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मैं चिल्ला बॉर्डर हूं, आपको 58 दिन की दास्तां सुनाता हूं...

58 दिन तक लगातार चले किसानों के प्रदर्शन के बाद बुधवार की देर रात चिल्ला बॉर्डर खाली हो गया. डेरा डाले किसान लौट गए और आम लोगों के लिए बॉर्डर खोल दिया गया. इन 58 दिनों में चिल्ला बॉर्डर जिनका गवाह बना उसकी दास्तां ETV Bharat के जरिए सुनिए...

मैं चिल्ला बॉर्डर हूं, आपको 58 दिन की दास्तां सुनाता हूं
मैं चिल्ला बॉर्डर हूं, आपको 58 दिन की दास्तां सुनाता हूं
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Published : Jan 28, 2021, 8:49 PM IST

नोएडा: मैं चिल्ला बॉर्डर हूं, नोएडा और दिल्ली को जोड़ता हूं. पिछले 58 दिनों से मैं पहरों में था. किसानों का घर हो चला था. मुझ पर ही किसानों की बैठक जमती थी. मैंने उनका विरोध देखा, उनका क्रोध देखा, उनकी व्याकुलता देखी. मैंने उनका ज़ोर देखा, उनका दर्द देखा. मैंने देखी उनकी नीति, उनकी रणनीति, मैंने सबकुछ देखा... मैं गवाह हूं, उनके विरोध का, उनके आक्रोश का, उनके धरने का, उनके प्रदर्शन का. मैं चिल्ला हूं... मैं नोएडा से दिल्ली को जोड़ता हूं... आज आपको मैं 58 दिन की दास्तां सुनाऊंगा. कुछ खट्टी-कुछ मीठी बातें बताऊंगा. मैने देखी है किसानों की तकलीफें, उनका हंसता हुआ चेहरा भी देखा है, उस हंसी में छिपा उनका दर्द भी... मैं कई बुरे तजुर्बे से भी गुजरा हूं...

मैं चिल्ला बॉर्डर हूं.
58 दिन बाद खुला बॉर्डर

नोएडा के सेक्टर 14 का चिल्ला बॉर्डर एक बार फिर से पटरी पर दौड़ पड़ा है. 58 दिनों से चिल्ला बॉर्डर बंद था. ऐसे में नोएडा से दिल्ली जाने वाले लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था, लेकिन 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च के हिंसात्मक रूप को देखते हुए भारतीय किसान यूनियन भानु के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने निर्णय लिया कि अब चिल्ला पर प्रदर्शन जारी नहीं रखेंगे और देशहित में प्रदर्शन खत्म करेंगे. भारतीय किसान यूनियन भानु के राष्ट्रीय अध्यक्ष के आह्वान के बाद नोएडा और दिल्ली पुलिस ने बैरिकेडिंग हटाई और देर रात एक बार फिर से चिल्ला बॉर्डर खुल गया.


नोएडा में पहली बार इतना लंबा धरना

नोएडा में पहली बार इतना लंबा कोई धरना चलने का रिकॉर्ड भारतीय किसान यूनियन भानू के नाम दर्ज किया गया है. कृषि कानूनों के विरोध में चिल्ला बॉर्डर पर किसान 1 दिसंबर से धरने पर बैठे थे. बगैर किसी परिणाम के यह धरना समाप्त हो गया, लेकिन नोएडा के नाम सबसे ज्यादा दिन चलने वाले धरने का एक रिकॉर्ड बन गया. इससे पहले नोएडा में ऐसा कोई धरना नहीं हुआ जो इतने लंबे वक्त तक चला हो. या यूं कहें कि दिल्ली जाने या कोई मुख्य सड़क को बंद कर इतना लंबा धरना पहले कभी नहीं चला है.

नोएडा: मैं चिल्ला बॉर्डर हूं, नोएडा और दिल्ली को जोड़ता हूं. पिछले 58 दिनों से मैं पहरों में था. किसानों का घर हो चला था. मुझ पर ही किसानों की बैठक जमती थी. मैंने उनका विरोध देखा, उनका क्रोध देखा, उनकी व्याकुलता देखी. मैंने उनका ज़ोर देखा, उनका दर्द देखा. मैंने देखी उनकी नीति, उनकी रणनीति, मैंने सबकुछ देखा... मैं गवाह हूं, उनके विरोध का, उनके आक्रोश का, उनके धरने का, उनके प्रदर्शन का. मैं चिल्ला हूं... मैं नोएडा से दिल्ली को जोड़ता हूं... आज आपको मैं 58 दिन की दास्तां सुनाऊंगा. कुछ खट्टी-कुछ मीठी बातें बताऊंगा. मैने देखी है किसानों की तकलीफें, उनका हंसता हुआ चेहरा भी देखा है, उस हंसी में छिपा उनका दर्द भी... मैं कई बुरे तजुर्बे से भी गुजरा हूं...

मैं चिल्ला बॉर्डर हूं.
58 दिन बाद खुला बॉर्डर

नोएडा के सेक्टर 14 का चिल्ला बॉर्डर एक बार फिर से पटरी पर दौड़ पड़ा है. 58 दिनों से चिल्ला बॉर्डर बंद था. ऐसे में नोएडा से दिल्ली जाने वाले लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था, लेकिन 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च के हिंसात्मक रूप को देखते हुए भारतीय किसान यूनियन भानु के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने निर्णय लिया कि अब चिल्ला पर प्रदर्शन जारी नहीं रखेंगे और देशहित में प्रदर्शन खत्म करेंगे. भारतीय किसान यूनियन भानु के राष्ट्रीय अध्यक्ष के आह्वान के बाद नोएडा और दिल्ली पुलिस ने बैरिकेडिंग हटाई और देर रात एक बार फिर से चिल्ला बॉर्डर खुल गया.


नोएडा में पहली बार इतना लंबा धरना

नोएडा में पहली बार इतना लंबा कोई धरना चलने का रिकॉर्ड भारतीय किसान यूनियन भानू के नाम दर्ज किया गया है. कृषि कानूनों के विरोध में चिल्ला बॉर्डर पर किसान 1 दिसंबर से धरने पर बैठे थे. बगैर किसी परिणाम के यह धरना समाप्त हो गया, लेकिन नोएडा के नाम सबसे ज्यादा दिन चलने वाले धरने का एक रिकॉर्ड बन गया. इससे पहले नोएडा में ऐसा कोई धरना नहीं हुआ जो इतने लंबे वक्त तक चला हो. या यूं कहें कि दिल्ली जाने या कोई मुख्य सड़क को बंद कर इतना लंबा धरना पहले कभी नहीं चला है.

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