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नोएडा: अस्पताल से 15 दिन बाद धरना में चिल्ला बॉर्डर पहुंचे भानु प्रताप सिंह

भानु प्रताप सिंह ने किसान आंदोलन को लेकर कहा कि मैं किसी भी हाल में किसानों की लड़ाई को बीच में छोड़कर नहीं जाऊंगा. किसान आयोग का गठन, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू की जाए और नए कृषि कानूनों को सरकार वापस ले. तभी हम अपने धरना-प्रदर्शन को समाप्त करेंगे.

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Published : Jan 18, 2021, 5:41 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा: भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह 15 दिन बाद सोमवार को धरना स्थल पर राष्ट्रीय अध्यक्ष पहुंचे. इस दौरान पूरे जोश के साथ यूनियन के कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया. दरअसल, नोएडा के चिल्ला बॉर्डर पर भाकियू (भानु) के द्वारा 1 दिसंबर से लगातार 49 दिन से धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है.

'बीच में नहीं छोड़ूंगा किसानों की लड़ाई'

इसी धरना-प्रदर्शन के बीच करीब 15 दिन पहले अचानक मौसम में आए बदलाव के बाद किसान नेता भानु प्रताप सिंह की तबीयत बिगड़ गई थी. इसके बाद उन्हें आनन-फानन में ग्रेटर नोएडा के यथार्थ अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था, जहां करीब 15 दिनों तक लगातार डॉक्टरों ने उनकी हालत गंभीर देख कर उन्हें भर्ती रखा. प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे भानु प्रताप सिंह का कहना है कि मैं अंतिम सांस तक किसानों के हक की लड़ाई लड़ता रहूंगा और कृषि कानून को किसी भी हाल में लागू नहीं होने दूंगा, भले ही मेरी जान चली जाए. आने वाले समय में किसानों की ट्रैक्टर परेड करने की जो रणनीति है, उसे हम निकाल कर रहेंगे.


'किसानों के हक के लिए अंतिम सांस तक लड़ूंगा'

भानु प्रताप सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि पिछले 15 दिन से तबियत खराब होने के चलते मैं ग्रेटर नोएडा के यथार्थ अस्पताल में भर्ती था. जहां डॉक्टरों के बेहतर इलाज के बाद अब जाकर स्वस्थ हुआ हूं. उन्होंने किसान आंदोलन को लेकर कहा कि मैं किसी भी हाल में किसानों की लड़ाई को बीच में छोड़कर नहीं जाऊंगा. किसान आयोग का गठन, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू की जाए और नए कृषि कानूनों को सरकार वापस ले. तभी हम अपने धरना-प्रदर्शन को समाप्त करेंगे. अन्यथा यह निरंतर इसी तरह जारी रहेगा और आने वाले समय में 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड निकालकर दिल्ली जरूर जाएंगे.

भानु प्रताप ने कहा कि मेरी उम्र 70 साल हो गई है. धरना स्थल पर जिस तरह से अन्य किसान शहीद हुए हैं. उसी तरह मैं भी धरना स्थल पर ही अपनी जान दे दूंगा, लेकिन किसानों की हक की लड़ाई में पीछे नहीं हटूंगा. मेरे ऊपर जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं, वे पूरी तरह से असत्य हैं. मैं अडिग होकर किसानों की लड़ाई आगे भी करता रहूंगा.


'सत्ता में नहीं रहेगी किसानों का अहित करने वाली सरकार'

भानु प्रताप सिंह ने आगे कहा कि अडानी और अंबानी सामान बनाते हैं तो उसकी कीमत वह निर्धारित करते हैं. वहीं किसान अपनी खेती में जो पैदा करता है उसका भी निर्धारण किसान नहीं कर पाता है. बल्कि सरकार और व्यापारी उसका भी निर्धारण करने में लगे हुए हैं, जिसे हम किसी भी हाल में होने नहीं देंगे. उन्होंने कहा कि जो सरकार किसानों के हक की बात करेगी, वही अब सत्ता में बैठेगी. किसानों के अहित की बात करने वाले को हम सत्ता में नहीं रहने देंगे. अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो आने वाले समय में हम किसान यह करके दिखाएंगे.

नई दिल्ली/नोएडा: भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह 15 दिन बाद सोमवार को धरना स्थल पर राष्ट्रीय अध्यक्ष पहुंचे. इस दौरान पूरे जोश के साथ यूनियन के कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया. दरअसल, नोएडा के चिल्ला बॉर्डर पर भाकियू (भानु) के द्वारा 1 दिसंबर से लगातार 49 दिन से धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है.

'बीच में नहीं छोड़ूंगा किसानों की लड़ाई'

इसी धरना-प्रदर्शन के बीच करीब 15 दिन पहले अचानक मौसम में आए बदलाव के बाद किसान नेता भानु प्रताप सिंह की तबीयत बिगड़ गई थी. इसके बाद उन्हें आनन-फानन में ग्रेटर नोएडा के यथार्थ अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था, जहां करीब 15 दिनों तक लगातार डॉक्टरों ने उनकी हालत गंभीर देख कर उन्हें भर्ती रखा. प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे भानु प्रताप सिंह का कहना है कि मैं अंतिम सांस तक किसानों के हक की लड़ाई लड़ता रहूंगा और कृषि कानून को किसी भी हाल में लागू नहीं होने दूंगा, भले ही मेरी जान चली जाए. आने वाले समय में किसानों की ट्रैक्टर परेड करने की जो रणनीति है, उसे हम निकाल कर रहेंगे.


'किसानों के हक के लिए अंतिम सांस तक लड़ूंगा'

भानु प्रताप सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि पिछले 15 दिन से तबियत खराब होने के चलते मैं ग्रेटर नोएडा के यथार्थ अस्पताल में भर्ती था. जहां डॉक्टरों के बेहतर इलाज के बाद अब जाकर स्वस्थ हुआ हूं. उन्होंने किसान आंदोलन को लेकर कहा कि मैं किसी भी हाल में किसानों की लड़ाई को बीच में छोड़कर नहीं जाऊंगा. किसान आयोग का गठन, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू की जाए और नए कृषि कानूनों को सरकार वापस ले. तभी हम अपने धरना-प्रदर्शन को समाप्त करेंगे. अन्यथा यह निरंतर इसी तरह जारी रहेगा और आने वाले समय में 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड निकालकर दिल्ली जरूर जाएंगे.

भानु प्रताप ने कहा कि मेरी उम्र 70 साल हो गई है. धरना स्थल पर जिस तरह से अन्य किसान शहीद हुए हैं. उसी तरह मैं भी धरना स्थल पर ही अपनी जान दे दूंगा, लेकिन किसानों की हक की लड़ाई में पीछे नहीं हटूंगा. मेरे ऊपर जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं, वे पूरी तरह से असत्य हैं. मैं अडिग होकर किसानों की लड़ाई आगे भी करता रहूंगा.


'सत्ता में नहीं रहेगी किसानों का अहित करने वाली सरकार'

भानु प्रताप सिंह ने आगे कहा कि अडानी और अंबानी सामान बनाते हैं तो उसकी कीमत वह निर्धारित करते हैं. वहीं किसान अपनी खेती में जो पैदा करता है उसका भी निर्धारण किसान नहीं कर पाता है. बल्कि सरकार और व्यापारी उसका भी निर्धारण करने में लगे हुए हैं, जिसे हम किसी भी हाल में होने नहीं देंगे. उन्होंने कहा कि जो सरकार किसानों के हक की बात करेगी, वही अब सत्ता में बैठेगी. किसानों के अहित की बात करने वाले को हम सत्ता में नहीं रहने देंगे. अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो आने वाले समय में हम किसान यह करके दिखाएंगे.

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