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PUBG के बाद दूसरे गेम्स तलाश रहे बच्चे, मनोचिकित्सक के पास पहुंचे अभिभावक

PUBG बैन होने के बाद अब बच्चे सोशल मीडिया पर दूसरे आक्रमक गेम तलाश रहे हैं. ऐसे में कई अभिभावक मनोचिकित्सक के पास पहुंच रहे हैं.

psychiatrist himika aggarwal advice on games addiction
मनोचिकित्सक हिमिका अग्रवाल की सलाह
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Published : Sep 11, 2020, 12:34 PM IST

Updated : Sep 11, 2020, 1:22 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: देश में PUBG गेम बंद होने के बाद दूसरे गेम्स का नशा बच्चों पर हावी होने लगा है. ये बात मनोचिकित्सक ने भी बताई है. गाजियाबाद की मनोचिकित्सक हिमिका अग्रवाल का कहना है कि PUBG एक आक्रामक गेम था. जिसने बच्चों के दिमाग पर एक नशे जैसा अटैक कर दिया था, लेकिन उसके बैन होने के बाद भी बच्चे दूसरे आक्रामक गेम्स गूगल पर तलाश रहे हैं. ज्यादातर बच्चे PUBG गेम का विकल्प तलाश रहे हैं. कई पेरेंट्स मनोचिकित्सक के पास पहुंचे हैं, जो बच्चों से संबंधित इस एडिक्शन का इलाज चाहते हैं. हालांकि PUBG बैन के बाद सकारात्मक खबरें भी आ रही हैं.

PUBG के बाद दूसरे गेम्स तलाश रहे बच्चे



मनोचिकित्सक हिमिका अग्रवाल ने सलाह दी है कि बच्चों को डिजिटल गेमिंग की बजाए अच्छे फिजिकल गेम्स की तरफ आकर्षित किया जाए, जिससे समस्या हल हो सकती है. वहीं जब स्टूडेंट से पूछा गया, तो उनका कहना है कि PUBG का नशा उनके सिर पर चढ़ गया था, लेकिन उसके बैन होने के बाद स्टडी में मन लग रहा है.

PUBG की लत छोड़ रहे बच्चे

पटेल नगर में रहने वाले एक स्टूडेंट ने बताया कि पहले वह माता-पिता से छुप-छुपकर PUBG खेला करते थे. लेकिन जब मार्क्स कम आने लगे तो एहसास हुआ कि यह गलत है. फिर PUBG की लत छोड़ने की कोशिश की. थोड़ा कामयाब हुए,लेकिन PUBG के पूरी तरह बैन होने से उसको पूरी तरह से भूल पाए हैं. वहीं गाजियाबाद के रहने वाले एक और स्टूडेंट का कहना है कि PUBG के भारत में बंद होने के बाद से उसकी लत छूट पाई है.



PUBG बैन होने का सकारात्मक असर

मतलब साफ है कि PUBG जैसे खतरनाक गेम के भारत में बैन होने का सकारात्मक असर दिखने लगा है. हालांकि ये असर थोड़ा धीमा है. लेकिन मनोचिकित्सक खुद मानते हैं कि धीरे-धीरे बच्चों के सिर से PUBG का नशा पूरी तरह से उतर जाएगा.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: देश में PUBG गेम बंद होने के बाद दूसरे गेम्स का नशा बच्चों पर हावी होने लगा है. ये बात मनोचिकित्सक ने भी बताई है. गाजियाबाद की मनोचिकित्सक हिमिका अग्रवाल का कहना है कि PUBG एक आक्रामक गेम था. जिसने बच्चों के दिमाग पर एक नशे जैसा अटैक कर दिया था, लेकिन उसके बैन होने के बाद भी बच्चे दूसरे आक्रामक गेम्स गूगल पर तलाश रहे हैं. ज्यादातर बच्चे PUBG गेम का विकल्प तलाश रहे हैं. कई पेरेंट्स मनोचिकित्सक के पास पहुंचे हैं, जो बच्चों से संबंधित इस एडिक्शन का इलाज चाहते हैं. हालांकि PUBG बैन के बाद सकारात्मक खबरें भी आ रही हैं.

PUBG के बाद दूसरे गेम्स तलाश रहे बच्चे



मनोचिकित्सक हिमिका अग्रवाल ने सलाह दी है कि बच्चों को डिजिटल गेमिंग की बजाए अच्छे फिजिकल गेम्स की तरफ आकर्षित किया जाए, जिससे समस्या हल हो सकती है. वहीं जब स्टूडेंट से पूछा गया, तो उनका कहना है कि PUBG का नशा उनके सिर पर चढ़ गया था, लेकिन उसके बैन होने के बाद स्टडी में मन लग रहा है.

PUBG की लत छोड़ रहे बच्चे

पटेल नगर में रहने वाले एक स्टूडेंट ने बताया कि पहले वह माता-पिता से छुप-छुपकर PUBG खेला करते थे. लेकिन जब मार्क्स कम आने लगे तो एहसास हुआ कि यह गलत है. फिर PUBG की लत छोड़ने की कोशिश की. थोड़ा कामयाब हुए,लेकिन PUBG के पूरी तरह बैन होने से उसको पूरी तरह से भूल पाए हैं. वहीं गाजियाबाद के रहने वाले एक और स्टूडेंट का कहना है कि PUBG के भारत में बंद होने के बाद से उसकी लत छूट पाई है.



PUBG बैन होने का सकारात्मक असर

मतलब साफ है कि PUBG जैसे खतरनाक गेम के भारत में बैन होने का सकारात्मक असर दिखने लगा है. हालांकि ये असर थोड़ा धीमा है. लेकिन मनोचिकित्सक खुद मानते हैं कि धीरे-धीरे बच्चों के सिर से PUBG का नशा पूरी तरह से उतर जाएगा.

Last Updated : Sep 11, 2020, 1:22 PM IST
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