए जब उस प्रॉपर्टी के रेट बढ़े तो, उन्हें कॉर्पोरेट ऑफिस को बेच दिया. जिसका खामियाजा फिल्म सिटी भुगत रही हैं.
मजबूत पॉलिसी की जरूरत
यह समझना बेहद जरूरी है कि लैंड पॉलिसी में खामियां होने के चलते उस दौरान इन्वेस्टर्स ने गलत इस्तेमाल किया और प्रॉपर्टी महंगे दामों पर कॉर्पोरेट जगत को बेच दी. ऐसे में यमुना में बनने वाली इंफोटेनमेंट फिल्म सिटी का भी ऐसे ही हश्र न हो इसलिए सख्त लैंड पॉलिसी बनाने की जरूरत है. ऐसे में नई फिल्म सिटी बस आने से पहले यह जानना बहुत जरूरी है कि पुरानी फिल्म सिटी का आईडिया ब्लॉक क्यों हुआ?