नई दिल्ली/नोएडा: चिल्ला बॉर्डर पर मर जाएंगे, लेकिन हार कर नहीं जाएंगे. यह बात भारतीय किसान यूनियन (भानु) के प्रदेश अध्यक्ष योगेश प्रताप सिंह ने कही. रविवार को किसान विरोध-प्रदर्शन के 55वें दिन चिल्ला बॉर्डर पर भाकियू (भानु) के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और भानु प्रताप सिंह के बड़े पुत्र ओम प्रताप की पुण्यतिथि मनाई गई. पुण्यतिथि के दौरान किसानों ने 2 मिनट का मौन रख श्रद्धांजलि दी. साथ ही ओम प्रताप के फोटो पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई.
'वे मेरे बचपन के दोस्त ही नहीं, मेरे भाई भी थे'
इस मौके पर ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए योगेश प्रताप और ओम प्रताप के दोस्त ने अपनी पुरानी यादों को साझा किया. साथ ही उन्होंने आंदोलन को लेकर आगे की रणनीति भी बताई. भाकियू (भानु) के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और भानु प्रताप सिंह के बड़े पुत्र ओम प्रताप ने 3 साल पूर्ण खेती में घाटा होने के चलते आत्महत्या कर ली थी. आज उन्हें याद करते हुए भाकियू (भानु) के किसानों द्वारा चिल्ला बॉर्डर पर धरने के 55वें दिन ओम प्रताप की पुण्यतिथि मनाई गई. इस मौके पर ओम प्रताप के मित्र देव प्रताप सिंह ने बताया कि ओम प्रताप मेरे बचपन के दोस्त ही नहीं, मेरे भाई भी थे. पढ़ाई के दौरान दोनों टाइम का खाना बनाने के साथ ही ओम प्रताप मेरे कपड़े भी धो दिया करते थे. आज अपने जीवन में मैं ओम प्रताप की बहुत ज्यादा कमी महसूस करता हूं. मेरी हर खुशी को उन्होंने हमेशा पूरा किया है.
देव प्रताप ने बताया कि पढ़ाई के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में हम दोनों साथ में पढ़ाई करते थे. मेरे साथ वो एक गार्जियन के रूप में हमेशा सर पर हाथ रखे रहे. उन्होंने मेरी हर छोटी बड़ी चीज का ध्यान रखा और कभी किसी चीज की कोई कमी महसूस नहीं होने दी.
'अंतिम सांस तक लडूंगा किसानों की लड़ाई'
भाकियू (भानु) के प्रदेश अध्यक्ष और ओम प्रताप सिंह के छोटे भाई योगेश प्रताप सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि मैं अंतिम सांस तक किसानों के हक की लड़ाई लड़ता रहूंगा. जिस तरह से मेरे भाई ने सरकार की गलत नीतियों के कारण आत्महत्या कर अपनी जान दे दी, उसकी शहादत को मैं यूं ही नहीं जाने दूंगा. 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड करने के साथ ही पुनः चिल्ला बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन (भानु) का धरना जारी रहेगा. जब तक सरकार किसान विरोधी बिल, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट और किसान आयोग का गठन नहीं करेगी, तब तक हम पीछे हटने वाले नहीं हैं. सरकार भले ही हमें गोली मार दे, लेकिन हम अब अपनी मांगों को पूरा कराए बिना यहां से जाने वाले नहीं हैं, जिसका मैंने संकल्प ले रखा है.