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नूंह: सड़क पर चना बेचने को मजूबर किसान, 'दोगुनी आय नहीं बस सही दाम दिला दो'

सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो ये है कि जो लोग सड़क किनारे चना बेच रहे हैं. उनमें ज्यादातर बच्चे हैं. जो स्कूल से आने के बाद चना बेच रहे हैं. बच्चों ने बताया कि वो अकेले नहीं हैं बल्कि उनके जैसे 100 से 150 बच्चे हर रोज चना बेचकर अपने परिवार की मदद करते हैं.

farmers selling their chana crop on roads
नूंह में सड़क किनारे चना बेचने को मजूबर किसान,
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Published : Feb 8, 2020, 11:10 PM IST

नई दिल्ली/नूंह: हरियाणा सरकार किसानों को कई अंतरराष्ट्रीय स्तर की मंडियां बनाने का सपना दिखा रही हैं. उनकी आय दोगुनी करने का दावा कर रही है, लेकिन जरा इन दावों के बीच नूंह की सड़कों पर अपनी फसल बेच रहे किसानों को भी देख लीजिए. जो सरकार से उनकी फसल का सही दाम मांग रहे हैं.

नूंह में सड़क किनारे चना बेचने को मजूबर किसान,

दरअसल, मेवात में इन दिनों चने की फसल काफी हो रही है, क्योंकि पानी कम आने की वजह से यहां के किसान चने की खेती ही कर पाते हैं. बता दें कि चने की फसल के दाम गेंहू जैसी फसलों से कम हैं. ऐसे में मंडियों में भी किसानों को सही दाम नहीं मिल पा रहे हैं. जिस वजह से किसान सड़क किनारे चना बेचने को मजूबर हैं.

सड़क किनारे चना बेच रहे बच्चे
सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो ये है कि जो लोग सड़क किनारे चना बेच रहे हैं. उनमें ज्यादातर बच्चे हैं. जो स्कूल से आने के बाद चना बेच रहे हैं. बच्चों ने बताया कि वो अकेले नहीं हैं बल्कि उनके जैसे 100 से 150 बच्चे हर रोज चना बेचकर अपने परिवार की मदद करते हैं.

ये भी पढ़िए: गुरुग्राम में गंदगी के लिए इको ग्रीन कंपनी है जिम्मेदार! पार्षदों ने लगाई अनिल विज से गुहार

वहीं जब इस बारे में किसानों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वो सड़क किनारे चना बेचने के लिए मजबूर हैं. उन्हें मंडियों में सही रेट नहीं मिल रहे हैं. जिस वजह से वो ना चाहते हुए भी सड़क किनारे बैठकर चना बेच रहे हैं. किसानों ने बताया कि सड़क किनारे चना बेचने से उन्हें 8 से 10 रुपये का प्रति गड्डी मुनाफा हो जाता है.

नई दिल्ली/नूंह: हरियाणा सरकार किसानों को कई अंतरराष्ट्रीय स्तर की मंडियां बनाने का सपना दिखा रही हैं. उनकी आय दोगुनी करने का दावा कर रही है, लेकिन जरा इन दावों के बीच नूंह की सड़कों पर अपनी फसल बेच रहे किसानों को भी देख लीजिए. जो सरकार से उनकी फसल का सही दाम मांग रहे हैं.

नूंह में सड़क किनारे चना बेचने को मजूबर किसान,

दरअसल, मेवात में इन दिनों चने की फसल काफी हो रही है, क्योंकि पानी कम आने की वजह से यहां के किसान चने की खेती ही कर पाते हैं. बता दें कि चने की फसल के दाम गेंहू जैसी फसलों से कम हैं. ऐसे में मंडियों में भी किसानों को सही दाम नहीं मिल पा रहे हैं. जिस वजह से किसान सड़क किनारे चना बेचने को मजूबर हैं.

सड़क किनारे चना बेच रहे बच्चे
सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो ये है कि जो लोग सड़क किनारे चना बेच रहे हैं. उनमें ज्यादातर बच्चे हैं. जो स्कूल से आने के बाद चना बेच रहे हैं. बच्चों ने बताया कि वो अकेले नहीं हैं बल्कि उनके जैसे 100 से 150 बच्चे हर रोज चना बेचकर अपने परिवार की मदद करते हैं.

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वहीं जब इस बारे में किसानों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वो सड़क किनारे चना बेचने के लिए मजबूर हैं. उन्हें मंडियों में सही रेट नहीं मिल रहे हैं. जिस वजह से वो ना चाहते हुए भी सड़क किनारे बैठकर चना बेच रहे हैं. किसानों ने बताया कि सड़क किनारे चना बेचने से उन्हें 8 से 10 रुपये का प्रति गड्डी मुनाफा हो जाता है.

Intro:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- सड़क पर फसल बेचने को मजबूर किसान
केंद्र - राज्य सरकार भले ही किसान की फसलों के सही दाम देकर किसानों की आर्थिक हालत सुधारने का दम भर रही हो , लेकिन सच्चाई इससे कोसों दूर है। किसान को उसकी फसल का सही दाम नहीं मिलने के कारण उसे सड़कों पर फसल बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है। सब्जी मंडी में चने की फसल के दाम सही नहीं मिलने के कारण किसान को जान जोखिम में डालकर सड़क किनारे फसल बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है। खास बात यह है कि परिवार के बड़े उम्र के सदस्य तो फसल की कटाई इत्यादि में लगे हुए हैं। स्कूली बच्चों को परीक्षा के इन दिनों में ग़ुरबत और लाचारी के कारण फसल बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है। कुछ बच्चे तो पढाई अधूरी तक छोड़ चुके हैं। Body:आपको बता दें कि इस बार बरसात होने की वजह से नगीना खंड के कुछ गांवों में चने की अच्छी पैदावार हुई है। किसान थी कि चुनावी सीजन में उनकी फसल का उन्हें सही दाम मिलेगा , लेकिन उन्हें सही दाम जब सब्जी मंडी में नहीं मिला तो उन्होंने फसल को राष्ट्रीय राजमार्ग 248 एन गुड़गांव - अलवर पर बेचना शुरू कर दिया। गंडूरी , हसनपुर , खेड़ी कंकर , आकेड़ा , मढ़ी सहित कई गांवों के सैकड़ों किसान या उनके नाबालिग बच्चे इन दिनों सड़क किनारे बड़ी संख्या में चने की फसल हाथों में लेकर गाड़ियों को रुकवाकर राहगीरों को चने की फसल बेचते हैं। इससे उन्हें फसल के सही दाम तो मिल जाते हैं ,लेकिन सारे दिन उन्हें सड़क पर बैठना पड़ता है। यह मार्ग जिले का सबसे व्यस्त मार्ग है। जिस पर हजारों वाहन फर्राटा भरते हैं। इस सड़क को हादसे ज्यादा होने की वजह से खूनी सड़क का नाम भी मिल चुका है।

चुनाव सीजन में कुछ पार्टियां किसान के खाते में रकम भेज रही हैं , तो कुछ सरकार में आने पर ब्याज माफ़ करने की बात कह रही हैं ,लेकिन किसान की समस्या फसलों का सही दाम मिलने से हो सकता है। जिसकी चिंता किसी को नहीं है। भाजपा ने पिछले चुनाव में बड़े - बड़े वायदे किसान से किये थे , लेकिन उनमें से वायदा पूरा करना सरकार शायद भूल गई। किसान की हालत साल दर साल कमजोर होती जा रही है। किसान तो दूर उनके बच्चों का भविष्य भी ग़ुरबत की वजह से अंधकार में जाते हुए दिखाई पड़ रहा है। पिछले करीब 20 दिन से सड़क पर दस रुपये की एक गड्डी बनाकर किसान व उनके बच्चे बेचने का काम कर रहे हैं। मरोड़ा गांव में तो फसल बेचते समय कई साल पहले एक महिला किसान की जान भी सड़क किनारे फसल बेचने की वजह से जा चुकी है। किसान हताश व निराश है ,लेकिन राजनैतिक दल किसान के नाम पर राजनीति करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। सरकारों ने अगर किसान की फसलों का उचित मूल्य देने पर तेजी से काम नहीं किया तो देश से गरीबी को दूर करना आसान नहीं होगा।Conclusion:बाइट;- आकिल किसान
बाइट;- हनीफ किसान
बाइट;- एमना महिला किसान
बाइट;- इब्राहिम किसान

संवाददाता कासिम खान नूंह मेवात
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