नई दिल्ली/गाज़ियाबाद: विधानसभा चुनाव 2022 का बिगुल बजने में अब कम समय बाकी हैं. ऐसे में राजनीतिक दल भी पूरी शिद्दत के साथ वोटरों को रिझाने में जुटे हैं. एक तरफ सरकार अपने कामों और नए संकल्प को लेकर जनता के बीच जा रही है. वहीं दूसरी तरफ विपक्षी पार्टियाँ सरकार की नाकामियों को जनता को गिना रहा है और अपना एजेंडा जनता के सामने रख रही है. विधानसभा चुनावों से पहले राजनैतिक पार्टीयों में पोस्टर वार होता दिखाई दे रहा है.
दरअसल, चंद रोज पहले उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जिला मुख्यालय परिसर में एक पोस्टर लगाया गया. पोस्टर दो भागों में बांटा गया. पोस्टर में एक भाग में लिखा हुआ था कि 2017 से पहले सरकारी पैसे का बंदरबांट होता था. साथी एक चित्र लगाया गया जिसमें एक नेता लाल टोपी लगाए सोफे पर बैठा हुआ है. लाल टोपी लगाए नेता के सामने एक शख्स दूसरे शख्स को एक काला बैग देता हुआ चित्र में नजर आया. वहीं पोस्टर के दूसरी तरफ एक्सप्रेस वे की तस्वीर लगी है. जिसके ऊपर लिखा है कि 2017 के बाद सरकारी पैसा प्रदेश की तरक्की में खर्च होता है. पोस्टर के नीचे लिखा हुआ है सोच ईमानदार-काम दमदार.
प्रदेश सरकार द्वारा लगाए गए पोस्टर के जवाब में रात के समय जिला मुख्यालय परिसर में एक अन्य पोस्टर लगाया गया. पोस्टर के नीचे समाजवादी पार्टी के नेता पंडित जीतू शर्मा का नाम लिखा हुआ था. पोस्टर दो भागों में बंटा हुआ था. पोस्टर में एक तरफ लिखा था कि 2017 से पहले बेटियों के लिए कन्या विद्याधन समाजवादी पेंशन, किसानों के लिए मुफ्त सिंचाई, किसान दुर्घटना बीमा, छात्रों के लिए लैपटॉप, उत्तर प्रदेश की मेट्रो का तोहफा, आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे, समाजवादी पूर्वांचल एक्सप्रेस वे, गर्भवती महिलाओं के लिए 102, 108 एंबुलेंस सेवा, 1090 वूमेन पावर लाइन सेवा, यह तमाम सुविधाएं सपा सरकार में प्रदेशवासियों को दी गई थी.
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वहीं, दूसरी तरफ पोस्टर में 2017 के बाद लखीमपुर खीरी का चित्र, एक रेप के मामले की अखबार की कटिंग आदि लगाई हुई थी. दरअसल इस पोस्टर के जरिए प्रदेश की योगी सरकार को टारगेट किया गया. बैनर में साफ तौर पर लिखा हुआ है जिसने चढ़ाई निर्दोष किसानों पर उस थार. कौन है वह ? योगी और मोदी का यार.
हालांकि जैसे ही जिला प्रशासन को कलेक्ट्रेट परिसर में बैनर लगने की जानकारी मिली, तुरंत प्रशासन हरकत में आया और बैनर को हटा दिया गया. वहीं दूसरी ओर भाजपा नेता प्रदीप वाल्मीकि ने कहा कि जिन लोगों ने पोस्टर लगाया है उनपर एफआईआर दर्ज होनी चाहिए साथ ही ज़िला मुख्यालय परिसर में जिस तरीके से पोस्टर लगाया गया है. इसमें कहीं ना कहीं प्रशासन की कमी भी है.