नई दिल्ली/गाजियाबाद: देश में PUBG गेम बंद होने के बाद दूसरे गेम्स का नशा बच्चों पर हावी होने लगा है. ये बात मनोचिकित्सक ने भी बताई है. गाजियाबाद की मनोचिकित्सक हिमिका अग्रवाल का कहना है कि PUBG एक आक्रामक गेम था. जिसने बच्चों के दिमाग पर एक नशे जैसा अटैक कर दिया था, लेकिन उसके बैन होने के बाद भी बच्चे दूसरे आक्रामक गेम्स गूगल पर तलाश रहे हैं. ज्यादातर बच्चे PUBG गेम का विकल्प तलाश रहे हैं. कई पेरेंट्स मनोचिकित्सक के पास पहुंचे हैं, जो बच्चों से संबंधित इस एडिक्शन का इलाज चाहते हैं. हालांकि PUBG बैन के बाद सकारात्मक खबरें भी आ रही हैं.
मनोचिकित्सक हिमिका अग्रवाल ने सलाह दी है कि बच्चों को डिजिटल गेमिंग की बजाए अच्छे फिजिकल गेम्स की तरफ आकर्षित किया जाए, जिससे समस्या हल हो सकती है. वहीं जब स्टूडेंट से पूछा गया, तो उनका कहना है कि PUBG का नशा उनके सिर पर चढ़ गया था, लेकिन उसके बैन होने के बाद स्टडी में मन लग रहा है.
PUBG की लत छोड़ रहे बच्चे
पटेल नगर में रहने वाले एक स्टूडेंट ने बताया कि पहले वह माता-पिता से छुप-छुपकर PUBG खेला करते थे. लेकिन जब मार्क्स कम आने लगे तो एहसास हुआ कि यह गलत है. फिर PUBG की लत छोड़ने की कोशिश की. थोड़ा कामयाब हुए,लेकिन PUBG के पूरी तरह बैन होने से उसको पूरी तरह से भूल पाए हैं. वहीं गाजियाबाद के रहने वाले एक और स्टूडेंट का कहना है कि PUBG के भारत में बंद होने के बाद से उसकी लत छूट पाई है.
PUBG बैन होने का सकारात्मक असर
मतलब साफ है कि PUBG जैसे खतरनाक गेम के भारत में बैन होने का सकारात्मक असर दिखने लगा है. हालांकि ये असर थोड़ा धीमा है. लेकिन मनोचिकित्सक खुद मानते हैं कि धीरे-धीरे बच्चों के सिर से PUBG का नशा पूरी तरह से उतर जाएगा.