नई दिल्ली/पलवल: नौकरी बहाली की मांग को लेकर पीटीआई टीचर का धरना 72वें दिन भी जारी रहा, लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. ये टीचर गर्मी, बारिश और महामारी को झेलते हुए धरने पर बैठे हैं. इन टीचर का रोष दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है. इस दौरान धरने पर बैठे बर्खास्त पीटीआई अध्यापक राजेश और प्रवेंद्र डागर का कहना है कि सरकार भर्ती की परीक्षा को लेकर मामले को उलझाने का प्रयास कर रही है.
साथ ही टीचर्स का कहना है कि पीटीआई टीचर्स का मुद्दा जनहित से जुड़ा है. इसलिए सरकार आध्यादेश लाकर इन टीचर्स की बहाली करे. उनका कहना है कि सरकार की ओर से आनन-फानन में लिए गए फैसले से पीटीआई टीचर्स के परिवारों को गहरी चोट लगी है. अगर सरकार ने पीटीआई की नौकरी बहाल नहीं की तो इनके परिवार उजड़ जाएंगे.
क्या है पूरा मामला?
हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन ने अप्रैल 2010 में 1983 पीटीआई को प्रदेशभर में भर्ती किया था. इस दौरान नियुक्तियों में असफल रहे अभ्यर्थियों में संजीव कुमार, जिले राम और एक अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियुक्ति में गड़बड़ी का आरोप लगा चुनौती दी थी. याचिका में कहा गया था कि ऐसे उम्मीदवारों को भी नियुक्ति दी गई थी, जिनके शैक्षणिक दस्तावेज फर्जी हैं.
हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका पर सुनवाई कर पीटीआई की भर्ती को रद्द कर दिया था. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला बरकरार रखा था. वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानते हुए हरियाणा सरकार ने इसी साल 1983 पीटीआई शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया है. जिसके बाद से प्रदेशभर में पीटीआई शिक्षकों की बहाली को लेकर प्रदर्शन जारी है.