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भोजपुर गांव: गाय को प्यासा देख शाहिद की भर आई आंखें, जगह-जगह बनवाए पानी के पात्र - Ghaziabad stray animal

गाजियाबाद के भोजपुर गांव में स्थानीय निवासी शाहिद चौधरी ने निराश्रित पशु-पक्षियों के लिए पानी के पात्र बनवा दिए गए हैं. जिनमें आवारा पशु-पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था की गई है.

water vessels for destitute animals in ghaziabad bhojpur
गाजियाबाद निराश्रित पशु
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Published : Aug 31, 2020, 4:39 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबादः तपती गर्मी और कोरोना काल के दौरान भूखे प्यासे घूमते निराश्रित पशु-पक्षियों के लिए भोजपुर गांव की प्रधान ने सीमेंटेड पानी के पात्र बनवा कर अलग-अलग जगह लगवाएं है. जिसमें चारे और पानी की व्यवस्था की जाती है.

निराश्रित पशु-पक्षियों के लिए रखवाए पानी के पात्र

ईटीवी भारत को गाजियाबाद के भोजपुर गांव के निवासी शाहिद चौधरी ने बताया कि उनके गांव में आवारा पशु पानी की तलाश में दरबदर भटकते रहते थे. इसीलिए उन्होंने अपने गांव में 20 से 25 सीमेंटेड पानी के पात्र बनवाए हैं. जिनमें वह चारा और पानी की व्यवस्था करवाते हैं. जिससे कि आवारा पशु और पक्षी खाना-पीना कर सकें.

प्यासी गाय को देख कर आया मन में विचार

शाहिद चौधरी ने बताया कि उनके मन में यह विचार तब आया, जब एक दिन उन्होंने गांव में देखा कि एक गाय पानी पीने के लिए सरकारी नल के पास खड़ी है. लेकिन वह पानी नहीं पी पा रही है. सिर्फ टपकते पानी को अपनी जीभ से चाटकर प्यास बुझाने की कोशिश कर रही है. इसी को देखकर उन्होंने अपने गांव में पशु और पक्षियों के पानी पीने के लिए सीमेंटेड पात्र बनवाकर जगह-जगह रखवाए हैं.

नई दिल्ली/गाजियाबादः तपती गर्मी और कोरोना काल के दौरान भूखे प्यासे घूमते निराश्रित पशु-पक्षियों के लिए भोजपुर गांव की प्रधान ने सीमेंटेड पानी के पात्र बनवा कर अलग-अलग जगह लगवाएं है. जिसमें चारे और पानी की व्यवस्था की जाती है.

निराश्रित पशु-पक्षियों के लिए रखवाए पानी के पात्र

ईटीवी भारत को गाजियाबाद के भोजपुर गांव के निवासी शाहिद चौधरी ने बताया कि उनके गांव में आवारा पशु पानी की तलाश में दरबदर भटकते रहते थे. इसीलिए उन्होंने अपने गांव में 20 से 25 सीमेंटेड पानी के पात्र बनवाए हैं. जिनमें वह चारा और पानी की व्यवस्था करवाते हैं. जिससे कि आवारा पशु और पक्षी खाना-पीना कर सकें.

प्यासी गाय को देख कर आया मन में विचार

शाहिद चौधरी ने बताया कि उनके मन में यह विचार तब आया, जब एक दिन उन्होंने गांव में देखा कि एक गाय पानी पीने के लिए सरकारी नल के पास खड़ी है. लेकिन वह पानी नहीं पी पा रही है. सिर्फ टपकते पानी को अपनी जीभ से चाटकर प्यास बुझाने की कोशिश कर रही है. इसी को देखकर उन्होंने अपने गांव में पशु और पक्षियों के पानी पीने के लिए सीमेंटेड पात्र बनवाकर जगह-जगह रखवाए हैं.

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