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रावण के पुतले बनाने वाले कारीगर परेशान, कोरोना ने छीना रोजगार

कोरोना महामारी ने हर तरह के रोजगार को प्रभावित किया है. चाहे बड़ा व्यवसाय हो या छोटा, सभी को कोरोना का खामियाजा भुगतना पड़ा है. इसी कड़ी में दिल्ली में रावण का पुतला बनाने वाले भी शामिल हैं.

Ravana effigy maker faces unemployment issues in delhi
Ravana effigy maker faces unemployment issues in delhi
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Published : Oct 15, 2021, 8:42 PM IST

नई दिल्ली/गाज़ियाबाद: कोविड-19 की वैश्विक महामारी ने सभी त्योहारों की रौनक छीन ली है, जहां एक तरफ सार्वजनिक स्थानों पर त्योहारों का आयोजन न होने से लोगों में मायूसी है, वहीं दूसरी ओर यह रोजगार को भी प्रभावित कर रहा है. हालांकि दूसरी लहर खत्म होने के बाद कोरोना की रफ्तार धीमी हो गई है. इसी क्रम में गाजियाबाद के अंदर मौजूदा समय में कोरोना संक्रमण नियंत्रण में है.

गाजियाबाद के कवि नगर रामलीला मैदान में दशहरे की तैयारी की जा रही है. रामलीला ग्राउंड में रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले बनाकर खड़े किए गए हैं. इन पुतलों का कुछ देर में दहन किया जाएगा. बता दें, कोरोना से पहले कवि नगर की रामलीला ग्राउंड में धूमधाम से दशहरा मनाया जाता था. जिसमें हजारों की संख्या में शहरवासी शामिल होते थे. लेकिन इस साल कोरोना को मद्देनजर रखते हुए रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के 25 फीट के पुतले बनाए गए हैं. जबकि कोरोना से पहले इनकी लंबाई 70 फीट होती थी.

दिल्ली में रावण का पुतला बनाने परेशान वाले
पुतले बनाने वाले कारीगर दिलशाद का कहना है कि कोरोना की वजह से काम काफी प्रभावित हुआ है. पिछले साल काम पूरी तरह से ठप था जबकि इस साल चार ऑर्डर मिले हैं. कोरोना से पहले काम के हालात काफी बेहतर थे. दशहरे से तकरीबन डेढ़ महीने पहले पुतले बनाने का काम शुरू हो जाता था. लेकिन इस साल पुतले बनाने का काम महज चार दिन पहले ही शुरू हुआ है, क्योंकि ऑर्डर बहुत कम मिल रहे हैं.

यह भी पढ़ें - सिंघु बॉर्डर मर्डर केस : संयुक्त मोर्चा ने कहा- निहंग सिखों से हमारा नहीं कोई संबंध


दिलशाद बताते हैं कि पुतला बनाने का उनका पुश्तैनी काम है. लंबे समय से उनका परिवार पुतले बनाने का काम करता आ रहा है. यही उनका रोजगार और परिवार के पेट भरने का मुख्य साधन है. दिलशाद बताते हैं कि कोरोना से पहले उनका काम काफी बेहतर था. डेढ़ महीने पहले उनका परिवार पुतला बनाने का काम करता था, जिससे अच्छी कमाई होती थी और साल भर तक परिवार का पेट भरता था. लेकिन कोरोना के चलते काम ठप होने से रोजगार का संकट खड़ा हो गया है.

नई दिल्ली/गाज़ियाबाद: कोविड-19 की वैश्विक महामारी ने सभी त्योहारों की रौनक छीन ली है, जहां एक तरफ सार्वजनिक स्थानों पर त्योहारों का आयोजन न होने से लोगों में मायूसी है, वहीं दूसरी ओर यह रोजगार को भी प्रभावित कर रहा है. हालांकि दूसरी लहर खत्म होने के बाद कोरोना की रफ्तार धीमी हो गई है. इसी क्रम में गाजियाबाद के अंदर मौजूदा समय में कोरोना संक्रमण नियंत्रण में है.

गाजियाबाद के कवि नगर रामलीला मैदान में दशहरे की तैयारी की जा रही है. रामलीला ग्राउंड में रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले बनाकर खड़े किए गए हैं. इन पुतलों का कुछ देर में दहन किया जाएगा. बता दें, कोरोना से पहले कवि नगर की रामलीला ग्राउंड में धूमधाम से दशहरा मनाया जाता था. जिसमें हजारों की संख्या में शहरवासी शामिल होते थे. लेकिन इस साल कोरोना को मद्देनजर रखते हुए रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के 25 फीट के पुतले बनाए गए हैं. जबकि कोरोना से पहले इनकी लंबाई 70 फीट होती थी.

दिल्ली में रावण का पुतला बनाने परेशान वाले
पुतले बनाने वाले कारीगर दिलशाद का कहना है कि कोरोना की वजह से काम काफी प्रभावित हुआ है. पिछले साल काम पूरी तरह से ठप था जबकि इस साल चार ऑर्डर मिले हैं. कोरोना से पहले काम के हालात काफी बेहतर थे. दशहरे से तकरीबन डेढ़ महीने पहले पुतले बनाने का काम शुरू हो जाता था. लेकिन इस साल पुतले बनाने का काम महज चार दिन पहले ही शुरू हुआ है, क्योंकि ऑर्डर बहुत कम मिल रहे हैं.

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दिलशाद बताते हैं कि पुतला बनाने का उनका पुश्तैनी काम है. लंबे समय से उनका परिवार पुतले बनाने का काम करता आ रहा है. यही उनका रोजगार और परिवार के पेट भरने का मुख्य साधन है. दिलशाद बताते हैं कि कोरोना से पहले उनका काम काफी बेहतर था. डेढ़ महीने पहले उनका परिवार पुतला बनाने का काम करता था, जिससे अच्छी कमाई होती थी और साल भर तक परिवार का पेट भरता था. लेकिन कोरोना के चलते काम ठप होने से रोजगार का संकट खड़ा हो गया है.

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